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मेरे दोस्तों ने खुद को यूं बचाया ऑनलाइन अब्यूज़ से, आपके लिए भी है कुछ सुझाव

आजकल साइबर बुलिंग, साइबर स्टॉकिंग, साइबर क्राइम जैसे शब्दों से शायद ही कोई पढ़ा-लिखा शख्स अपरिचित हो, खासकर तब जबकि वह सोशल मीडिया का रेगुलर यूज़र हो। दरअसल जितनी तेज़ी से पिछले एक दशक में सोशल मीडिया की लोकप्रियता बढ़ी है, उतनी ही तेज़ी से साइबर क्राइम भी बढ़े हैं।

किसी पोस्ट पर बिना किसी कारण किसी को ट्रोल करना, किसी के फोटोज़ या पोस्ट को उसकी अनुमति के बिना यूज़ करना, किसी के बारे में उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर गंदे या भद्दे कंमेट्स करना, उसके बारे में गलत या अर्नगल सूचनाएं प्रसारित करना आदि सभी साइबर क्राइम का ही रूप हैं।

यही नहीं एटीएम, बैंकिंग सूचनाएं, आधार, पैन या फिर आपके किसी अन्य ऑनलाइन अकाउंट से की जाने वाली छेड़छाड़ के मामले भी इसी के तहत आते हैं।

मेरी एक दोस्त प्रेरणा प्रथम सिंह को उसके किसी सो कॉल्ड फेसबुकिया फ्रेंड ने मैसेंजर के ज़रिये पहले फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा। जब उसने उसे एक्सेप्ट कर लिया, तो फिर कुछ रोज़ बाद ही वह उसके साथ गंदे और भद्दे पोस्ट, कमेंट्स, फोटोज़, वीडियोज़ शेयर करने लगा। मेरी सहेली ने जानबूझ कर कुछ दिनों तक उसे झेला, फिर जब उसने देखा कि उसके पास उस ‘महान आत्मा’ को एक्सपोज़ करने के पर्याप्त सबूत हो गए हैं, तो उसने एक दिन उन सबका स्नैपशॉट लेकर उसे पब्लिकली पोस्ट कर दिया।

हालांकि हद तो यह हो गई कि फेसबुक ने उस व्यक्ति के खिलाफ कोई एक्शन न लेते हुए उल्टा प्रेरणा के अकाउंट को ही डिसेबल कर दिया और उक्त पोस्ट को ‘न्यूडिटी कंटेट’ ग्राउंड के आधार पर हटा दिया, लेकिन प्रेरणा ने हार नहीं मानी। उसने न सिर्फ उस व्यक्ति के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई, बल्कि उसके फेसबुक की ‘करनी’ के खिलाफ भी खुलेआम जंग छेड़ दी। टीवी, अखबार, वेबसाइट्स आदि ने भी इस मामले को काफी उछाला। अंतत: फेसबुक को अपनी गलती स्वीकार करते हुए दोबारा से प्रेरणा के अकाउंट को इनेबल करना पड़ा। इस वजह से उस इंसान की भद्द तो पिटी ही और उस पर कानूनी कार्रवाई भी हुई।

इसी तरह मेरी एक और सहेली रितु ने अपने मोबाइल फोन में ऑटो कॉल रिकॉर्डर एक्टिवेट करके रखा था। उसके मंगेतर ने जब उसे धोखा दिया और उसके पर्सनल फोटोज़ को शेयर करने की धमकी दी, तो उसने उन सारी रिकॉर्डिंग्स का प्रिंट निकलवाकर उस लड़के के खिलाफ केस दर्ज कर दिया। फिलहाल उसका मामला कोर्ट में लंबित है, लेकिन सबूत होने की वजह से उसका जीतना तय है।

समझ नहीं आता कि तमाम तरह के सुरक्षा उपाय अपनाने के बावजूद ऐसे मामलों की संख्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ती क्यूं जा रही है? मानो साइबर क्रिमिनल्स और सरकार के बीच ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही हो। अगर हम आंकड़ों के लिहाज़ से देखें, तो एनसीआरबी द्वारा जारी 2016 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 से साल 2016 में साइबर क्राइम के मामलों में 6.3% की बढ़ोतरी देखने को मिली। वैसे ये आंकड़ें तो केवल उन मामलों के हैं, जो दर्ज हुए और इनकी संख्या मात्र 30% ही है।

साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो करीब 70% मामले ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट दर्ज ही नहीं हो पाती। कारण, कभी जानकारी के अभाव में तो कभी लोकलाज का भय या फिर कभी किसी और मजबूरी में पीड़ित व्यक्ति इन मामलों को दर्ज नहीं करा पाता।

हमारे देश में करोड़ो लोग जिन्हें यह भी पता नहीं होता कि उनके साथ किस तरह की बदतमीज़ी की जा रही है और अगर जान भी गए, तो वे नहीं जानते कि इससे कैसे अपना बचाव कर सकते हैं या फिर कहां और किससे शिकायत कर सकते हैं। हमारे देश में अभी भी साइबर लॉ को लेकर इतना कंफ्यूजन है कि आम आदमी इसके चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहता।

ऐसे में इसके लिए कोई कड़ा और बेहतर कानूनी प्रावधान लागू होने का इंतजार करने से अच्छा है कि हम अपने सुरक्षा उपायों के बारे में खुद पहल करें, इस बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। कुछ बातें जो साइबर सुरक्षा के लिए मददगार साबित हो सकती हैं-

1)- कभी भी सोशल मीडिया पर अपनी बेहद निजी जानकारियां (जैसे-इमेल, डेट ऑफ बर्थ, होम एड्रेस, करेंट लोकेशन आदि), फोटोज़, डॉक्यूमेंट्स आदि को शेयर न करें। खासकर कि इन्टरनेट पर बने दोस्तों के साथ तो बिल्कुल भी नहीं। बहुत ज़रूरी होने पर अगर किसी से व्यक्तिगत जानकारी शेयर करनी भी हो, तो मेलबॉक्स में शेयर करें।

2)- अपने सारे सोशल मीडिया अकाउंट को बेहतर पासवर्ड के माध्यम से लॉक करके रखें, चाहे वह आपका व्हाट्स एप्प अकाउंट हो, नेट बैंकिंग अकाउंट हो या फिर इमेल अकाउंट। सबके लिए अलग-अलग और यूनिक पासवर्ड रखें, जिसका आसानी से अनुमान न लगाया जा सके। फेसबुक या ट्विटर जैसी सोशल साइट्स पर कई ऐसे फीचर्स हैं, जिनकी सहायता से आप अपनी निजी जानकारियों को खुद तक ही सीमित करके रख सकते हैं। इनके बारे में जानकारी प्राप्त करके इनका इस्तेमाल करें। बैंक, एटीएम आदि के पासवर्ड को हर छह महीने पर चेंज भी करते रहे। इससे आप अपने अकाउंट को काफी हद तक सिक्योर कर पाने में सक्षम होंगे।

3)- समय-समय पर अपना नाम और फोन नंबर गूगल पर डाल कर सर्च करते रहें कि कहीं आपके नाम या नंबर से कोई और अकाउंट या ब्लॉग तो इंटरनेट की दुनिया में एक्जिस्ट नहीं कर रहा। कई बार आपको पता भी नहीं होता और आपके नाम या नंबर का उपयोग किसी और के द्वारा गलत उद्देश्य ये इस्तेमाल किया जा रहा होता है।

4)- अगर कभी भी आपको कोई ऐसा कॉल, इमेल या मैसेज प्राप्त हो जिसमें आपसे आपकी व्यक्तिगत सूचनाएं मांगी जा रही हों, तो सावधान हों जाएं। कई बार हैकर किसी संस्थान के वेबपेज की हूबहू नकल करके आपको तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं और आपसे अपनी निजी जानकारियां शेयर करने के लिए कहते हैं। ऐसे में आपकी थोड़ी सी सर्तकता, आपको किसी बड़े अपराध का भुक्तभोगी होने से बचा सकती है।

इस संबंध में एक और ज़रूरी बात यह कि वैलिड वेबसाइट अक्सर https://… से स्टार्ट होती हैं, साथ ही उनकी इमेल आईडी में भी @… जुड़ा होता है, जबकि संदिग्ध इमेल आइडी में ऐसा नहीं होता। साथ ही अगर ऐसे इमेल आपको लगातार मिल रहे हों तो भी सतर्क हो जाएं। हो सकता है आप हैकर्स के सुप्रीम टारगेट बन चुके हों और वह कभी भी आपके अकाउंट को हैक कर सकता है, इसलिए थोड़ा सा भी शक होने पर किसी साइबर एक्सपर्ट से अपने कंप्यूटर को चेक करवाएं। हालांकि जिस तरह से आजकल साइबर क्रिमिनल्स चालाक होते जा रहे हैं, ऐसे में आपकी अतिरिक्त सावधानी ही आपको बचाने में कारगर साबित हो सकती है।

5)- अपने कंप्यूटर में हमेशा अच्छी क्वालिटी का एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर अपलोड करके रखें। हो सके तो अपने इमेल बॉक्स या फोन में इनकमिंग ट्रैफिक के रिकॉर्डिंग ऑप्शन को एक्टिवेट करके रखें, इसका एक बहुत बड़ा फायदा यह होगा कि अगर कभी कोई हैकर आपको परेशान करने की कोशिश करे, तो भी आप उसके आइपी एड्रेस और उससे संबंधित अन्य ज़रूरी सूचनाओं को आसानी से लोकेट कर सकते हैं।

6)- अगर आपने अपनी मर्ज़ी से खुद को किसी रिश्ते से अलग किया हो (खास तौर से प्रेमी, प्रेमिका, दोस्त या फिर जीवनसाथी), जिसमें आपको तकलीफ झेलनी पड़ी हो, तो ऐसे इंसान को तुरंत ही अपने सोशल अकाउंट पर ब्लॉक कर दें। अपने पासवर्ड को भी तुरंत चेंज कर दें। ऐसा देखने में आता है कि साइबर क्राइम के ज़्यादातर मामले ऐसे ही लोगों के द्वारा अंजाम दिये जाते हैं, जिनके साथ आपने कभी अपनी व्यक्तिगत जानकारियां शेयर की हों। खास तौर से आपके फोटोज़ या पर्सनल चैटिंग्स के मिसयूज़ का खतरा सबसे ज़्यादा होता है, जिन्हें आप रिकवर नहीं कर सकते। इसलिए अच्छा तो यह होगा कि आप अपने निजी रिश्तों को हमेशा एक अच्छे नोट पर खत्म करने की कोशिश करें, ताकि अलग होने के बाद भी एक-दूसरे के प्रति शिकवा-शिकायत या बदले की भावना को पनपने का अवसर ही न मिले।

इन तमाम सुरक्षा उपायों को अपनाने के बावजूद अगर कोई आपको परेशान या ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है तो घबराएं नहीं, तुरंत इसकी सूचना अपने घरवालों और पुलिस को दें। एक अच्छा उपाय यह भी है कि उसके कारनामों की रिकॉर्डिंग को (अगर आपको कोई विशेष खतरा न हो) पब्लिक कर दें।

कभी भी ऐसा कोई मामला आपके साथ हो, तो डरें या घबराएं नहीं और न ही ‘लोग क्या कहेंगे’ फैक्टर के बारे में ज़्यादा सोचें, क्योंकि लोग तो कुछ न कुछ हमेशा कहते ही रहते हैं। आप खुलकर साइबर स्टॉकर का सामना करें। आखिर में सौ बातों की एक बात कि Precaution is Always Better Than Cure.

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