Site icon Youth Ki Awaaz

Happy New Year

नववर्ष असीम उम्मीदों, संभावनाओं और प्राथमिकताओं का साल हो।
.
हर साल की तरह पिछला साल भी बहुत सारी शिकायतों, असफलताओं और नफरतों के बीच गुजर गया। दया और करुणा की हमारी मूल भावना के खिलाफ कई शर्मनाक वारदातों और विभिन्न बहानों से समाज व देश में नफरत फैलाये जाने का प्रमुख गवाह भी रहा।
अगर देश की बात करें तो पहला बहाना गौ संरक्षण का था। जिसमें गौ रक्षा के अभियान के इरादे से भगवा पट्टा गले में लटकाये कथित गौ रक्षक संघ ने जानवरों से बदतर क्रूरता इंसानों के साथ की। लेकिन शायद आप लोगों को ये पता न हो कि जिस दिन भारत में मैक्डॉनल्ड और KFC जैसे उत्पादकों का प्रवेश हुआ उस दिन से मारे जाने वाले विभिन्न पक्षियों की संख्या में दिन दुगुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है। अगर बात करें बीफ इंडस्ट्री की तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश बना हुआ है। जो मलेशिया, सऊदी अरब, मिस्र और वियतनाम जैसे देशों को करीब 25 लाख टन गोमांस हर साल बेचता है। और इस व्यवसाय में कई सारे कथित हिन्दू शामिल हैं जो मुस्लिम नामों वाली कंपनियों के माध्यम से इस कार्य को अंजाम देते हैं। जबकि निशाने पर वे लोग होते हैं जो इन मालिकों के इशारे पर उनकी कंपनियों में काम करते हैं। मुस्लिम कसाई और मृत जानवरों की खाल निकालने के लिए सामान्यतः दलित बदनाम हैं। और इन्ही लोगों को हिंसक भीड़ द्वारा अक्सर निशाना बनाया जाता है। कई बार तो ऐसा हुआ जब हिंसक भीड़ ने अपने घर में बीफ छिपाकर रखने के संदेह में लोगों को बेरहमी से पीट-पीट कर मार डाला, जबकि बार में पता चला की वह सिर्फ एक संदेह था; हकीकत नहीं।
दूसरा बहाना राष्ट्रवाद था। इसके तहत जो सरकार की कमियों को उजागर करे उसे तत्काल गद्दार करार दिया जाता। इसके शुरुआती शिकार बुद्धिजीवी, धर्मनिरपेक्षतावादी और कुछ बहादुर रचनात्मक लोग हुए, जिन्होंने अपने विभिन्न मतों के मुताबिक देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अपने राजकीय पुरुस्कार वापस लौटा दिए। दूसरे शिकार कुछ विद्यार्थी रहे, जो देश को धर्मनिरपेक्ष और युवा सोच के हिसाब से चलाने की इच्छा रखते थे। और तीसरे शिकार मुस्लिम रहे, जिन्हें बार – बार पाकिस्तान जाने को कहा गया। उनका सारा राष्ट्रप्रेम, त्याग और बलिदान के साथ – साथ यह भी सुविधाजनक रूप से भुला दिया गया कि ये वही मुस्लिम थे जिन्होंने 1947 में बंटवारे के वक्त भारत में ही रहने का फैसला किया था। अब उनके राष्ट्रवाद पर घोर संदेह किया गया। बाकी और भी कई अविस्मरणीय मुद्दे देश में छाये रहे जो आम आदमी को सोचने के लिए मजबूर करते हैं की देश किस ओर जा रहा है। पिछले प्रधानमंत्री की गलतियों को योजनाबद्ध तरीके से खूब भुनाया गया और अपनी वाकशक्ति के उपयोग से वर्तमान सरकार प्रमुख ने आम जनता को खूब बहकाया। ये लोग चुनाव जीतते रहते हैं लेकिन ये देश जो बुद्ध, महावीर की भूमि है और दया-करुणा की अपनी मूल भावना के लिए विश्व में जाना जाता है; यदि अपनी इस मूल भावना को खो देता है तो सोचिये उस समय इस देश का स्वरूप कैसा होगा ?
इसलिए नए साल से उम्मीद है की यहाँ नफरत और डर की जगह प्रेम लेगा इसी प्रण के साथ आओ नए साल का स्वागत करें

Exit mobile version