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सोशल मीडिया अकाउंट हैक होने और सायबर बुलिंग से बचने के तरीके

“मैं शांति और आज़ादी के लिए इस ज़ालिम सत्ता को ललकारने अकेले ही तहरीर चौक पहुंच रही हूं, जो मेरे साथ आना चाहता है, आ जाए। मैं सिर्फ आधे घंटे में तहरीर चौक पहुंच कर सत्ता को ललकारूंगी।”

यह बात साल 2011 में फेसबुक पर लिखी गई और इसे लिखने वाली थी अस्मा महफूज़। यह ऐलान करते हुए अस्मा ने मिस्र के तानाशाह होस्नी मुबारक की तानाशाह सत्ता को ललकारा था। अपने कहे के अनुसार अस्मा तहरीर चौक पहुंच गई, लेकिन अस्मा अकेली नहीं थीं, उनके साथ लाखों की संख्या में लोग वहां मौजूद थे और दिनों-दिन उनकी संख्या बढ़ती चली गई। यह सोशल साइट्स का ही प्रभाव था कि अस्मा का संदेश मिस्र ही नहीं समस्त विश्व में जंगल की आग की तरह फैलता चला गया।

अब हम साल 2011 से 2018 में हम आ चुके हैं। इस दौरान लोगों के बीच सोशल साइट्स का विस्तार होता ही चला गया। बात महिलाओं की समानता के अधिकार की हो या सैनेटरी नैपकिन पर लगाए जीएसटी के विरोध की हो या राजनीतिक आंदोलन की हो या फिर अल्पसंख्यकों से संबंधित हो। आज हर विषय पर सोशल मीडिया पर लिखने-बोलने वाले लोग मौजूद हैं।

सोशल साइट्स के इस मंच पर अलग-अलग प्रकृति के लोग मौजूद हैं। वो भी हैं जो शंभू रैगर जैसों द्वारा डाले गए वीडियो की वाह-वाही करते हैं। वो भी हैं जिनके लिए स्त्री के चरित्र का मूल्यांकन उसके द्वारा पहने गए कपड़ों से होता है और वो भी हैं जो सामाजिक-राजनीतिक मसलों पर किसी विचारधारा या पूर्वाग्रह से ग्रसित न होकर निष्पक्ष अपनी बात रखते हैं। अब जब एक प्लैटफॉर्म पर इतने अलग-अलग मानस के लोग होंगे तो ज़ाहिर है कि उसके कुछ अच्छे- बुरे परिणाम होंगे ही।

इन्हीं बुरे परिणामों में पहला है ट्रोल करना 

ट्रोल अंग्रेज़ी का शब्द है जिसका अर्थ है घुमाना। आपके द्वारा लगाई तस्वीर में अगर किसी को आपके कपड़ों से परेशानी हुई तो आप ट्रोल हो सकते हैं, मतलब आपकी उस तस्वीर को अभद्र टिप्पणियों के साथ या ‘ज्ञान’ के साथ फेसबुक पर शेयर किया जाएगा या रीट्वीट किया जाएगा और उसे सोशल साइट्स पर घुमाया जाएगा। आपके द्वारा लिखी गई किसी बात या लेख से किसी की असहमति है तो भी आप ट्रोल हो सकते हैं।

दूसरा है धर्म, जाति, लिंग के आधार पर नफरत फैलाना, लड़ाना

संविधान ने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं। इन कुल छह मौलिक अधिकारों में पहला है समानता का अधिकार। संविधान में दिए गए अलग-अलग समानता के अधिकारों के अंतर्गत एक है धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध।

संविधान ने सबको समानता प्रदान की है लेकिन पिछला कुछ समय इस बात का गवाह है कि सोशल साइट्स पर की गई टिप्पणियों से कैसे दो समुदाय के लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। कभी जाति या आरक्षण पर किए गए किसी फेसबुक पोस्ट को देखिए, असहमति दर्ज करने वाले भद्दी गालियों से भरे कमेन्ट करते कई लोग आपको दिख जाएंगे। सोशल साइट्स पर ऐसे कई गैंग मौजूद हैं जो धर्म और विचारधारा के नाम पर भड़काऊ टिप्पणी करते हैं।

तीसरा है इनबॉक्स में घुसकर गुंडई या ज़बरदस्ती की शराफत, या केयर या बातचीत

मेरी मित्रता सूची यानि फ्रेंडलिस्ट एक समय साढ़े तीन हज़ार के आस-पास थी, अब एक हज़ार है। पहले मुझे-

हाय,
डिनर हुआ?
हाउ आर यू?
समवन इज़ वेविंग यू, वेव हिम बैक।
लुकिंग क्यूट इन प्रोफाइल पिक्चर।
मैडम आपने तो पुराना प्रोफाइल पिक लगाया है, आप अभी तक जाग रही हैं!

इस तरह के मैसेज दिन के चौबीस घंटों में अनेकों बार आते थे। सच बताऊं तो अब मुझे हाय बोलने वालों से ही चिढ़ हो गई है। धीरे-धीरे मैंने मेरी फ्रेंडलिस्ट को छोटा करना शुरू कर दिया। (भीड़ को कम करने के दौरान गलती से वे लोग भी मित्रता सूची से अलग हो गए जिनसे मुझे कोई परेशानी नहीं थी)

इस प्रक्रिया में लगी ही हुई थी कि एक दिन ऐसा हुआ जब बार-बार हाय का जवाब न देने पर ‘राज’ नाम के एक लड़के ने मैसेज किया “अरे आपने ही तो मुझे मैसेज किया था”। बिना मैसेज क्लिक किए ही मुझे ये मैसेज लिखा हुआ दिख गया। मैं चौंक गई! चेक किया तो देखा मेरे नाम से पूरी बातचीत की गई है, पॉर्न कंटेंट भेजे गए हैं। हमारे यहां कुंठा से ग्रस्त लोग जब बहुत ताकत लगाते हैं तो लड़की के नाम पॉर्न कंटेट या सेक्स वीडियो भेज देते हैं या उसका अकाउंट हैक करते हैं।

उस दिन मुझे समझ आया कि मेरा अकाउंट हैक हुआ है और मैंने अपने फेसबुक पेज पर एक नोटिस डाल दिया। उसको पढ़ने के बाद कुछ दोस्तों ने बताया कि कैसे अपने अकाउंट को सिक्योर करना है। अजीत भारती नाम के फेसबुक मित्र ने पूरे विस्तार से बताया कि अकाउंट को सिक्योर करने का क्या तरीका है।

अब सवाल है यह है कि अगर इतनी समस्या है इस प्लैटफॉर्म पर, तो क्या करें? अकाउंट डिलीट कर लें? लिखना, पढ़ना, बोलना बंद कर लें? प्रोफाइल पिक लगाना बंद कर लें? या फिर सब चुपचाप झेलतें रहें या टाल दें और फिर खुद को किसी दिन बड़ी मुसीबत में पाएं! ये सब कोई समाधान नहीं हैं। सबसे पहले कम से कम उन विकल्पों का इस्तेमाल कर लें जो सोशल साइट्स अकाउंट को सुरक्षित करने के लिए हमें उपलब्ध कराती हैं।

अकाउंट सिक्योर करने के तरीके

अपने अकाउंट का टू स्टेप ऑथेंटीकेशन ज़रूर करें। इसके लिए अकाउंट सेटिंग में जाइए फिर सेक्योरिटी में जाइए और ऑथेंटीकेशन की प्रक्रिया को पूरा करिए। एक-एक चीज़ को गौर से पढ़िए, इस दौरान फेसबुक आपका मोबाइल नंबर मांगेगा जो सिर्फ आपके लिए विज़िबल होगा। जब ऑथेंटीकेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है उसके बाद जब भी आपके अकाउंट से कोई लॉग इन करेगा तो आपके मोबाइल पर सिक्योरिटी कोड आएगा जिसे डालने के बाद ही अकाउंट लॉग इन हो पाएगा।

अंजान डिवाइस से लॉग इन होने का पता कैसे लगे? और अनरिकोगनाइज्ड लॉग इन का अलर्ट मेसेज कैसे मिले? इसके लिए अकाउंट सेटिंग में जाइए, सिक्योरिटी में जाइए और अंजान लॉग इन आईडी से अकाउंट लॉग इन होने की स्थिति में alert मैसेज भेजने वाले विकल्प को टिक करिए।

हैकिंग को कैसे रिपोर्ट करें? अकाउंट सेटिंग में जाइए, सिक्योरिटी में जाइए और अगर आपको यह संदेह है कि आपका अकाउंट हैक हुआ है तो उस विकल्प को चुनकर फेसबुक को रिपोर्ट करिए।

फ्रेंडलिस्ट में किसी को भी एड ना करें

फ्रेंडलिस्ट में किसी को एड करने से पहले पूरी गंभीरता के साथ संबंधित व्यक्ति के प्रोफाइल पर जाएं, चाहे महिला हो या पुरुष। केवल म्यूचुअल फ्रेंड देखकर दोस्ती न करें। क्या पता! आपके म्यूचुअल फ्रेंड भी उनके बारे में कुछ न जानते हों, अगर किसी ने अपनी टाइम लाइन पर अपने बारे में विशेष जानकारी न दी हो तो उनके लेखन को देखिए, उनके द्वारा शेयर या लाइक किए गए कंटेंट को देखिए। उसके बाद आपको काफी कुछ पता चल जाएगा कि इस इंसान के साथ आपको मित्रता करनी चाहिए या नहीं।

साइबर क्राइम के तहत रिपोर्ट करिए

अगर आपके अकाउंट को हैक किया गया है तो पुलिस की साइबर सेल में तुरंत शिकायत करिए। हो सकता है आपकी आईडी को किसी गलत जगह पर इस्तेमाल किया गया हो। अगर हैक नहीं भी किया गया है और किसी आईडी से लगातार आपको परेशान किया जा रहा है तो भी शिकायत करें। स्क्रीन शॉट्स संभालकर रखिए। (पुलिस जांच के दौरान यह सबूत के तौर पर काम आएगा।)

और क्या- क्या किया जा सकता है

जब कोई लड़का या लड़की अपने फेसबुक पेज पर लिखती या लिखता है कि मेरा अकाउंट हैक हुआ है, या कोई फलाने आईडी का इंसान मुझे तंग कर रहा है या इनबॉक्स में मुझे ज़बरदस्ती मैसेज भेजा जा रहा है तो इस तरह के पोस्ट को देखने के बाद बस स्क्रॉल करके आगे मत बढ़ जाइए। तुरंत यह राय मत बना लीजिए कि ये किसी का पब्लिसिटी स्टंट है या ये लड़का या लड़की हैं ही ऐसे। इस बात का मर्म आपको तब समझ में आएगा जब आप खुद कभी ऐसी स्थिति में हों। इस तरह के पोस्ट पर अपनी अच्छी सलाह और समर्थन ज़रूर दीजिए, हौसला मिलता है।

आपके साथ सोशल साइट्स के ज़रिए कुछ भी गलत हो रहा हो उसे तुरंत शेयर करिए। मानसिक दबाव से लोग घुटने लगते हैं। घुटिए नहीं, बोलिए और लिखिए।

बुरी ताकतें कभी इतनी ताकतवर नहीं हो सकती कि वो अच्छी ताकतों को दबा दें। अच्छे लोग! मतलब एक-दूसरे के विचारों को सम्मान देने वाले लोग, अपनी असहमतियों को तरीके से रखने वाले लोग। विचारधारा से ऊपर उठकर सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस रखने वाले लोग। दुनिया में मानवीय मूल्यों को तरज़ीह देने वाले लोग एकजुट रहें और एक चेन बनाते रहें। ताकि फसाद लगाने वाले, लड़ाने वाले कभी उठ न पाएं।

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