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गांधी की मौत के बाद जवाहरलाल नेहरू का देश के नाम संदेश

ज़िंदगी का सितारा सदा के लिए जा चुका है, अंधकार, नितांत अंधकार हो गया है। समझ नहीं पा रहा कि आपसे यह किस तरह कहूं। हम सबके प्रिय बापू, देश के राष्ट्रपिता नहीं रहे। शायद ऐसा कहना गलत होगा, फिर भी अब हम बापू को उस तरह कभी नहीं देख सकेंगे जिस तरह ज़माने से देखा कर रहे थे। मेरे लिए ही नहीं संपूर्ण देश के लिए एक गहरा घाव होगा यह। एक रहबर चला गया है। अब पास जाकर मशविरा नहीं लिया जा सकता, नहीं मिलेगी वो महान छाया। इस गहरे अघात पर मेरी या किसी की भी बातें फिल्हाल मरहम नहीं लगा पाएंगी।

राष्ट्र के क्षितिज पर चमकने वाला यह सितारा गैरमामूली था। बरसों से चमकने वाला यह ध्रुवतारा क्षितिज पर आगे भी चमकता रहेगा। हमारी धरती के आसमान पर सदा छाया रहेगा एवं दुनिया भी देखेगी, हज़ारों दिलों को जीने की आस मिलेगी। जिंदगी के परमसत्य व उत्तममार्ग का मर्म बताने वाली, त्रुटियों से मुक्त करने वाली रौशनी सदा सार्थक बनी रहेगी। नहीं भूलें कि मुल्क को आज़ादी की उदयबेला का उपहार किसने दिया?

इस महान आत्मा के पास बहुत से अन्य महत्वपूर्ण काम रहे लेकिन देश की आज़ादी सबसे जरूरी थी। हमें कभी नहीं सोंचना चाहिए कि रोशनी की जरूरत नहीं थी। यह भी नहीं कि रोशनी समय के बंधनों में थी। अब जबकि हमें अनेक बाधाओं पर विजय प्राप्त करनी होगी… उस महान रहनुमा का नहीं होना अपूर्ण क्षति है।

एक सरफिरे ने बापू की जीवनलीला को समाप्त कर दिया है। उस आदमी को सरफिरा ही कहूंगा जिसने इस हिंसक काम को अंजाम दिया। इधर हाल में मुल्क में द्वेष की लहर पनप रही है। नफरत की लपटें हमें जाने अनजाने घेर रही। इस ज़हर को हमें मिलकर मिटाना होगा। जड़ों से काटना होगा। हमें तमाम विपदाओं का सामना सरफिरा होकर अथवा अधूरा नहीं करना है।

हमें बापू की शिक्षा के साथ मुसीबतों का मुकाबला करना होगा। स्मृति रहे कि द्वेष में किसी को भी कदम नहीं उठाना है। हमें शक्तिवान एवं संकल्प के धुनी लोगों का आचरण अपनाना होगा। विपदाओं का संकल्प से मुकाबला करना होगा। बापू की महान सीख को लेकर बढ़ने का संकल्प रखने वाला बनना होगा। स्मृति रहनी चाहिए कि बापू की आत्मा क्या आकांक्षा रखती है। यह आस्था का विषय होगा कि बापू की आत्मा सब देख रही। आत्मा को बड़ी तकलीफ पहुंचेगी कि लोग सत्य व अहिंसा का मान नहीं रख रहे। हिंसा व हीन व्यवहार को अपना कर हम अपना बडा अहित कर रहे हैं। ऐसा नहीं करें!

अहिंसा कमज़ोरी की निशानी नहीं। एकजुट होकर विपदाओं का सामना करना संकल्प होना चाहिए। संगठित एकता काम आएगी। बापू का महान व्यक्तित्व काम आएगा। बापू के यूं चले जाने से हुई क्षति को केवल वही संभाल सकते हैं। असीम नुकसान की घड़ी में लोगों को तमाम मतभेद भूला देना चाहिए। मुसीबत की बेला में व्यक्तिगत चीज़ों को भूल कर देश के ध्येय लक्ष्य पर ध्यान आकर्षित करना होगा। इस आघात ने हमें महान लक्ष्यों को एक बार फिर याद दिलाया है। सत्य व अहिंसा के अजेय सत्य की प्रासंगिकता आज पहले से कहीं अधिक है। यदि हम जीवन के इस मर्म को स्मरण रखें तो भारत भी इसे नहीं भुलाएगा।

-जवाहरलाल नेहरू

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