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बुलेट बाइक है भोंपू नहीं, सड़क पर उसे चलाएं, बजाएं नहीं

यह महज कल्पना करने की बात नहीं है, पर ज़रा उस वक्त का खयाल कीजिए जब आप सुबह-सुबह घर से काम के लिए निकले हों और पीछे से धड़-धड़ करती तेज़ आवाज में आती बुलेट से कोई ज़ोर से हॉर्न बजाता हुआ आपके बगल से निकल रहा है। हम सब ही ऐसे कई वाकयों से इरिटेट हुए होंगे। जब ये बुलेट सवार हॉर्न बजाते हुए गुज़रते हैं तो मैं अक्सर सोचती हूं कि जब सारा विश्व तमाम तरह की पॉल्युशन के साथ साउंड पॉल्यूशन पर भी बहस कर रहा है, ऐसे वक्त में ये लोग क्या साबित करना चाहते हैं?

एक दोपहर मैं कॉलेज से जल्दी ही लौट रही थी, क्योंकि सर दर्द कर रहा था। बैट्री रिक्शा में बैठी थी जो ट्रैफिक में रुका हुआ था, तभी पीछे से एक बुलेट सवार व्यक्ति आया और पैरलल में रुकता हुआ ज़ोर से हॉर्न बजाने लगा।

एक तो मेरा माथा दर्द कर रहा था ऊपर से उसकी बाइक की वो तेज़ आवाज़ और हॉर्न! यह सब मिलकर मेरे अंदर एक ऐसी मनोस्थिति पैदा कर रहे थे कि मैं एक लाठी लेकर उसके सर पर दे मारूं।

बहुत बार मैंने ऐसा पाया है कि ये बुलेट वाले कान में इयरफोन लगाकर बाइक दौड़ाते है और जगह-जगह वक्त-बे-वक्त हॉर्न बजाया करते हैं।इन्हें कोई खयाल नहीं होता है कि सुबह है, शाम है या दोपहर। कोई बगल से गुज़र रहा है या कोई पार्क में बैठा गपशप कर रहा है। बस कान में लीड लगा लिए और निकल गए। अब ट्रैफिक लाइट रेड है तब भी ये हॉर्न बजाए जाते हैं, तो भाई बुलेट उड़ा के क्यों नहीं चले जाते तुम? मैं सोचती रहती हूं कि इन लोगों को एक ग्रुप बनाकर सरकार से मांग करनी चाहिए कि इनके घर के गेट से लेकर जहां इनको पहुंचना है वहां तक एक फ्लाईओवर बनवा दे। पैसे वाले तो ये होते ही हैं, सरकार इनकी क्यों न सुनेगी, तो इन्हें प्रस्ताव तो डालना ही चाहिए।

एक बात है, ये बुलेट वाले मुझे एक खास तरह के किसी विशेष समुदाय के लोग ही लगते हैं। बालों में एक विशेष कटिंग, लगभग एक जैसी दाढ़ीयों वाले और दिखने मे ही किसी सम्पन्न घर के लगने वाले। कोई इनकी बुलेट को टच भी कर दे तो ये वहीं बीच सड़क पर ही लड़ने लगते हैं। कल ही की बात है जब ट्रैफिक में एक कार बुलेट से बस टच भर कर गई। उधर ट्रैफिक खुल गया और इधर बुलेट वाले भाईसाहब लड़ते रहे कार वाले से। पहले ये बुलेट वाले यहीं दिल्ली में ही दिखते थे, पर अब तो गांव जाती हूं तो देखती हूं वहां भी बुलेट गनगना रही है। और फिर मैं वही कहना चाहूंगी कि यहां भी सम्पन्न घर के ही कुछ युवा हैं जिनके पास बुलेट है।

कोई कुछ कह दे बुलेट के बाबत तो बीच सड़क पे लड़ने का माद्दा रखते हैं ये। पहले मैं अक्सर सोचती थी कि कंपनी ऐसी बाइक बनाती ही क्यों है जो इतनी आवाज़ करती है। फिर एकदिन क्या हुआ कि एक बुलेट को बगल से गुज़रते देखा, कोई शोर नहीं। बड़े ही चुपचाप वह निकल गई। मैंने इस बाबत माथा लगाया, फिर पता चला कि कंपनी तो साधारण बुलेट ही बनाती है पर ये लोग बाइक में अपना दिमाग लगा लेते हैं।

व्यक्तिगत तौर पर मुझे बुलेट बहुत पसंद है। कभी मैं भी बुलेट लेकर यूं ही किसी, कभी न खत्म होने वाली राह पे निकल जाना चाहती हूं, पर जब-जब ये शोर मचाने वाली बुलेट देखती हूं, तो मुझे इस खयाल से भी नफरत सी होने लगती है।

बुलेट यूज़ करने वाले ऐसे ज़्यादा लोग हैं जो बुलेट की खूबसूरती को असहज बना रहे हैं, जबकि बुलेट एक आकर्षक बाइक है। खासकर कि लंबी दूरी के लिए।

 

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