ग्लोबल साइबर बुलिइंग लिस्ट में भारत का स्थान, चीन और सिंगापुर के बाद, तीसरे नंबर पर है। इस रैंकिंग से यह सामने आया है कि भारत के बच्चे भारी मात्रा में साइबर बुलिइंग के शिकार हैं। इसी कारण बच्चों के सुसाइड की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है। यह वर्चुअल स्पेस तमाम तरह की जानकारियों से लैस है। एक अलग ही दुनिया है ये साइबर वर्ल्ड। इसलिए यहां भी वास्तविक दुनिया की तमाम बुराइयां मौजूद हैं। बल्कि इस दुनिया में नुकसान पहुंचाना बेहद सरल है। उतना ही सरल जितना किसी जानकारी को एक्सेस करना।
वास्तविक दुनिया में आपको सामने वाले को मानसिक तनाव देने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वहां मौजूद होना पड़ता है। यहां उसकी आवश्यकता नहीं। किसी के एक कमेंट भर से आपको मानसिक तनाव हो सकता है। कोई आपको बिना जाने किसी एक पोस्ट, एक रिऐक्शन भर से आपका कैरेक्टर असैसिनेशन कर सकता है। आप पर लेबल्स लगा सकता है। किसी भी सोशल मीडिया स्पेस पर बनाया गया आपका अपना अकाउंट, जब तक हैक न हो जाए, आपके नियंत्रण में है। लेकिन कोई और अपने अकाउंट से आपको कुछ भी भेज सकता है। यहां कोई फिल्टर मौजूद नहीं उसे रोकने के लिए। कोई किसी भी पब्लिक स्पेस पर कुछ आपके लिए पोस्ट कर सकता है, कोई टिप्पणी कर सकता है। इन सब को रोक पाना आपके बस में नहीं। कोई गाली दे सकता है, भद्दे संदेश भेज सकता है, आपकी कोई पोस्ट का मिसयूज़ कर सकता है।
हमारी अपनी वास्तविक दुनिया महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं। यही हाल, बल्कि इससे भी बुरा हाल, साइबर स्पेस का है। मुझे याद नहीं कि मैंने अपने इनबॉक्स का स्क्रीनशॉट कभी पोस्ट के रूप में लगाकर किसी के आपत्तिजनक और हैरेसिंग मेसेजेस के लिए उसे दोस्तों से रिपोर्ट करवाया हो। मैं इनबॉक्स ज़्यादा खोलती नहीं। और जवाब उसे ही देती हूं, जिसे जवाब देने की इच्छा हो। अभी यह लिखने से पहले इनबॉक्स खोला। फिर फ़िल्टर्ड मेसेजेज़ का सेक्शन खोला। वहाँ मेसेजेज़ थे मगर वैसे मेसेजेज़ नहीं थे, जिन्हें मैंने बाकी महिलाओं द्वारा लगाए स्क्रीनशॉट्स में देखा है।
मैं ऐसे में भीड़ में खड़ी उस औरत की तरह खुद को महसूस कर रही हूं, जिसकी कमर पर कोई हाथ फेर कर चला गया हो और वह इस बात का शुक्र मना रही है कि अगर उस मनोरोगी ने कमर के नीचे हाथ रख दिया होता तो उसकी इज़्जत का क्या होता? उसे गुस्सा आया। वह क्रोध में सोचती है कि उसकी कमर तक हाथ ले जाने की हिम्मत करने वाले ये राक्षस मर क्यों नहीं जाते। लेकिन इग्नोर करने की जैसे आदत हो गई हो भीड़ में चलते हुए। आख़िर हर ‘टच’ पर रिएक्ट करने की इजाज़त भीड़ नहीं देती। और यह भी तय नहीं कर पाते हमलोगे कि ये अनायास ही हुआ था या जानबूझकर।
पर मेरे इंबॉक्स में पड़े ‘U lovely, kiss you’ जैसे मेसेजेस यूं ही नहीं आ गए होंगे मेरे पास। उन्हें पूरे होश-ओ-हवास में टाइप किया गया और फिर भेज दिया गया होगा, यह जानते हुए कि दुनिया की किसी भी लड़की की देह क्रोध से जल उठेगी यह पढ़ते हुए।
वहीं मैंने देखा कि किसी के 10-15 दफा आए ‘Hi’, ‘Hello’ का रिप्लाई न मिलने पर भी लोगों ने मेसेज भेज रखा है। कोई रिक्वेस्ट कर रहा है कि मैं उससे बात कर लूं। किसी ने अपना फ़ोन नंबर भेज रखा है। किसी ने इंस्टाग्रैम की आइडी। लेकिन मैंने इससे भी भद्दे और दिल दहला देने वाले मेसेजेस के स्क्रीनशॉट्स देखे हैं। ट्विटर पर भद्दे रिपलाइज़ पढ़े हैं, रेप कर देने जैसी धमकियां देखी हैं। पब्लिक स्पेस पर बोलती, अपनी बात रखती महिलाएं रोज़ ही इन सब से जूझती हैं। हमारे साइबर कानूनों में लूपहोल्स हैं। उनकी इंप्लिमेंटेशन पर कोई ध्यान नहीं और फेसबुक जैसे प्लैटफ़ॉर्मस पर भी इनसे डील करने के ज़्यादा अॉप्शंस नहीं।
अगर मुझे किसी आइडी से भद्दे मेसेज आते हैं तो फेसबुक मुझे उसे ब्लॉक करने का अॉप्शन देता है। मगर उससे परेशानी ख़त्म नहीं होती क्योंकि वह आदमी जिसने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, उसे सज़ा के रूप में बस मेरी आइडी से ब्लॉक किया गया। ऐसे मनोरोगी को सज़ा होनी चाहिए। फेसबुक किसी प्रोफाइल को रिपोर्ट करते वक्त दो-चार तरह की श्रेणी में मुझे हुई तकलीफ को बांटने की कोशिश करता है और ब्लॉक करने के अलावा उसके पास ‘रिव्यू’ के लिए भेजने का अॉप्शन देता है। पहली बात तो यह कि मैं उन अब्यूजेज़ को क्लासिफाई नहीं कर पाती इतने लिमिटेड श्रेणियों में। और दूसरी यह कि रिव्यू के लिए भेजने पर भी अगर फ़ेसबुक को कोई ऐसा कंटेट नहीं मिला उस अकाउंट में, जिसे खुद फेसबुक आपत्तिजनक मानता हो तो उस दोषी का अकाउंट यूं ही सामान्य रूप से चलता रहेगा।
ऐसे में ज़रूरत है कि ये प्लैफ़ॉर्म्स अपने नियम सख़्त करें। ऐसी मॉनिटरिंग यूनिट्स अप्वाइंट करें जो इस कंटेट फ़्लो की कड़ाई से जांच करे। आपकी आज़ादी आपको किसी के पर्सनल स्पेस के उल्लंघन का अधिकार नहीं देती। ट्विटर, फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और तमाम बाकी प्लैटफॉर्म्स को और सख्त होने की ज़रूरत है। रिपोर्टिंग अॉप्शंस को और डायनैमिक बनाने की ज़रूरत है। पर्सनल लेवल पर हमें ऐसे लोगों को पब्लिकली डिफेम करने की ज़रूरत है। ज़्यादा से ज़्यादा ब्लॉक करें। प्रोफ़ाइल्स रिपोर्ट करें। अपने पोस्ट पर आए भद्दे कॉमेंट्स डिलीट करें। अपने पेजेस पर आई भद्दी टिप्पणियां हटाएं। गंदगी और नफरत को कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए।
अगर हो सके तो अब्यूज़र्स और हैरेसर्स के खिलाफ लीगल ऐक्शन लें। यहां चुप बिल्कुल न रहें। आपका साथ देने के लिए भी लोग हैं। अलग-अलग प्लैटफॉर्म्स हैं। यह ज़रूरी है कि बच्चों, महिलाओं या किसी भी वर्ग पर हो रहे साइबर वायलेंस का हम डटकर मुकाबला करें। इंटरनेट की सफाई बेहद ज़रूरी है। यह हमारी दुनिया के पैरेलल एक दुनिया है जिसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी हमारी अपनी है।