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“डरिये कि आप मेरे हरियाणा में हैं!”

बेटी बचाओ… हरियाणा की टैग लाइन बन गए हैं ये दो शब्द। पढ़कर लगता ही नहीं कि जो प्रदेश सेक्स अनुपात की गंभीर समस्या से जूझ रहा हो, उसकी सरकार ने कोई कल्याणकारी लाइन बनाई है। लगता है बेटियों को चेतावनी दी जा रही हो कि हरियाणा से बेटियों को बचाओ।

आज मेरे हरियाणा की ये छवि हो चली है कि लोग हरियाणा में जाने से घबराने लगे है, खासकर कि महिलाएं। उनको लगता है हरियाणा में सब रेप करते हैं, यौन शोषण करते है।

क्या कीजियेगा, ये छवि नहीं बल्कि आज-कल एक सच्चाई हो चली है। पिछले 6 दिनों में 7 रेप के मामले हरियाणा में दर्ज किये गए। बलात्कार की खबरों से अभी मेरा प्रदेश उबरा भी नहीं था कि हरियाणवी गायिका ममता का मृत शरीर खेत में पाया गया। ममता पिछले कुछ दिनों से लापता थी। पुलिस के मुताबिक ममता की गला रेत कर हत्या की गई थी।

हर तरफ से एक ही आवाज़ सुनाई दे रही है कि- हरियाणा में महिलाओं का बलात्कार होता है, हत्याएं होती हैं। ऐसा लगता है हरियाणा कोई प्रदेश नहीं बल्कि कोई घुप्प अंधेरे वाली सुनसान जगह है, जहां जाने से लोग घबराने लगे हैं। ये कतई गर्व करने वाली बात नहीं, कि यहां के आला अधिकारी बलात्कार को संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। शर्म आनी चाहिए ऐसे बयान देने वालों को। क्या कानून नाम की चीज़ नहीं है हरियाणा में? और खट्टर जी के मंत्रीगण ‘पद्मावती’ जैसे मिथमई कैरेक्टर को लेकर बच्चों की तरह रो रहे हैं।

जिस प्रदेश की महिलाओं का दम घूंघट ने घोट रखा है, शायद वहां के लोगों को बलात्कार जैसी घिनौनी हरकतों की वजह भी वो मासूम लड़कियां ही लगती हैं, जिनका बलात्कार होता है और ये काफी हद तक सही भी है। जिन लड़कियों का बलात्कार होता है, मेरे यहां का समाज उन्हीं लड़कियों को इसका ज़िम्मेदार ठहरा देता है। खाप पंचायत कहती है कि लड़कियों को मोबाइल नहीं रखने चाहिए। दूसरी तरफ खट्टर सरकार महिला हेल्पलाइन जारी करती है। अच्छी बात है, मगर पहले ये बताइये कि लड़कियां मोबाइल ही नहीं रखेंगी तो हेल्पलाइन का प्रयोग कैसे करेंगी? अगर खाप पंचायत गलत है तो सरकार क्यों नहीं इनको बैन करती?

सिर्फ खाप पंचायत ही नहीं समाज के लोगों का लड़कियों के लिए ज्ञान भी एक अलग ही स्तर का होता है, जैसे- लड़कियों को जींस नहीं पहननी चाहिए, लड़कियों को देर रात घर से बाहर नहीं रहना चाहिए। लड़कियों को ये नहीं करना चाहिए, वो नहीं करना चाहिए वगैरह-वगैरह। क्योंकि ऐसा करने से ही तो बलात्कार होते हैं न! मगर उस तीन साल की बच्ची ने कौन से खराब कपड़े पहने थे, जो उसके गुप्तांगों को नुकीली वस्तु से काट दिया गया? किस सुनसान रास्ते पर गई थी वो या किस महंगें मोबाइल से वो बात करती थी, जिसकी उस मासूम बच्ची को ये सज़ा मिली? इससे एक बात है तो साफ है कि समाज की दकियानूसी हिदायतें निहायत ही खोखली हैं।

ऐसे कितने ही केस है जिनमें बलात्कार की सर्वाइवर लड़कियों को समाज स्वीकार नहीं करता। उन लड़कियों के घर वाले ही अपनी खोखली इज्ज़त बचाने के लिए उनको ज़हर दे देते हैं या फांसी पर लटता देते हैं और पुलिस आत्महत्या का मामला दर्ज कर देती है। आज जब लड़कियां पढ़-लिख कर ऊंचे पदों पर काम कर रही हैं, समाज में अपनी एक अलग पहचान बना रही हैं। उस वक्त मेरा प्रदेश बलात्कार का गढ़ बनने की कतार में खड़ा है और ये बलात्कार की समस्या सिर्फ हरियाणा की नहीं है, देश के बाकि राज्यों का हाल भी कम बुरा नहीं है।

साल 2016 में NCRB के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में कुल 38,947 रेप के मामले सामने आए। जिनमें मध्य प्रदेश में 4,882, उत्तर प्रदेश में 4,816, महाराष्ट्र में 4,189, राजस्थान में 3,656, और ओडिशा में 1,983 बलात्कार के मामले सामने आए।

1,187 बलात्कार के मामले केवल हरियाणा से है। मेरे प्रदेश की इतनी डरावनी तस्वीर पहले तो नहीं थी। प्रदेश से मुंह ना मोड़ो मेरे दोस्तों, वहां की बुराई और समाज में फैली गंदगी से नफ़रत करो। सरकारों को, उनकी जनता का और उनके वोटरों का आदेश है कि प्रदेश में शिक्षा और कानून व्यवस्था को पहले ठीक करो फिर किसी पद्मावती की लड़ाई में भाग लेना। पहले अपने घर की गंदगी तो दूर कर लें ये सरकारें।

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