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SAPNE – AN OPEN LETTER (www.alfaz4life.com)

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SAPNE – AN OPEN LETTER from www.alfaz4life.com
आज बहुत दिनों बाद कुछ लिखने लगा हूँ।  कुछ अपने दिल से , अपने इस छोटे से जीवन के अनुभव से , अपने लिए और हर एक शख़्स के लिए जिस तक भी मेरे यह अल्फ़ाज़ पहुँच पाएंगे , जो भी इसे पढ़ेगा। लेकिन आज कोई कविता या कोई कहानी नहीं लिख रहा हूँ , आज बस अपने आज़ाद ख्याल लिख रहा हूँ , अपने आज़ाद अल्फ़ाज़ लिख रहा हूँ और आज के यह अलफ़ाज़ किसी समाज या किसी रिवाज़ के बारे में नहीं हैं , आज के यह अल्फ़ाज़ हम सबकी इन दो आँखों से देखे सपनों के बारे में हैं , उन सपनों को पाने के लिए हमारे दिल में पलते जुनून के बारे में हैं। यह सपने वो सपने नहीं हैं जो हर रात को नींद में सो के देखे जाते हैं और सुबह होते ही रात के अँधेरे के साथ भुला दिए जाते हैं , यह सपने वो सपने नहीं हैं जो हर रात अपना रूप बदल लेते हैं।  यह सपने वो सपने हैं जो एक बार देखने के बाद तमाम उम्र सोने नहीं देते , जो दोबारा कोई और सपना देखने नहीं देते, जो अपने ही रूप में आपकी ज़िन्दगी बदल देते हैं।  यह सपने वो सपने नहीं जो आपको डरा के उठा देते हैं , यह वो हसीन सपने हैं जो आपको जीने की वजह देते हैं एक मक़सद देते हैं।  लेकिन यहाँ मेरा तात्पर्य इन सपनों को ब्यान करना नहीं हैं , बल्कि इन सपनों को हर हाल में पूरा करने से है। यह सपने जो आपसे दिन में मेहनत करवाते हैं और रात को सोने नहीं देते ,  इन्हें सिर्फ दिन के आराम के लिए या रात में चैन की नींद के लिए कुरबान मत करिये , क्यूँकि कुछ चंद दिनों के आराम और रात की नींद के बाद जब दिन-रात एक जैसे साये में होते हैं तो यकीन करना साँस लेना भी मुश्किल लगता है। कृप्या इन सपनों को किसी भी अपने या किसी बेगाने पर हार मत देना , क्यूँकि फिर कोई भी जीत इस हार की भरपाई नहीं कर पायेगी।  इन अनमोल सपनों को किसी के लिए भी (हाँ , किसी का मतलब किसी के लिए भी ) निशावर मत करना , क्यूँकि दुनिया के हर इन्सान या हर रिश्ते के लिए आप उतनी देर तक सही हो जब तक आप उसके अनुसार ज़िन्दगी जी रहे हो, जैसे ही आप अपनी ईशा से जीना शुरू करोगे तो आप सबकी नज़रों में गलत हो जाओगे।  और जब आपको एक ना एक दिन गलत होना ही है तो फिर वो गलती अपने सपनों के लिए आज ही कर लेना , उसके लिए कल का इंतज़ार मत करना।  क्यूँकि फिर वो कल तो आपके पास होगा पर शायद आपके सपने या फिर उन सपनों को पूरा करने का जुनून नहीं होगा , और शायद उस कल में आप खुद आज वाले आप नहीं होंगे। आखिर में सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि इन अल्फ़ाज़ों का लावा उगलने से मेरे बेबस दिल को शायद ही कुछ राहत मिलेगी , लेकिन अगर इन अल्फ़ाज़ों से किसी एक सपने की जान भी बच जाये तो शायद किसी बहार में लिपटे पहाड़ को जवालामुखी बनने से बचाया जा सकता है। तो आप सबसे एक ही निवेदन है कि किसी के लिए भी और किसी भी कीमत पर अपने सपनों से समझोता मत करना , क्यूँकि इस जहान में दुआओं के बद-दुआओं में बदलने में देर नहीं लगती। और हाँ यह सब लिखते हुए मेरे दिमाग में चल रही महान कवि ‘पाश’ की नज़म ‘सपने’ की कुछ पंक्तियाँ भी आप सबके साथ सांझी करता हूँ –
                                                                                                 
                                                    सपने हर किसी को नहीं आते
                                                    सपनों के लिए लाज़मी है ,
                                                    झेलनेवाले दिलों का होना
                                                    नींद की नज़र होनी लाज़मी है
                                                    इसलिए सपने हर किसी को नहीं आते
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