Site icon Youth Ki Awaaz

गोलियां चलाकर शादी और उत्सव मनाने का ये कैसा चलन है?

बीते 30 दिसम्बर को हरियाणा के कैथल ज़िले में शादी के एक समारोह के दौरान हुई एक दु:खद घटना इन दिनों चर्चा में है। शादी के जश्न में शामिल एक रिश्तेदार के द्वारा की जा रही हवाई फायरिंग की चपेट में आकर एनआरआई दूल्हे की मौत हो गयी। इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना पहली बार घटी हो ऐसा नहीं है, सिर्फ पिछले दो सालों की ही बात करें तो ऐसी कई घटनाएं लगातार सामने आयी हैं।

17 अप्रैल 2016 को दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में इसी तरह की हवाई फायरिंग की एक घटना में एक लड़की की मौत हो गई थी। गली से गुज़र रही बारात को देखने के लिए अपनी बालकनी में आकर खड़ी हुई वह लड़की, बारातियों के बीच से की जा रही हवाई फायरिंग की शिकार हो गई थी। गोली उसके सिर पर लगी थी और अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया था।

इस घटना के ठीक दो दिन बाद 19 अप्रैल 2016 को बिहार के आरा जिले में शादी के जश्न में की जा रही हवाई फायरिंग की चपेट में आकर एक बच्चे की मौत हो गई थी और दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

3 नवम्बर 2016 को पंजाब के बठिंडा में एक शादी समारोह के दौरान मैरिज पैलेस में स्टेज पर डांस कर रही डांसर कुलविंदर कौर की कथित तौर पर हवाई फायरिंग के दौरान सिर में गोली लगने से मौत हो गई थी। उस समय कुलविंदर दो महीने की गर्भवती भी थी। कुलविंदर के साथ डांस कर रही एक साथी डांसर ने इस घटना के बाद यह आरोप लगाया था कि यह हवाई फायरिंग की आड़ में की गयी एक इरादतन हत्या थी, क्योंकि आरोपी पहले से ही कुलविंदर को परेशान कर रहा था। इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है, क्योंकि कभी-कभी इस तरह की घटनाओं का एक छुपा हुआ पहलू यह भी हो सकता है।

15 नवम्बर 2016 को अपने भड़कीले बयानों के लिए जानी जाने वाली साध्वी देवा ठाकुर हरियाणा के करनाल में एक सगाई समारोह में बतौर अतिथि शरीक हुई थी। इस दौरान मनाए जा रहे जश्न का एक वीडियो सार्वजनिक हुआ था। जिसमें साध्वी अपने अंगरक्षकों के साथ तरह-तरह की बंदूकों से अंधाधुंध हवाई फायरिंग करते हुए नज़र आई थी। इसी हवाई फायरिंग की चपेट में आकर एक महिला की मौके पर ही मौत हो गयी थी और पांच लोग घायल हो गए थे।

कुछ दिनों पहले 18 नवम्बर 2017 को पंजाब के कोटकपुरा में शादी से एक रात पहले रखे गए संगीत समारोह के दौरान कथित तौर पर नशे में धुत्त दूल्हे के मामा ने अपने रिवाल्वर से हवा में गोलियां चलानी शुरू की। उनकी देखा-देखी दूल्हे के मौसा ने भी अपने रिवाल्वर से हवाई फायरिंग शुरू कर दी। हवाई फायरिंग की इस होड़ में एक गोली एक बच्चे की गर्दन को छूते हुए एक दूसरे बच्चे की पीठ पर लगी, जिससे उसकी मौत हो गयी जबकि पहला बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया।

यहां जिन घटनाओं का ज़िक्र हुआ है, वह ऐसी घटनाओं के कुछ उदाहरण भर हैं। इस तरह की जितनी घटनाएं घटी हैं, उन सभी का इस छोटे से लेख में ज़िक्र कर पाना संभव नहीं है। क्या यह चिंता की बात नहीं है कि इस तरह की घटनाएं बार-बार घट रही हैं और बिना वज़ह निर्दोष लोगों को अपनी जानें गवानी पड़ रही हैं! आखिर वह कौन सी कमज़ोरियां हैं, जिनकी वज़ह से ऐसी घटनाएं नहीं रुक पा रही हैं?

ऐसी घटनाओं के सामने आने पर दोषियों पर ग़ैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज़ होता है और हथियार के अवैध होने पर या हथियार के ग़लत इस्तेमाल के कारण आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जाता है। इन दोनों ही मामलों में कोई बड़ी सज़ा नहीं होती जिससे ये मामले कोई नज़ीर नहीं बन पाते। इसके अलावा इस तरह की घटनाओं का दूसरा पहलू यह भी है कि शान-ओ-शौकत या दबंगई के प्रदर्शन के लिए की जाने वाली हवाई फायरिंग को लेकर जश्न में शरीक लगभग सभी लोगों के मन में एक तरह से स्वीकृति की भावना होती है और इस वजह से जब मौतें होती हैं तो उसे लोग अंजाने में हुई एक दुर्घटना मानते हैं।

कई मामलों में चूंकि हवाई फायरिंग करने वाला रिश्तेदार ही होता है, इसलिए घटी घटना को खराब या संयोग मानकर मामले को रफा-दफा करके दोषियों को बचाने की कोशिश की जाती है। बहुत संभव है कि कई मामलों में दोषियों के रसूख की वजह से गवाहों का मिलना भी कठिन हो जाता होगा। यानी कि इस तरह के मसले की दो सबसे बड़ी कमज़ोर कड़ियां यह हैं कि अधिकांश लोग जश्न के दौरान की जाने वाली हवाई फायरिंग को ख़तरनाक और अपराधिक कृत्य मानने के बजाय जश्न का एक हिस्सा मानते हैं। दूसरी कमज़ोर कड़ी यह है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई मजबूत और स्पष्ट कानून नहीं है।

यह ज़रूरी है कि किसी भी उत्सव के दौरान हथियारों के द्वारा शान और ताकत के प्रदर्शन को लेकर लोगों का यह स्पष्ट नज़रिया होना चाहिए कि यह एक अपराधिक कृत्य है। यह इतना खतरनाक है कि कभी भी वहां मौजूद किसी व्यक्ति की जान या कई व्यक्तियों की जानें जा सकती हैं। सामाजिक स्तर पर ऐसे लोगों और ऐसे समारोहों का बहिष्कार होना चाहिए, जो जश्न के नाम पर शान और ताकत के ऐसे जानलेवा प्रदर्शन पर विश्वास करते हैं।

चूंकि इस तरह की घटनाएं लगातार घटती रही हैं, इसलिए ज़रूरी है कि अदालतें या हमारी विधायिका इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कारगर कानून को प्रभाव में लाने की दिशा में पहल करे। मसलन ऐसे किसी भी तरह के कृत्य को जिससे किसी की जान को गंभीर खतरा हो सकता है, यह जानते हुए भी अगर कोई उसे अंजाम देता है और उससे किसी की जान जाती है तो उसे गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में रखने के बजाय इरादतन हत्या की श्रेणी में रखा जाना चाहिए।

इसी तरह यह भी तय किया जाना चाहिए कि यदि किसी समारोह में कोई हथियार लेकर आता है और मेज़बान यह जानते हुए भी उन्हें समारोह में शरीक होने देते हैं अथवा पुलिस को सूचना नहीं करते तो उनके ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उस समारोह में शरीक उस हर व्यक्ति को दोषी माना जाना चाहिए जो हवाई फायरिंग की घटना या इसके इरादे का चश्मदीद होकर भी इसकी सूचना पुलिस को नहीं देता हो। यदि इस तरह के या इससे बेहतर उपाय नहीं किये गए तो उत्सवों के दौरान दुर्भाग्यपूर्ण मातमों का यह सिलसिला कभी रुकने वाला नहीं है।

Exit mobile version