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ऑनलाइन नफरत को रोकने के लिए भारत को भी लाना होगा जर्मनी जैसा कानून

जर्मनी में 2017 में बना एक कानून नेट्जडीजी (NetzDG), 1 जनवरी से लागू कर दिया गया है। इस कानून का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स, फेसबुक, ट्विटर आदि से नफरत फैलाने वाले भाषण, फेक न्यूज़ और अश्लील अवैध सामग्री को दूर करना है। बताया जा रहा है कि इस कानून के अनुसार 1 जनवरी से कोई भी ऐसा कंटेंट जो नफरत या डर फैलाने वाला होगा, उसे हटा दिया जाएगा।

अधिकांश लोग असल वास्तविकता और इतिहास से दूर उन्हीं विचारों या समाचारों पर विश्वास करने लगते हैं जो उनमें गर्व की भावना भरते हैं।

जैसे- जिसे हिन्दू होने पर गर्व हो वही इस पेज को लाइक करें, अभी-अभी शोभायात्रा निकली जामा मस्जिद के सामने, युवा बजरंगियों का जन सैलाब, नार्मद दूर रहें, कट्टर हिन्दू शेयर करें और पेज लाइक करना ना भूलें आदि।

ये कुछ और उदहारण हैं- मेरे ख्वाजा का सिक्का चलेगा क्या आपका एक शेयर मिलेगा, सच्चे मुस्लिम इस पेज को लाइक करें। येरूशलम को इज़राइल की राजधानी घोषित किए जाने पर फिलिस्तीनी भाइयों ने मस्जिदे अक्सा के लिए सड़कों पर उतर कर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया, इससे भी बड़ा हुज़ूम अब हिंदुस्तान के कोने-कोने से निकलना चाहिए अल्लाह मदद करे। हर जगह हरा छाएगा, मीम राज्य फिर आएगा वगैरह-वगैरह।

कुछ इसी तरह के पोस्ट हर दिन सोशल मीडिया पर सबके सामने से गुज़रते हैं। ये नफरत का वो तेल है जिसे तमाम धार्मिक-मज़हबी संस्थान पिंडलियों पर रगड़-रगड़कर सड़कों पर हिंसा तक करने को उतर आते हैं। अब चाहे धर्म के नाम पर लोगों के भड़काना हो या नफरत का कोई झूठ फैलाना हो या फिर किसी सेलीब्रिटी को निशाना बनाना हो। सोशल मीडिया पर यह काम धड़ल्ले से जारी हैं। दो मिनट में ये लोग आपको धर्म का पाठ पढ़ा जाते हैं कि कौन सा त्यौहार मनाना है और कौन सा नहीं। हवन की फोटो डालने वालों को ये लोग कलश और दीपक का उचित स्थान समझाते है, क्या धर्म के विरुद्ध है और क्या नहीं या फिर किन चीजों से मज़हब को खतरा होता है और किन से नहीं।

मुस्लिम महिलाएं क्या पहने, हिन्दू क्या पहने, इनके पास उचित मात्रा कॉपी पेस्ट की गयी सामग्री है। इसके बाद नफरत और समाज में ज़हर भरने वाले फोटोशॉप हुए रक्तरंजित चित्र आप इनकी फेसबुक वाल से मुफ्त प्राप्त कर सकते हैं। इनका कोई स्थाई पता नहीं होता ये अक्सर दिल के बीच अपने फोटो सजाकर हर रोज़ दिमाग से लेकर सामाजिक समरसता पर हमला करते रहते हैं।

ये लोग करवाचौथ की शुभकामनाएं देने पर हरभजन सिंह को सिख धर्म का पाठ पढ़ा जाते हैं। सूर्य नमस्कार करने पर क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को मज़हबी आयतें सिखा जाते है। देश की बैडमिंटन प्लेयर सायना नेहवाल को अपने स्मार्टफोन की पिक अपलोड करने पर देशद्रोही कहकर स्वदेशी का झंडा थमा जाते हैं। किसी बड़े पत्रकार या अभिनेता को कितना बोलना है, क्या बोलना है उसकी मात्रा ये लोग तय करते दिख जाते हैं। किसी की मौत पर रोने वालों को पिल्ले, किसी को कुतिया या वेश्या तक कहना या देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन लोगों को अपशब्द कहना ये अपना पहला हक समझते हैं।

पिछले महीने ही ट्विटर पर ट्रोल किए जाने से आहत होकर पॉर्न फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री अॉगस्ट एम्स ने आत्महत्या कर ली थी। क्रिकेटर हो या अभिनेता, पत्रकार हो या अन्य कोई सामाजिक, राजनीतिक चेहरा उनको ट्रोल करने का ये चलन एक तरह से दैनिक नियम बन गया है। आखिर कौन हैं ये लोग जो कमज़ोर आस्था और कट्टर सोच लिए उसे थोपने को सोशल मीडिया पर ग्रुप, पेज और कमेन्ट बॉक्स टटोल रहे हैं?

कुछ वर्ष पहले तक कट्टर, नफरत या हिंसा की विचाधारा से ग्रस्त लोग दूर-दूर थे, लेकिन आज के दौर के संचार माध्यमों ने उन्हें निकट ला खड़ा किया है। संचार के तमाम तरीकों से एक तरह की विचारधारा वाले लोग एक-दूसरे से प्रभावित हो रहे हैं। एक दूसरे के हद से ज़्यादा प्रोत्साहन की वजह से उनकी अपनी राय भी कट्टर होती जाती है। मैं अपनी जगह सही हूं, इस विचारधारा पर भरोसा बढ़ने के साथ ही लोग दूसरे से नफरत करने लगते हैं।

दुनिया को एक दुसरे से जोड़ना वाला सोशल मीडिया का मंच आज निर्बाध, अनियंत्रित और अमर्यादित अभिव्यक्ति का मंच बन गया है। ये आसान भी है! क्योंकि गलत नाम और परिचय के साथ सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाया जा सकता है और आपके ख़िलाफ कौन बोल रहा है आपको पता तक नहीं चल पाता।

कुछ लोग सोचते होंगे कि इनकी नफरत से हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है तो सच ये कि इनकी नफरत की विचारधारा से पूरा समाज और देश हिस्सों में बंट जाता है, पिछले कुछ वर्षों में कई हत्याओं का मूल कारण सोशल मीडिया पर फैलती विचारधारा भी रही। दरअसल ये कोई रूहानी आत्मा नहीं है। आपको इन्हें सोशल मीडिया पर रिपोर्ट करना होता है, ब्लॉक करना भी अच्छा विकल्प है या फिर सरकार ही जर्मनी की तरह कोई कानून ले आये, क्योंकि इन्हें समझाना और हज़ार साल पुरानी खोपड़ी खुजाना एक ही बात है।

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