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अंग्रेजी वाली हिंदी??

आज के जमाने का भी क्या कहना बड़ी ही तेजी से आगे बढ़ रहा है। उस तेजी में बहुत कुछ छूट रहा है। देश का विकास हो रहा है। 

पहले तो हर जगह पीसीओ होता था । लेकिन आज देखो मैं ये बातें भी फ़ोन से लिख रहा हूँ।

आज लोग हिंदी को भूलते जा रहे हैं।क्या लोग तरक्की अंग्रेजी बोल के करेंगे? क्या चीन दूसरे भाषा मे बोलकर अपनी देश की प्रगति कर रहा है?

मेरी इस बात को समझिए –

हम अंग्रेजो से बात करते हैं । अंग्रेजी सिखके तो क्या वो जिनके हमारे परदादा, उनके पिता गुलाम रहे वो हमारे लिए हिंदी नही सिख सकते।

क्या हम अपने परदादा के दर्द को और बढ़ावा दे रहे है?

हमारा देश विकसित हो रहा है, अमेरिका या चीन ऐसे ही इतने विकसित नही हैं।

विकसित बनाया उनकी भाषा ने उनके बोलने वाले लोगों ने।

आज की हिंदी में अंग्रेजी भी मिल गयी है ।जैसे आपने नोटिस किया होगा -नोटिस , पीसीओ,फ़ोन।

ऐसी भी बोल का क्या फायदा जिसमे अपनापन न हो । और अपनापन सिर्फ हिंदी में है। और इसीसे हमारा देश आगे बढ़ेगा।

सिद्धार्थ गौतम

 

 

 

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