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आखिर कौन हूँ मैं?

भारत ।।। एक खुशाल संपन्न देश्।।। जहाँ लोगो को जीने की आज़ादी है खुश रहने की आज़ादी है बोलने की आज़ादी है।।।जहां लोगो में प्यार और रिश्ते बहुत अहेमियत रखते है।। लोग एक दूसरे की इज्जत करते है।।।कितना अच्छा लगता है न सब सुनने में।।।पर रुको ये तोह ९०’ के जमाने वाली बात होगयी न क्यूंकी आज तोह सब बदल गया।।। इंसान।।।वो इंसान जिसको भगवान ने प्यार करने क लिए बनाया आज जानवर बन ग्य।।। जिस देश म खुशहाली की किलकारियाँ गूंजती आज हर गली रात को डर से सुनसान है ।क्यों क्यूंकी इंसान अब इंसान नही रहा।।।कभी कभी इतना गर्व है की मै एक लड़की हूँ क्यूंकी लड़कियां स्ट्रांग होती है, लेकिन अगले ही पल ख्याल आता है की मै ही क्यों भगवान ने मुझे ही क्यों लड़की बनया।।। डर लगता है खुद क अस्तित्व से।।।। मेरे घर में बेटी हुई भाई को सुनकर बहुत ख़ुशी मिली सबलोग इतने खुश हुए इतने टाइम बाद घर म बेटी हुई।।।पल भर मे मन में एक डर घर कर गया अचानक आज की सच्चाई घूम गयी आँखों क सामने।।। वो दुनिया में तो आगयी पर ऐसी दुनिया में जियेगी कैसे।।। फिर सोचा बड़ी होगी तो हमारी गुड़िया उस स्कूल में जाएगी वहाँ पडेगी।।फिर बहुत सारी अखबार हेडलाइंस दिमाग में घूम गायी।।। बस कंडक्टर ने किया दुष्कर्म।।। स्कूल क टीचर ने किया एक मासूम का बचपन तबाह ।। और अंदर से हिल गयी में।।।हर जगह हर पेहर हर कही ऐसी निगाहें उसे घूर रही होंगी जिनसे उसे बचना होगा पर किस पे विश्वास करेगी।।। किसको अपना मानेगी।। किसे दोस्त बनाएगी।।।और इन्हीं खयालों के साथ में अपने घर वापस आगयी इसी चिन्ता में की भगवान उसको इतनी हिम्मत दे की वो इन जानवरो की निगाहो से खुद को बचाले।।।।
उसी रात सोते टाइम मुझे अपने साथ हुई एक घटना याद ायी।।। मै जयपुर पढ़ा करती थी एक दिन युही घूमते हुए मैने और मेरी सहेली ने पाव भाजी खाने की सोचा और निकल लिए अपनी मस्ती और अल्हड़पन में बिना ये सोचे की हम जिस सड़क जा रहे हैं वो कुछ टाइम बद सुनसान हो जाएगी।।। क्युकी इससे पहले मैंने इसे कभी कुछ मेहसूस न किया था वो डर जो हर लड़की को लगता है घर से निकलने से पहले मुझे न पता था।।हम जाते जा रहे थे की अचानक मुझे मेहसूस हुआ की दो निगाहें घूरते हुए हमारा पीछा कर रही हैं बहुत अजीब लगा।।। बहुत डर लग रहा था पर खुद पे काबू रखे हम चल रहे थे और फिर बाजार पहुँच गए जहाँ काफी भीड़भाड़ थी और अब वो निगाहें पीछे भी नहीं थी तो ये सोच कर बहुत सुकून मिला हमने फटाफट पाव भाजी खायी और वापस निकल लिए जाते समय थोड़ा अँधेरा होगया था।।। हम चल रहे थे की फिर वो ही मेहसूस हुआ और वो ही निगाहें फिर पीछा करने लगी अब डर और भी बढ़ गया था क्यूंकी वो सुनसान सड़क जो आने वाली थी जहाँ अब पहले से ज्यादा अँधेरा होगया त।। अचानक कुछ सुनाई दिया कोई हमपर हसाँ।। वो लोग गंदे गंदे कमेंट्स करने लगे और हसने लगे।।।। अब डर और ज्यादा बढ़ गया ।।।। सारे केसेज़ आँखों क सामने आगये।।। मन में लोगो की बातें आगयी कोई बोलेगा और भेजो लड़कियो को घर से बाहर पडाने।। कोई बोलेगा इतनी रात को अकेले जाने की जरूरत क्या थी।।। इतना डर मुझे मेरे जीवन में कभी मेहसूस न हुआ था। फिर मनमें सोचा की डरने से अच्छे अगर हम हिम्मत से काम लेंगे तो शायद कुछ काम बने।।। और मैने फटाफट फ़ोन निकला और अपनी एक सहेली को मैसेज किया की मुझे कॉल करो अर्जेंट है।।। जैसे ही उसका कॉल बजा मैने उठाया और हिम्मत के साथ वही रुक कर उसे इसे बात की जैसे मै मेरे भाई को बुला रही हूँ ।।। वो लोग डर गए और वह से चले गए।।। उस रात मुझे नींद नहीं आयी बहुत रोई भी की आखिर हूँ कौन में।।। क्या अस्तितव है मेरा।। मै कोई देखने का सामान हूँ जिसको ऐसे लोगो क लिए बनाया है।।। मेरी क्या पहचान है।।। आखिर मै लड़की ही क्यों हँ।।और भगवान को भी बहुत कोसा की मुझे ये जीवन क्यों दिया।।। मुझे भी लड़का बनना त।।। मुझे भी सडको पे बेफिक्र होके घूमना है।।। मुझे ये डर सौगात में क्यों दिया।।।।
जवानी से लेकर बुडापे तक बस एक चीज सिखाई जाती है हमे की तुम लड़की हो और यही तुम्हारी गलती है और तुम झुक कर रहो हर जगह।।। तुम्हे सुनना पड़ेगा सेहना पडेगा।।। तुम उन जैसे नहीं हो।।। अचछे खानदान की लड़कियां इसे कपडे नहीं पहनती बहार रात में घूमने नहीं जाती।।। हमारी संस्कृति के खिलाफ है हमारी मर्यादाओ के खिलाफ़।।। वो संस्कृति ये भी सीखाती है की औरतो की इज्जत करो।।। वो मर्यादा ये भी सीखती है लड़कियो को इज्जत से देखो इज्जत से बात करो।।। आज एक न्यूज़ पड़ी की एक ८ महिने की बच्ची का बलात्कार उसी के कजिन भाई ने किया जो २८ साल का त।।। हम दिन ब दिन इतने जानवर बनते जा रहे हैं क्यों? कहाँ ऐसी कमी है संस्कारो में जो अपना पराया सही गलत सब भूलते जा रहे हैं उस बचची ने न तोह छोटे कपडे पहनते थे न वो रात को बाहर गयी थी फिर भी उसके साथ हुआ क्यों? अब हम यहाँ क्या बहाने लगाएगें कोन दोषी है?
एसी आज़ादी का भी क्या फायदा।।। आखिर कब मिलेगी हमें सही मायने में वो आज़ादी जिसके हम हक़दार है।।। कब।।। इस कब और क्यों के जवाब जिस दिन मिल जाएगा शायद वो आज़ादी मिल जाएगी।।।।।। और फिर से भारत वो सोने की चिड़िया बन सकेगा जिसकी हमे बरसो से तलाश है।।।।

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