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फिर याद आया किसान

             किसानों के हित में 
वित्तमंत्री अरूण जेटली ने आशा के अनुरुप ही वजट का फोकस किसानो और ग्रामीण क्षेत्रो पर रखा | भारत मे 70% अबादी गांवो मे रहती हैं और गांव मे रहने वाले ज्यादतर लोग किसान वर्ग के ही होते हैं | इसे चुनावी वजट कहे या कुछ और लेकिन आपने ढाँचे मे यह पुरे देश का वजट हैं | इसका ज्यादा जोर ग्रामीण विकास पर हैं | ज्यादा बोलने वाले लोगो को किनारे रख कर धीरे बोलने वाले नागरिकों के हितो का भी ध्यान रखने का प्रयास किया गया हैं | दूसरे शब्दो मे कहे तो थोड़ा जोखिम उठाते हुये सरकार ने इस बार शहरी मध्यवर्ग के वजाए गांवो और गरीबों को ज्यादा तवज्जो दी हैं |सन्देश साफ हैं की जब तक जमीनी विकास नहीं होगा तब तक आर्थिक विकास की गति सुनिश्चित नहीं की जा सकेगी | किसानो के शिकायत को दूर करते हुये खरीफ फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुना करने की बात की गई हैं | ऐसे मे असल चीज हैं लागत का सही निर्धारण | दो हजार करोड़ रुपये की लागत से कृषि ऊपजो के बाजार का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की बात कही गई हैं | किसानों को कर्ज के लिए वजट मे ग्यारह लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया हैं | सरकार चाहती हैं की गांवो मे न सिर्फ बिनियादी जरूरते उपलब्ध हो बल्कि वहाँ तकनीकी सुविधाये भी जुटाई जाये ताकी किसानो का हर स्तर का विकास संभव हो सके इसके लिए वहाँ दो करोड़ शौचालय बनाने, बिजली और गैस कनेक्शन के अलावा गांवो मे इंटरनेट के पाँच लाख हॉटस्पॉट बनाये जायेंगे |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सूरक्षा के तहत दस करोड़ गरीब परिवारों के लिए सालाना पाँच लाख रुपये के स्वास्थ्य बिमा का ऐलान किया गया हैं | सरकार को ध्यान रखना होगा की इसका असल लाभ कही बिमा कंपनियों और प्राईवेट अस्पतालों तक ही सिमट कर ना रह जाये | बेहतर होगा की अस्पतालों की फीस पर नजर रखने के लिए कोई सिस्टम बने | सिर्फ बातो से तो नहीं होगा, जिस वर्ग की सुध ली गई हैं, उस तक चीजे पहुँच सकी तो देश मे फिल गुड का माहौल रहेगा |

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