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भारत-पाकिस्तान संबंध और बहुस्तरीय मिक्स एंड मैच रणनीति ..

सन्दर्भ

कुछ लोग कहते हैं वार्ता ही समाधान है – पर वार्ता का क्या हस्र होता है हम सबने देखा है क्योंकि1999 लाहौर बस यात्रा के बाद करगिल हुआ , 2000 आगरा बैठक के बाद लोकतंत्र के मंदिर संसद पर हमला इसके कुछ दिन बाद फिर वार्ता और 2008 मुम्बई हमला जैसी कायराना हरतकत..फिर वार्ताओं का दौर चला..सरकार बदली तेजी से आपसी संबंधों को सुधरने के लिए विवाह ,गिफ्ट और साल कूटनीति अपनाई लेकिन कुपवाड़ा, पठानकोट,पुलवामा आदि आदि में सेना पर आतंकी हमले..ये लिस्ट बहुत लंबी है .. मतलब वार्ता का पाकिस्तान पर कोई सकारात्मक और स्थाई प्रभाव नही ।
अब दूसरा पक्ष जो लोग कहते हैं सेना पाकिस्तान का माकूल जवाब है तो 1965,1971, कारगिल और अब सर्जिकल स्ट्राइक का पाकिस्तान पर कोई विशेष दबाव नही । आतंकी देश के आतंकी हमले पहले जैसे ही जारी हैं ।
साथ ही हम अमेरिका पर भी कोई बहुत विश्वास नही कर सकते जो कभी पाकितान को परिणाम भुगतने की धमकी देता है और उसकी आर्थिक सहायता बन्द कर देता है परंतु कुछ दिनों में ही सब सामान्य हो जाता है और दुबारा आर्थिक सहायता की घोषणा हो जाती है ।वहीं चीन तो पाकिस्तान के साथ पहले ही था अब रूस भी सम्बंध बढ़ा रहा है ।

प्रश्न है कि ऐसी परिस्थितियों में भारत क्या रणनीति अपनाये की वह वार्ता – आतंकी हमला – वार्ता स्थगित – फिर वार्ता – फिर आतंकी हमला/ सीमा पर से गोलीबारी – फिर वार्ता स्थगित – फिर वार्ता के दुष्चक्र से निकल पाये…..जबकि ऐसी ही स्थिति दशकों से बनी है ।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों का यह एक कटु सत्य है कि “ मित्र तो बदल सकते हैं परंतु पड़ोसी नही “ परंतु इसका अर्थ यह नही है कि हमारा पड़ोसी हमारे विकास तथा शान्ति-व्यवस्था में बाधा उत्तपन्न करता रहे और हम कुछ भी ना करें अथवा सीमित प्रयास करके ही रह जायें । वास्तव में जिसप्रकार उपरोक्त कथन सत्य है उसी प्रकार “ राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति भी किसी राष्ट्र के लिये शाश्वत धर्म है ।“ इसलिए पड़ोसी राज्य को बदला बेशक से ना जा सके परंतु शसक्त प्रयासों से उसके व्यवहार में परिवर्तन लाकर हम अपने निहित उद्देश्यों को सुनिश्चित अवश्य कर सकते हैं । यही बात भारत-पाकिस्तान सम्बन्धो पर भी लागू होती है जो अपनी है हठ-धर्मिता के चलते सदैव भारत विरोधी रुख अपनाता है।

चूंकि यह समस्या बहुत उलझी हुई तथा दुरूह है, इसलिये भारत को पाकिस्तान के लिए बहुस्तरीय मिक्स एंड मैच रणनीति अपनानी चाहिए। अब पहले यह देख लिया जाये कि यह रणनीति होती क्या है ??
यदि सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऎसी रणनीति है जिसमें जिस कार्यवाही की जहाँ आवश्यकता हो उसे अपनाया जाता है साथ ही एक साथ कई स्तरों पर विरोधी को घेरने का प्रयास होता है। जैसे सरकारी स्तर पर वार्ता, सैन्य स्तर पर सख्त कार्यवाही यहां तक की छद्द्म युद्ध का सहारा भी लिया जा सकता है साथ ही वैश्विक स्तर पर विरोधी देश को अलग-थलग करने की, रणनीति अपनाई जाती है ।

यदि पाकिस्तान के साथ इस रणनीति को जोड़ कर देंखें तो इसे निम्न कार्यवाहियों के माध्यम से सम्पादित किया जा सकता है :-

1. सतत वार्ता की रणनीति :- इस रणनीति के तहत चाहे आतंकी हमला हो या फिर सीमा पर सीज़-फायर का उल्लंघन परंतु राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से लेकर शिखर वार्ता का क्रम टूटना नही चाहिये । इसके दो लाभ होंगे एक तो इससे जो पिछली वार्ताओं में प्रगति हुई है वो व्यर्थ नही जाएगी । दूसरे इससे वार्ता विरोधी तत्त्वों को भी यह स्पष्ट संदेश जायेगा कि उनका विरोध वार्ताओं को भंग नही कर सकता।
2. सेना तथा सीमा के स्तर पर :- अपनी सेना को अत्याधुनिक हथियार और प्रशिक्षण के साथ सिमा को लेजर उपकरणों, उपग्रहों की निगरानी, नाईट विज़न कमरों के साथ स्वचालित आयुध्दों से अभेद्य बना देना चाहिए जिससे घुसबैठ, तथा सीमावर्ती सेना के कैम्पों पर होने वाले आतंकी हमलों को रोका जा सके ।
3. सर्जिकल स्ट्राइक :- सर्जिकल स्ट्राइक को सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बनाया जाये जिसका सम्पादन प्रत्येक आतंकी हमले या सीज़-फायर उल्लंघन के बाद किया जाए और आतंकियों के लॉन्चिंग पैड के साथ पाकिस्तानी सेना के कैंपो को भी निशाना बनाया जाये जिससे उनके मन में भय उत्पन्न हो ।
4. वैश्विक स्तर पर :- पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति अपनानी चाहिये । इसके लिये महाशक्तियों से सम्बन्धों को और प्रगाढ़ करना होगा, अतः जहां एक तरफ क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत) को मजबूत करके अमेरिका को चीन के संदर्भ में साधना होगा वहीं दूसरी तरफ रूस के साथ हथियारों और तेल के व्यापार (भारतीय कंपनियां रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदतीं हैं परंतु बीच समुद्र में दूसरे देशों को बेच देती हैं) से आगे बढ़ कर वस्तु व्यापर के मार्ग तलाशने होंगे । जिसमें शंघाई सहयोग के देशों में मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना, भारत का यूरेशियन यूनियन में शामिल होना, उत्तर-दक्षिण अंतररष्ट्रीय व्यापार कॉरिडोर के निर्माण में तेजी लाना और ब्रिक्स देशों के मध्य सहयोग को अधिक विश्वसनीय बनाना निर्णायक हो सकता है।
5. क्षेत्रीय स्तर पर :- दक्षिण एशिया में सार्क बैठक (नेपाल) में स्थगित करवाकर गोआ में सार्क और बिम्सटेक की बैठक एक साथ करवा कर भारत अपनी कूटनीतिक क्षमता का परिचय दे चुका है । जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में पाकिस्तान की पहुँच भारत की तुलना में नगण्य है । परंतु पश्चिम एशिया में स्थिति कुछ अलग है क्योंकि यहाँ इस्राइल, ईरान तथा फिलिस्तीन में तो भारत को पूरा समर्थन है परंतु अन्य देशों में पाकिस्तान का पलड़ा भारी है। हालांकि हाल के वर्षों में भारत ने इस क्षेत्र में भी काफी सक्रियता दिखाई है और सऊद अरब , ओमान , यू. ए. ई. आदि देशों से सम्बन्धों को काफी सुधारा है । जिसे भारत को आगे भी निवेश, व्यापार ,भारतीय प्रवासियों वा रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से और बढ़ा कर पाकिस्तान की पकड़ कमजोर करनी होगी ।
6. छद्द्म युद्ध तथा आंतरिक मोर्चे पर उलझाने की रणनीति :- जिस प्रकार पाकिस्तान सीमा पर लगातार गोलीबरी करके भारत को एक युद्धपूर्ण स्थिति में रखता है उसी प्रकार भारत को भी करना चाहिए।
साथ ही भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में पाकिस्तान विरोधी तत्वों को गुप्त रूप से मदद करनी चाहिए जिससे पाकिस्तान अपने आंतरिक मोर्चे पर ही उलझा रहे वास्तव में कुछ इसी प्रकार की रणनीति पाकिस्तान भी भारत के विरुद्ध अपनाता है।

इसप्रकार सपष्ट है कि यह एक सक्रिय और आक्रामक रणनीति है चूंकि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है इसलिये यदि उसे अपने अस्तित्व पर खतरा नज़र आयेगा तो वह इसका प्रयोग अंतिम उपाय के रूप में कर सकता है । अतः भारत को चाहिए कि वह अपने परमाणु हमला रोधी कार्यक्रम (एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम तथा पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम ) को तेजी से विकसित करे वहीं एस-400 जैसे रूस निर्मित डिफेंस सिस्टमों की अधिकाधिक तैनाती करे । हो सकता है कि ये सुझाव अति आक्रामक लगे परंतु कभी- कभी शक्ति का प्रदर्शन शक्ति के प्रयोग से अधिक प्रभावी होता है । साथ ही वर्तमान वैश्विक वातावरण भी भारत के पक्ष में है क्योंकि हाल में होने वाले अधिकांश आतंकी हमलों में पाकिस्तान का कुछ न कुछ सम्बन्ध अवश्य रहा है । ऐसे में पाकिस्तान को किसी भी देश से खुला समर्थन मिलना मुश्किल है क्योंकि किसी भी देश के लिए विश्व जनमत की अवहेलना करना वो भी भारत के विरूद्ध जा कर पाकिस्तान के लिए सम्भव नही लगता।
अंत मे यही कहा जा सकता है की पाकिस्तान से निपटने के लिए बहुस्तरीय मिक्स एंड मैच रणनीति एक प्रभावकारी उपाय हो सकता है क्योंकि इसमें पाकिस्तान वार्ता के मंचों से लेकर युद्धभूमि तक भारत के कूटनीतिक जाल से घिर जाएगा। और भारत भी “वार्ता-हमला-वार्ता स्थगन-वार्ता” के दुष्चक्र से बाहर निकल सकेगा ।

Ram mishra

 

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