क्या है इंडियन मीडिया की समझ हमे समझ नहीं आती, क्या पैसा कमाना ही सबकुछ बन गया है आज की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए ? आज की मीडिया से तो पहले की वो दुर्दशन वाली न्यूज सही थी कम से कम वो सही और बिना पक्षपात के न्यूज तो देती थी, पर आज कॉर्पोरेट मीडिया सिर्फ पैसा कमाने जानती है | इनकी असलियत 24 फरवरी की मनहूस शनीवार को एक बार फिर से पर्दाफा्स हुआ, जब बिहार के मुजफ्फरपुर में 19 गरीब घर के बच्चों को एक भारतीय जनता दल का प्लेट लगाए एक बुलेरो ने कुचल दिया जिसमे 9 की जान चले गयी और 10 की हालत गंभीर बनी है और 9 मरने वालों में से एक ही मुस्लिम परिवार के 4 नन्हें बच्चे थे, इस दर्दनाक हादसे के बावजूद हमारे भारतीय मीडिया ने एक छोटा सा लाइन लिख कर इस न्यूज को दिखाया और जिस समय इतना बड़ा हादसा हुआ उस समय सारे नेशनल मीडिया किसी दूसरे चीज़ को टेलीकास्ट कर रहे थे कोई ” धर्म की बात ” कर रहा था तो कोई ” धोनी के कड़े तेवर ” को दिखा रहा था उसके बाद “ABP पे सास बहू साजिस ” और देश के सबसे तेज़ चैनल “आज तक पर सास बहू और बेटियाँ ” दिखा रहे थे जबकि यह घटना दो्पहर 1:00 pm की है जब स्कूल की छुट्टी हुई थी फिर भी उनको फ़ुर्सत नहीं मिली वो दिखाने को और वही रात 11:30 के आस पास श्री देवी की अचानक हुई मौत को मीडिया पूरे रात और रविवार को भी पूरे दिन और शाम में भी दिखाती रही एक ही गाने को बार बार और एक ही एक्ट्रेस के स्टेटमेंट को बार बार दिखा के लोगों को बोर करती रही, ये सही है कि श्री देवी के मर जाने से बॉलीवुड को सदमा लगा है क्योंकि वो मात्र 55 साल की थी और उनका योगदान भी बॉलीवुड में बहुत रहा है, भारत की जनता भी इनकी निधन का न्यूज सुनकर विश्वास नहीं कर रही थी, पर इस दुखद घटना के साथ 9 बच्चे की मौत भी काफ़ी दुखदायी है जिसे नेशनल मीडिया नज़रंदाज़ कर रही है, जो आने वाले समय में नेशनल मीडिया को खतरे में डाल सकता है |