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देश के लिए आदर्श है यह गाँव, जहां अब कोई किसान आत्महत्या नहीं करता

“श्रमदान मुश्किल परिस्थितियों को भी पछाड़ सकता है।” इस कथन को सत्य साबित कर देने वाला काम लापोड़िया के गाँव के लोगों ने कर दिखाया।

एक समय पर यह गाँव सूखाग्रस्त था, ऐसे ही समय में अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए लापोड़िया गाँव के लक्ष्मण सिंह ने 17 वर्ष की उम्र में ही अपने गाँव का विकास करने का निर्णय लिया। उन्होंने गाँव के लोगों की सोच से शिक्षा तक, सब बदलने का प्रयास किया और वे सफल भी हुए। आज इस गाँव के सामूहिक प्रयास की बदौलत गाँव के खराब हालात पलट कर अच्छे हो चुके हैं। गौ-संरक्षण, जल सरंक्षण और भूमि सरंक्षण का मिसाल है यह गाँव।

इस गाँव की प्रेरक कहानी जानने के लिए देखें यह वीडियो।

अपने गाँव की विषम परिस्थितियों को देखकर लक्ष्मण सिंह ने जयपुर में स्कूल की पढाई छोड़कर, गाँव के अकाल को खत्म करने का निर्णय लिया। लक्ष्मण ने गाँव में युवाओं की एक टीम तैयार की जिसका नाम रखा, ग्राम विकास नवयुवक मंडल, लापोड़िया। तालाबों की मरम्मत से गोचर की रखवाली तक के सारे काम गाँव वालों के साथ मिलकर करना शुरू किए। भूमि सुधार, जल संरक्षण और गौरक्षा के कारण आज इस 2000 की जनसंख्या वाले गांव में हर परिवार दूध के व्यवसाय से 40-50 हज़ार रुपए का इनकम कर रहा है।  ग्रामवासियों की सामूहिक बुद्धि और शारीरिक शक्ति ने इस गाँव को देश के समक्ष एक आदर्श बना दिया है।

“विकास करो तो देश की शांति के लिए करो।”- लक्ष्मण सिंह

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