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मम्मी-पापा! आपका होना ज़िंदगी में एक खास मुकाम हासिल करने की प्रेरणा देता है

आज मेरे पापा-मम्मी के विवाह की 40वीं वर्षगांठ है। कई हफ्तों से सोच रही थी कि उन्हें ऐसा क्या गिफ्ट दूं जो उनके लिए यादगार तोहफा बन जाए। कई दिनों तक उलझन में रहने के बाद सोचा क्यों न इस बार मैं उन लोगों के नाम एक ओपन लेटर लिखूं और उन्हें बताऊं कि हाउ इम्पोर्टेन्ट दे आर इन आवर लाइफ

सबसे पहले बात शुरू करती हूं पापा से…

पापा आप या मम्मी कभी भी मेरे रोल मॉडल तो नहीं रहे, क्योंकि रोल मॉडल तो वह होता है न जिसके जैसा इंसान खुद बनना चाहता है और मैं शायद आप लोगों की तरह कभी नहीं बन सकती, क्योंकि आपने जिन मूल्यों और नीतियों के साथ अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ारी है, मुझे नहीं लगता कि मैं उनका एकांश भी निभा पाऊंगी।

हां, पर आपकी ज़िंदगी से और आपके उसूलों से बहुत कुछ सीखा है, जिससे मुझे खुद को एक बेहतर इंसान बनाने और अपने रिश्तों को निभाने में मदद मिलती है।

कभी-कभी सोचती हूं, तो लगता है कि कितना मुश्किल रहा होगा न किसी इंसान के लिए खुद को हमेशा ईमानदार और खुद्दार बनाये रखना जब वह ऐसे पद पर आसीन हो, जहां चंद मिनटों में लाखों-करोड़ों कमाए जा सकते हों? हम जब छोटे थे तो स्कूल में टीचर्स या फैमिली फंक्शंस में हमसे अक्सर यह पूछा जाता, ‘तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’ जब हम कहते कि सेल्स टैक्स विभाग में ऑफिसर हैं, तो हर किसी से यही सुनने को मिलता, ‘फिर तो खूब कमाते होंगे।’

पहले तो यह सुन कर बहुत गुस्सा आता था, उन लोगों पर भी और आप पर भी कि जब आप सचमुच ऐसी पोस्ट पर हैं, तो उसका फायदा क्यों नहीं उठाते हैं? अगर आप भी ऐसा करते, तो हमें भी छोटी-छोटी चीज़ों के लिए कॉम्प्रोमाइज़ नहीं करना पड़ता, पर आपने ऐसा नहीं किया। फिर जैसे-जैसे बड़ी होती गई तो लोगों की इस बात पर कहती, ‘हमारे घर आकर देख लीजिए, मेरे पापा ने कितना कमाया है।’

मुझे आज भी याद है वह घटना जब एक दिन आपके ऑफिस का एक चपरासी घर पर छूट गई आपकी एक फाइल लेने घर पर आया था। बातों-बातों में उसने कहा- “ऑफिस में अगर किसी के ईमानदारी की कसम खानी हो, तो वो अनिल बाबू की कसम खा ले।”

तब उसकी बात पर चुटकी लेते हुए जब मम्मी ने उससे कहा, “क्यों कभी उनके मन में लोभ नहीं आ सकता?” इस पर उस चपरासी का कहना था, “कोई गीता पर हाथ रख कर भी कसम खाए न तो भी हम इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे।” उस दिन उस चपरासी की बातों को सुनकर मुझे एहसास हुआ कि ईमानदार होने का मतलब क्या होता है। उस दिन मैंने जाना कि क्यों ज़िंदगी में कुछ ख्वाहिशों का अधूरा रह जाना ज़रूरी होता है।

सच कहूं तो उस दिन अपने ‘पापा की बेटी’ होने पर बेहद गर्व महसूस हुआ था मुझे। उस दिन की वह घटना आज तक मेरे ज़ेहन में मौजूद है और हमेशा रहेगी। आज समझती हूं कि क्यों ऐसा कहा जाता है कि किसी बच्चे को अगर कुछ सिखाना हो, तो पहले वह काम हमें खुद करना चाहिए, आपने हमेशा हमारे सामने उसका जीता-जागता उदाहरण पेश किया।

आप हमेशा कहते हैं, “किसी को बोल कर जबाव मत दो, करके दिखाओ। बोलने से कहीं ज़्यादा करारा जबाव लोगों को अपनी बात को साबित करके दिया जा सकता है।” और आपने इस बात पर भी अमल करके हमारे सामने उदाहरण पेश किया। शायद यही वजह है कि कल जो लोग आपकी सच्चाई, ईमानदारी और आपके सीधेपन के लिए आपका मज़ा बनाया करते थे, आज वही लोग आपकी बड़ाई करते नहीं थकते।

सच कहूं, तो पहले मुझे आपकी चुप्पी खलती थी, क्योंकि मैं किसी भी सूरत में आपको कभी कमज़ोर होते नहीं देख सकती। मुझे गुस्सा आता था, यह देख कर कि जिसे जो मन में आता है, कह कर चला जाता है और आप हैं कि कुछ नहीं कहते, पर आज मुझे आपकी उस चुप्पी का मोल समझ में आता है। उस वक्त मेरे कानों में बस एक ही बात गूंजती है, ‘कह कर नहीं, करके जवाब दो।’

पापा आपने कभी भी अपने मूल्यों और आदर्शों को हम पर थोपने की कोशिश नहीं की, बल्कि आपने खुद उन पर अमल करके हमें उन उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया।

हालांकि आपके कई बातों और विचारों से मैं सहमति नहीं रखती। जैसे- आपका ज़्यादा सोशल न होना मुझे खलता है, आपका खुद से ज़्यादा दूसरों की परवाह करने से मुझे कोफ्त होती है। कई बार उन परिस्थितियों में भी मुझे आपके चुप रहने पर गुस्सा आता है, जब मुझे लगता है आपको सामने वाले को बोलकर करारा जवाब देना चाहिए था। इस वजह से कई बार आपसे मेरी अच्छी-खासी बहस भी हो जाती है। इसके बावजूद आप मेरी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा हैं पापा, इसलिए आपका होना केवल मेरे लिए ही नहीं, बल्कि हमारे पूरे परिवार के लिए ज़रूरी है।

आपका होना मुझे मेरे अस्तित्व का आभास कराता है, आपका होना हमारे परिवार को कंप्लीट करता है, आपका होना हमारी मां के श्रृंगार को पूरा करता है।

आपका होना हमें ज़िंदगी में एक विशेष मुकाम हासिल करने की प्रेरणा देता है,  जिसके लिए आपने और मम्मी ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। आपका होना मुझे एक सुकून, एक सुरक्षा का अहसास देता है कि चाहे मैं कितनी भी गलतियां क्यों न करूं, एक ऐसी छत, एक ऐसा इंसान है मेरी ज़िंदगी में, जो हर हाल में मुझे मेरी तमाम कमियों के बावजूद अपना लेगा और वो इंसान आप हैं पापा।

अब थोड़ी बात मम्मी से…

मम्मी तुमसे भी मैंने ज़िंदगी की दो अनमोल बातें सीखी हैं- पहला, ज़िंदगी में लाख मुश्किलें आएं, खुद पर से कभी विश्वास नहीं खोना चाहिए। बचपन से लेकर आज तक हमारी जिंदगी में कई उथल-पुथल के अवसर आए. कई बार तो हमारे परिवार के आधार स्तंभ रहे पापा भी खुद को कमजोर समझने लगे. लगता था- इस मुश्किल घड़ी से हम कैसे उबरेंगे, पर उस पल में भी तुमने आत्मविश्वास नहीं खोया. जब कभी भी सबने कहा, ‘तुम फलां काम नहीं कर पाओगी’, उस वक्त तुमने उसे करके दिखाया। फिर चाहे वह पापा के घर से दूर रहने पर अकेले सारे घर की ज़िम्मेदारियां और हम पांचों बहनों की परवरिश संभालना हो, या फिर साल भर तक पापा के बीमार रहने के कारण परिवार का आर्थिक स्तंभ बन कर खड़े रहना हो…..हर जगह तुमने अपने आपको साबित कर दिखाया।

मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि आज जहां मेरी कई सहेलियों को अपने मन से जीवनसाथी तो क्या अपना कैरियर चुनने की भी आज़ादी नहीं मिली, वहां तुमने और पापा ने हमें वो सारी आज़ादी दी। तुमने हमेशा हमसे यही कहा कि- दुनिया में कोई भी काम बुरा नहीं है,अगर उसमें तुम्हारे अपनों की सहमति और उनका साथ शामिल हो। शायद तुम लोगों का यह विश्वास ही था, जिसने दूर रहते हुए भी हमें गलत रास्तों पर जाने से हमेशा बचाए रखा।

इसके अलावा, तुमने एक सच्चे जीवनसाथी के तौर पर जिस तरह से आज तक पापा का साथ निभाया है, उससे मुझे भी हमेशा अपने रिश्तों को निभाने की सीख मिलती हैं।

बिना थके, बिना रूके, बिना किसी शिकवे-शिकायत या उम्मीदों के (छोटी-मोटी नोंक-झोंक के अलावा) तुम हमेशा बेटी, बहू, पत्नी और मां होने का धर्म निभाती रही हो. चाहे पापा में सैकड़ों-हज़ारों कमियां रही हों, पर तुमने हमेशा हमारी नज़र में उन्हें ‘हीरो’ की तरह ही पेश किया। उनकी कमियों को उनकी मजबूरी बताती रही और उनकी खूबियों को उनकी ताकत बना दिया।

आज मेरी कोशिश है, तो बस इतनी कि जिस तरह से मुझे आप दोनों ने अपने ऊपर गर्व करने का मौका दिया, उसी तरह मैं भी कुछ ऐसा करूं, कि आप भी मुझ पर गर्व कर सकें। बस यूं अपना प्यार, विश्वास और आशीर्वाद हमेशा हमारे सिर पर बनाए रखियेगा।

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