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क्या कभी सोचा है कि झोलाछाप डॉक्टर इलाज के साथ HIV भी दे सकते हैं?

एक ‘डॉक्टर’ बाबू थे, बाइक से या साइकिल से उन्नाव (यूपी) ज़िला में घूमते थे। उनका दुपहिया वाहन चलता-फिरता क्लीनिक था। 10 रुपए में घूम-घूम कर इलाज़ करते थे, इंजेक्शन भी देते थे और गोली भी। आस-पास के गांव में घूम-घूम कर 50 से भी ज़्यादा मरीज़ देख लेते थे। गांव वाले भी खुश थे 10 रुपए में इलाज मिल रहा था। ‘डाक्टर’ बाबू बाइक से चक्कर लगा जाते थे, ज़रूरी सुई और गोली दे देते थे। आस-पास के सभी गांवों में वो काफी चर्चित थे।

10 रुपए में जब गोली और सुई दोनों मिल रही हो तो खुशी कम और चिंता ज़्यादा होती है कि गोली दे रहा है या आटा! इंजेक्शन तो लगा रहा है, लेकिन कहीं एड्स का ज़हर तो नहीं दे रहा है।

कभी-कभी सोचती हूं कि गांव के लोगों का अगर मन होता भी होगा बड़का अस्पताल जाने का, तो पैसों के बारे में सोचकर ही डर लगता होगा। जिसकी औकात 10 रुपए में इलाज कराने की हो, वो तो पकौड़ा भी नहीं बेच सकता।

अब, उन्नाव के बांगरमऊ कस्बे और उसके आसपास के गांव के कम से कम 58 लोगों में एचआईवी पॉजीटिव पाया गया। जिसमें से 33 लोगों में एड्स की पुष्टि हो गई है। जिसे गांव वाले ‘डाक्टर’ बाबू समझ रहे थे वो था तो डॉक्टर ही लेकिन झोलाछाप! संक्रमित सिरिंज का प्रयोग करता था। एक ही इंजेक्शन बार-बार।

झोलाछाप डॉक्टर मतलब वह जिसका मेडिकल की पढ़ाई से कोई तालमेल नहीं हो और मामूली सुई देने आ गया हो। देह दर्द, माथा दर्द, खांसी वगैरह-वगैरह की दवाओं के नाम रट लिए हों। ऐसे झोलाछाप अमूमन अतीत में डॉक्टर के कम्पाउंडर होते है या वो होते हैं जो मेडिकल की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते और आधी-अधूरी जानकारी से इलाज करते हैं।

इसके अलावा ‘कागज़’ पर एक राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (National Rural Health Mission /एनआरएचएम) नाम से भारत सरकार की एक योजना है। इसका उद्देश्‍य देशभर में ग्रामीण परिवारों को बहुमूल्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध कराना है।

योजना के तहत हर गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था की गई है। लेकिन अधिकांश गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में दवाई ही नहीं होती है।

इसीलिए उन ग्रामीण इलाकों में जहां न तो लोगों की आमदनी अच्छी है और न ही आधारभूत सुविधाएं ही हैं, वहां सर्दी, खांसी, घुटना दर्द आदि-आदि का इलाज झोलाछाप डॉक्टर से ही लोग करवाते आए हैं। लेकिन कई जगह लोग सावधानी बरतते हैं और सिरिंज अपना दे देते हैं या चेक करते हैं कि पैकेट बंद सिरिंज का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। जो लोग ऐसा इलाज लेते हैं या जिन्हें मजबूरी में ऐसा इलाज लेना पड़ता है, वो कम से कम इतना खयाल रखें।

एड्स होने का कारण:
HIV इन्फेक्टेड खून चढ़ाने से।
HIV ग्रसित व्यक्ति के साथ बिना कंडोम यानि असुरक्षित सेक्स करने से।
HIV पॉजिटिव इंसान में एक बार इस्तेमाल की गई सुई को दूसरी बार यूज़ करने से।

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