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ललिता पवार की आंख पर मज़ाक, बॉलीवुड की संवेदनहीनता की हद है

1942 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान एक दृश्य में अभिनेता (भगवान दादा) को अभिनेत्री (ललिता पवार) को थप्पड़ मारना था। असावधानीवश वह थप्पड़ ललिता पवार के चेहरे पर इतनी ज़ोर से लगा कि वे फेशियल पैरालिसिस का शिकार हो गई और अगले तीन वर्ष तक उनका इलाज चलता रहा। बावजूद इसके उनकी बायीं आंख कभी ठीक नहीं हो सकी। इस चुनौती के बावजूद ललिता पवार ने फिल्मों में वापसी की और फिर से अपनी पहचान स्थापित की।

इस दुर्घटना का असर यह हुआ कि पहले अपनी खूबसूरती, बोल्डनेस और अभिनय के लिए ख्यात मुख्य भूमिकाएं निभाने वाली इस अभिनेत्री को अब चरित्र भूमिकाएं मिलने लगीं।

अभिनय के प्रति इसे अगाध समर्पण ही कहेंगे कि ललिता ने नकारात्मक चरित्रों को भी बहुत शिद्दत से निभाया और अपने जीवन काल में तकरीबन 700 फिल्मों में काम किया, जिनमें हिंदी के अलावा मराठी और गुजराती की फिल्में भी शामिल हैं।

वे अपने निभाए नकारात्मक चरित्रों के कारण ही अधिक जानी गई। दूरदर्शन पर प्रसारित हुए लोकप्रिय धारावाहिक ‘रामायण’ में उनके द्वारा निभाई गयी मंथरा की भूमिका लोगों के ज़हन में आज तक बसी हुई है।

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ललिता पवार की उम्र लगभग उतनी ही है, जितनी हिंदी सिनेमा की उम्र है। बाल कलाकार के रूप में उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत तभी कर दी थी, जब हिंदी सिनेमा में मूक फीचर फिल्मों का निर्माण शुरू हुआ था। ललिता के फिल्मों में काम शुरू करने के लगभग सौ साल बाद आज बन रही एक फिल्म में जब उनकी शारीरिक चुनौती का मज़ाक उड़ाया जा रहा है, तो सचमुच शर्म आती है कि हिंदी सिनेमा किस कदर कृतघ्न और घटिया मानसिकता के लोगों की चपेट में है। हिंदी सिनेमा आज जिस भी मुकाम पर है, उसके पीछे श्रम और समर्पण की एक पूरी परंपरा रही है और ललिता पवार जैसे हज़ारों सिनेकर्मियों के कन्धों पर ही यह फली-फूली है।

हाल ही में फिल्म ‘दिल जंगली’ का ट्रेलर रिलीज़ हुआ है। इस ट्रेलर के एक संवाद में ‘ललिता काणी’ कहकर ललिता पवार का उपहास किया गया है। विडंबना यह है कि एक फिल्म के लिए अभिनय करते हुए ही ललिता उस दुर्घटना का शिकार हुई थी, जिससे उबरने में उन्हें कई वर्षों का समय लगा और जब वे इससे उबरी भी तो उनकी एक आंख ताउम्र ठीक नहीं हो सकी। उसी एक आंख को लेकर एक फिल्म में आज उनका मज़ाक उड़ाया जा रहा है।

कायदे से इस दौर तक सिनेमा को इतना संवेदनशील हो जाना चाहिए था कि कम से कम किसी भी तरह की शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे लोगों के प्रति वह अपमानजनक बर्ताव करना बंद कर दे।

लेकिन जो फिल्मकार अपने ही पूर्वजों का सम्मान करना नहीं जानते, जो उनकी ही शारीरिक चुनौतियों और सिनेमा के लिए उनके ही समर्पण का मज़ाक उड़ाते हैं, उनसे पूरे समाज के लिए संवेदनशीलता की उम्मीद कहां से की जा सकती है!

एक दौर में सिनेमा में अपनी खलनायकी भूमिका के लिए मशहूर अभिनेता रंजीत ने ‘दिल जंगली’ के ट्रेलर के इस हिस्से पर अपनी घोर आपत्ति दर्ज करवाई है। ज़रूरत है कि फिल्म जगत के अधिक से अधिक लोग उन्हीं की तरह अपनी आपत्ति दर्ज कराएं और इस अंश को फिल्म से हटवाने के लिए फिल्मकार पर भारी दबाव बनाएं। इस तरह की मानसिकता को हतोत्साहित करना बहुत ज़रूरी है।

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