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BHU में गांधी की हत्या को जायज़ ठहराने वाले नाटक पर हंगामा

BHU के युवा संस्कृति महोत्सव 2018 में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का नाटक *मी नाथूराम गोडसे बोलतोय* का मंचन 20 फरवरी को हुआ जिसको लेकर कैंपस में विरोध शुरू हुआ।

BHU के कुछ छात्रों ने संबंधित मामले में अपना विरोध दर्ज कराते हुए लंका थाने पर FIR भी कराई और उचित कार्यवाही की मांग की, FIR कराने वाले छात्रों को कल रात से ही लगातार धमकी मिल रही थी। आज दोपहर छात्र अविनाश ओझा व कुछ अन्य छात्र संबंधित नाटक की लिखित शिकायत करने फैकल्टी डीन तक जा रहे थे तभी उनपर हमला हुआ, अचानक हुए इस हमले में छात्र अविनाश को चोटें आई हैं।

“मी नाथूराम गोडसे बोलतोय ” नामक एक नाटक है, जिसकी रचना प्रदीप दलवी ने की है। यह नाटक महात्मा गांधी की हत्या को जायज़ ठहराता है। यह नाटक महाराष्ट्र सरकार द्वारा बैन किया गया है। कारण है कि इस नाटक से समाज मे हिंसा की भावना फैलती है।

जुलाई 1998 में जब केंद्र में अटल जी की सरकार थी तब केंद्र ने महाराष्ट्र को ये सलाह दी थी कि इस नाटक को न सिर्फ बैन किया जाए बल्कि इसका प्रचार प्रसार करने वाले व्यक्ति या संस्था के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जाए। महाराष्ट्र सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए इस नाटक को ना सिर्फ प्रतिबंधित किया बल्कि इसके मूल प्रति सहित सभी दूसरे प्रतियों को जब्त करने का आदेश दिया और नाटक मंचन पर भी रोक लगाई।

BHU से महात्मा गांधी का बहुत गहरा जुड़ाव था। स्थापना दिवस के दिन महात्मा गांधी के भाषण को आज भी याद किया जाता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इस नाटक का मंचन दुखद है और निंदनीय भी है। ये नाटक समाज के उन लोगों को बल देता है जो समाज को भय और आतंक के माध्यम से चलाना चाहते हैं जो इस मानव सभ्यता के लिए घातक है।

शुरुआत में नाटक को अभिव्यक्ति की आज़ादी से जोड़कर इसे जायज़ बताया गया। यह हास्यास्पद है क्योंकि BHU में किसी भी विचार को स्पेस नहीं दिया जाता, सभा, पर्चा बांटना, पोस्टर चिपकाना, रैली, नुक्कड़ नाटक आदि प्रतिबंधित है फिर भी प्रशासन के छत्रछाया में एक विशेष विचार को चिन्हित कर प्रोमोट किया जाता है अभी हाल में ही BHU में आरएसएस का पथ संचलन हुआ। वर्तमान समय मे स्थिति ऐसी हो गई है कि अगर आप इनका विरोध लोकतांत्रिक तरीके से भी करना चाहें तो भी ये हिंसक हो जाते हैं और इस तरह के कार्यरतापूर्वक हमले करते है।

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