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अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सेमिनार का आयोजन

 #जुर्म को एक #जुर्म के रूप में ही देखा जाना चाहिए।

गुलशन उधम।
कठुआ 4 मार्च: अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर महिलायों के खिलाफ बढ़ती हिंसक घटनाए के कारण व निवारण विषय को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा नो मोर आसिफा 
कें पैन के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के कारण और उनके निवारण पर चर्चा की गई। इस दौरान उपस्थित लोगों ने बीते दिनों हीरागनर के गांव रसाना में आठ साल की बच्ची आसिफा के साथ हुए बलत्कार और हत्या की निंदा व दोषियों को खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की। सेमिनार मुख्यवक्ता के रूप में मौजूद मनोविज्ञानिक सुरभि ने कहा कि महिला विरोधी सोच कई अपराध को जन्म देती है। उन्होंने कहा कि समाज में फैली अभद्र भाषा, महिला विरोधी कल्चर कई बार बच्चों के मन में हिसंक सोच को बढ़ावा देती है। व टेलीविजन व मीडिया द्वारा भी महिला की छवी को वस्तु के रूप में दिखाए जाना बुरा है। उन्होंने कहा कि गाली यानी अभद्र भाषा समाज में आम इस्तेमाल की जाती है। जब भी किसी को गुस्सा जाहिर करना होता है तो वे गालियां देता है। एक पल रूक कर सोंचे की ये गालियां है क्या? बलत्कार करने की धमकी। इस तरह अपराधिक सोच समाज में घर कर गई है। जिसे दूर करने की जरूरत है। वहीं मीडिया और इंटरनेट पर मिल रहा महिला विरोधी कं टैंट इन अपराधों को बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को शुरू से ही बराबरी और न को न समझने के बारे में शिक्षित किए जाना चाहिए। महिला विरोधी सोच को जड़ से खत्म किए जाने के लिए समाज में जागरूकता, चेतना व शिक्षा के प्रसार पर जोर दिए जाने की जरूरत है। बेटियों के साथ ही बेटों को भी शिक्षित करना होगा ताकि वे किसी के साथ भी दुर्रव्यवहार न करे। 

लोगों को असल मु्द्दों से भटका कर धर्म-मजहब के झगड़ो में उलझाया जा रहा है

किसी जुर्म पर #सांप्रदायिक #राजिनिति खेलना बेहद ही दुर्भागयपूर्ण है।

एडवोके ट अजात शत्रु ने कहा कि आसिफा किसी एक सुमदाय की नही बल्कि भारत की नागरिक है और उसे इंसाफ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आसिफा हत्याकांड एक जुर्म है और इसे एक जुर्म की तरह ही देखना चाहिए इसे किसी अन्य विषयों के साथ घोलमेल नही करना चाहिए। उनहोंने कहा कि इस अपराधिक घटना पर मौजूदा समय की राज्य गठबंधन सरकार के दोनो पार्टीया इस घटना में अपनी राजनिति कर रही है जो कि बहुत निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि ये हिंदू-मुस्लामान का विषय नही है बल्कि जुर्म और इंसाफ का विषय है।
उनहोंने कहा कि इस मामले की निष्पक्ष व स्वतंत्र रूप से जांच की जानी चाहिए और जांच एंजैसीयों पर भी किसी तरह का दवाब नही बनाया जाना चाहिए और साथ ही जांच एंजैंसी के पास भी ये अधिकार नही है कि वे किसी के मानव अधिकारों को हनन कर सके। 
इस दौरान जेजेएम के संजय ने कहा कि एक तरफ महिला विरोधी अपराध में बढ़ोत्तरी हो रही है और दूसरी तरफ समस्या को चर्चा कर हल निकालने के बजाए और अधिक उलझाया जाता है। उन्होंने कहा कि आसिफा रेप व हत्याकांड के जुर्म को लेकर संप्रादायिक राजनिति की जा रही है जो कि बेहद ही निंदनीय है। 
जनता को शिक्षा, बेरोजगारी, मूलभूत सुविधाएं आदि अस्ल मुद्दों सेे भटका कर दोनो पक्षों के नेताओं द्वारा अपनी राजनिति की रोटियां सेंकी जा रही है। जो ज्यादा दिन तक नही चलेगा। आज का युवा जागरूक व सजग है वे नेताओं के बहकावे में नही आने वाला है। उ
सेमिनार को संबोधित करते हुए सुशील गुप्ता ने भारतीय संविधान ने महिला और पुरूष में किसी प्रकार का भेद नही करता है और दोनो को नागरिक के रूप में देखता है। उनहोंने कहा कि संविधान में महिलाओं के लिए भी कानून दिए गए जिसके बारे में जागरूकता किए जाने की जरूरत है। आसिफा हत्यकांड मे पुलिस ने कार्रवाई देर से कार्रवाइ की है। उन्होंने कहा कि पुलिस को भी कार्रवाई निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सच सामने लाया जा सके और विक्टीम को समय पर इंसाफ दिया जाना चाहिए। 
वहीं महिला अधिकार संगठन से जुड़े संतोष खजुरिया ने कहा कि ने कहा कि कड़े संघर्ष के बाद महिलाओं को कुछ अधिकार तो मिले है लेकिन इसके साथ ही मौजूदा समय में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार भी बढ़ रहे है। उनहोंने कहा कि बीते दिनों हीरानगर में आठ साल की बच्ची आसिफा के साथ हुई बलत्कार व हत्या बेहद दुखद है। आए दिन महिला के साथ हो रही अत्याचार की घटना सामने आ रही है जिसके कारणों को समझने की जरूरत है।्र 
सेमिनार में शामिल मोनिका ने अंर्तराष्ट्रिय महिला दिवस के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस महिला और पुरूष के बराबरी के लिए किए गए संघर्ष प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 28 फरवरी, 1907 को पहली बार अमेरिका के न्यूयार्क शहर में पहली बार अमेरिकन सोशलिस्ट वूमेन अपने अधिकारों के लिए महिला दिवस मनाया गया था। इसके बाद जर्मन की महिला नेता कलारा जेटकिन ने हर साल महिला दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव दिया। और इसके बाद आठ मार्च 1914 के बाद हर साल महिला और पुरूष के बराबरी के अधिकारों को सम्र्पित अंर्तराष्ट्रिय महिला दिवस मनाया जाता है। 
इस मौके पर समाजिक कार्यकत्र्ता आई डी खजुरिया, रिटायर्ड एसपी रत्न चंद, सुनिल पंगोत्रा, मास्टर सरदार सिंह, व अन्य युवा व महिलाएं शामिल रही।

गोरतलब है कि बीते दिनों कठुआ जिले के हिरानगर तहसील के गंाव रसाना में आठ साल की बच्ची आसिफ को गुम हो गई थी और फिर करीब एक सप्ताह के बाद करीब के जंगल से बच्ची मृत पाई गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल ये मामला राज्य की क्राइम ब्र्रंाच पुलिस देख रही है। इस मसले को लेकर राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन हुए है।

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