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नशे का कारोबार बनती हमारी होली…..

प्रह्लाद की कहानी तो आप सब ने सुनी होगी हाँ वही हिरणाकश्यप के पुत्र की जो श्री हरि की पूजा करता था और हिरणाकश्यप एक दानव था । हिरणाकश्यप की बहन थी होलिका जिसे ये वरदान प्राप्त था कि आग उसका कुछ नही बिगाड़ सकता तो हिरणाकश्यप ने होलिका से कहा तुम प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाओ पर श्री हरि की कृपा हुई प्रह्लाद आग में जीवित बच गए और होलिका जल के मर गयी ।
जब होली का जिक्र होता है तो मन चित्रित करने लगता है कृष्ण और गोपीयों की बृज की होली या राम राज्य के अवध की होली । हमारे बॉलीवुड ने तो होली पे अनगिनत गाने बना डाले है सन 1940 में आयी फ़िल्म औरत का वो गाना “जमुना तट श्याम खेले होली ” से लेकर बलम पिचकारी तक ।
पर बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा की अब हमारी होली अब एक नशे का दिन बनती जा रही है । बड़ा आश्चर्य और दुख होता है जब कोई इस दिन 750 रुपये वाली एक शराब की बोतल को 1500 रुपये देने तक तैयार रहता है । छोटे छोटे बच्चे जिन्हें बस इतना पता होता है कि आज के दिन भांग खाना कोई गुनाह नही है ।
हाँ भई होली तो है ही हुड़दंग का त्योहार । यहाँ एक डिटरजेंट का इश्तेहार याद आ रहा “कि रंगों का मैल तो धूल जाएगा पर आपके मन का मैल कैसे धुलेगा” ।
संभलिए कही ऐसा ना हो हमारी आने वाली पीढ़ी को वो प्रह्लाद की कहानियां न याद रह जाये, शायद न याद रह जाये पूतना वध की कहानियां और इसे बस वो एक नशे में झूमने का दिन माने ।
बुरा न मानो होली है ।
आप सब पाठकों को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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