#नई_गजल-3
#प्यार#इश्क#मुहब्बत#आतंकवाद#मुल्क#देश#कोहराम
बेवजह पलकों पर बोझ डाला नहीं जाता
तेरा ख्वाब आँखों में और पाला नहीं जाता
यूँ तो तुझको भूलने की कोशिश में हैं मगर
जिक्र तेरा हर बात पर टाला नहीं जाता
जो रख दिया हाथ अंगारों पर एक बार
ताउम्र हथेली का छाला नहीं जाता
जो बुझती है इश्क की लौ तो बुझने दो
इस आग में अब ओर घी डाला नहीं जाता
आप कहते हैं इस मुल्क को बरबाद कर देंगे
अजी छोङिये, एक पत्थर तो आपसे उछाला नहीं जाता
इस शहर में कोहराम है पर आपको आराम है
हमारे तो हलक से एक निवाला नहीं जाता….. !
दिनेश गुप्ता ‘दिन’