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“विशेष” होकर भी सरकारी दंश झेल रहे शिक्षक

जिस किसी के साथ “विशेष” शब्द लग जाता हैं उसका महत्व खुद ब खुद बढ़ जाता हैं  विशेष उन्ही कों कहते हैं जिनमे कुछ विशिष्टता हो पर जब बात  विशेष शिक्षक की होती है तो स्थिति बिल्कुल उलट हैं विशेष शिक्षक तिस्कृत उपेक्षित और भेदभाव से पीड़ित हैं ऐसे बच्चे जो विकलांग हैं और शिक्षा के लिए उन्हें कुछ विशेष प्रावधानों की जरूरत हैं उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा ये विशेष शिक्षक सहर्ष उठाते है पर सरकार की नजर में ये विशेष शिक्षक नही बंधुआ मजदूर है जब दिल करे रोजगार दिया जब मन करे निकाल बाहर किया मन हुआ तो सैलरी दी नही तो विधायक और मंत्रियो की तनख्वाह बढ़ाने वाली सरकार विशेष शिक्षको के लिए बजट न होने का रोना शुरू कर देती हैं सुप्रीम कोर्ट का आदेश था प्रत्येक स्कूल में विशेष शिक्षक का होना अनिवार्य हैं पर सरकार ने कान बन्द कर रखे हैं , विशेष शिक्षक समय समय पर अपनी आवाज उठाते रहे पर उन्हें भरोसा भी था की आज नही कल सरकार जरुर सुनेगी पर खेद हैं सरकार के कण पर जू तक नही रेंग रही और ये हाल किसी एक राज्य का देश के लगभग सभी राज्यों का हैं  पर अब सरकार की मनमानी ज्यादा दिन नही चलने वाली अपने गुरुजनो के साथ विकलांग समाज कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो रहा हैं विशेष शिक्षको को स्थायी नियमतिकरण और समान वेतनमान मिलना ही चाहिए साथ ही प्रत्येक स्कूल में विशेष शिक्षको की भर्ती करके उन्हें रोजगार देने की मुहिम चलानी होगी अगर सरकार न चेती और इस ओर कोई ध्यान नही दिया तो वो दिन दूर नही जब विशेष शिक्षक और विकलांग साथी एक स्वर में दिल्ली में गरजेंगे 
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
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