Site icon Youth Ki Awaaz

होली है……….

‘होली’ रंगो से भरा त्यौहार। एक ऐसा त्यौहार जिसे मनाने के लिए एक गरीब तबके के इंसान को अपना जेब नहीं खंगालना पड़ता। यहां इतनी छुट होती है कि अगर आपको कोई होली मुबारकबाद देने आए तो आप उसी के रंगो से उन्हेँ रंग सकते है, वे न आपसे रूठेंगे और न ही आप पर क्रोधित होंगे क्योंकि यह     होली है बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक। होली सभी त्यौहारों से एकदम अलग न साज सजावट की चीजों पर खर्च, और न ही कपड़ो पर क्योंकि ,यह होली है बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक।

अक्सर बड़ो से सुना करती थीं कि होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक है, प्रहलाद वाली पौराणिक कथा सुनी भी और स्कूल में पढ़ी भी। अब यह सभी मान्यताएं किताबों के पन्नों में सिमट गई है।जरा एक नज़र अपने इर्द-गिर्द देखिए अगर कुछ दिखाई देगा तो सिर्फ नफ़रत, घृणा, गुस्सा और बदले की भावना जो कहीं न कहीं लोगों में और देश में बुराई फैलाने के लिए काफी है।  थोड़ा सोचिए,स्टडी कीजिए हम न जाने कितने सालों से यह पर्व मना रहे हैं। हर साल होलिका दहन होता मतलब हर साल ज्यादा नहीं तो एक बुराई  का खात्मा तो होता ही है, बातों का निष्कष यह है कि अभी तक हमने जितनी भी होलियां मनाई उतनी ही हमारे देश से बुराईयां खत्म हुई। उस हिसाब से हमारा देश बुराईयों से मुक्त हो चुका है,न यहां भष्टाचार होता है, न चोरी, न रेप और न ही जातीवाद। पर क्या यह सच में खत्म हो चुका है? इसका जवाब आप भी जानते हैं और मैं भी। किसी को यह पर्व को मनाने से रोकना मेरा मकसद नहीं है। मेरी तो बस इतनी ही गुजारिश है कि अगली बार होली मनाने से पहले हम सोचे कि इस पर्व के प्रतीक को बचाने के लिए हम क्या कर रहे हैं और अब तक हमारा योगदान कितना रहा है।

Exit mobile version