हम सभी एक स्वतंत्र देशके स्वतंत्र नागरिक हैं, और ये पूरी तरह हमपर निर्भर करता है कि हम इस आजादी का इस्तेमाल कैसे करते हैं। ऐसा वर्णन मिलता है कि प्राचीन कालमें महिलाएँ शरीर के ऊपरी हिस्से में वस्त्र धारण नहीं करती थीं, जबकि आज की आधुनिकतम भारतीय नारी भी सार्वजनिक तौर पर अपने वक्षस्थल को ढक कर ही रखना पसंद करती है। वक्षस्थल की तस्वीर का या वक्षस्थल का सार्वजनिक प्रदर्शन आज नारी गरिमा के विपरीत माना जाता है। सामान्यतया भारतीय नारी बच्चों को दूध पिलाते समय अपने वक्षस्थल को किसी भी तरह के कपडे़ से ढककर दूध पिलाती है। पर ये पूरी तरह उस नारी पर निर्भर करता है, मान लीजिए किसी के दो बच्चे हैं, दोनों को भूख लगी तो वह नारी दोनों को कपडे़ से ढककर दूध पिला सकती है, या उस मैगजीन के कवरको आदर्श मानकर अपने सभी ऊपरी वस्त्र उतारकर भी दूध पिला सकती है। समस्या ये है कि यहाँ के पुरुष नासमझ हैं, ऐसा करनेवाली नारी को घूरनेवालोंका हजूम लग जाएगा ।