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विधायक अमानतुल्लाह जी! अपने क्षेत्र ओखला की समस्याओं पर कब ध्यान देंगे?

साउथ दिल्ली के ओखला विधानसभा के अन्तर्गत जामिया नगर, बटला हाउस, नूर नगर, गफूर नगर, जाकिर नगर, शाहीन बाग, अबुलफजल, ओखला विहार, गफफार मंजिल, नई बस्ती, जैसी कई और कालोनिया शामिल हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग रहते हैं। इस इलाके में समस्याएं बहुत हैं और इन पर राजनीति करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। आईए जानते हैं इस पर आम जनता के विचार।

जाकिर नगर से शमीम खान कहते हैं कि उनके क्षेत्र में पानी की सप्लाई के लिए कोई सुविधा नहीं है ये समस्या इस इलाके के बसने के बाद से ही है, कई विधायक, पार्षद क्षेत्र में आए, आश्वासन दिए गए मगर समाधान कुछ नहीं हुआ।

गफूर नगर से जूनेद सैफी कहते हैं कि उनके क्षेत्र मे कूड़ेदान तो है मगर नगर निगम के कर्मचारी सफाई करने व कूड़ा उठाने को तैयार नहीं हैं जिससे बदबू आती रहती है। आस-पास कई स्कूल हैं, स्कूली बच्चों को भी बदबू से खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ओखला हैड से आरिफ नबी कहते हैं कि क्षेत्र के मुख्य मार्ग पर सीवर की गम्भीर समस्या है। बरसात के दिनों मे इतना गन्दा पानी भर जाता है कि लोगो का घर से निकलना दुश्वार हो जाता है। पीने योग्य पानी तक नहीं हैं, आखिर कब तक हम पानी खरीद कर पीते रहेंगे?

बटला हाउस से कासिफ कहतें है कि उन्हें अपने क्षेत्र में सफाई की समस्या का सामना करना पड़ता है, एमसीडी के कर्मचारी सफाई करने को तैयार नहीं, बटला हाउस स्टैड से लेकर जोगाबाई तक ठेलों और अवैध कब्ज़ों के कारण दस से पन्द्रह मिनट का सफर घंटों में पूरा होता है।

अबुलफज़ल से शहजाद खान कहते हैं कि मुख्य मार्ग पर अवैध कब्ज़ों की भरमार से जाम की समस्या हो जाती है। दुकानों के आगे अतिक्रमण  के कारण अक्सर कारों को निकालने में परेशानी होती है, ऊपर से पार्किंग न होने के कारण लोग रोड पर गाड़ियां पार्क करते हैं।

बटला हाउस के कब्रिस्तान में भी लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी होती है। यहां के लोग भी कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं, मगर सामने आने से डरते हैं क्योंकि लोग दबंग नेताओं से डरते हैं। पूरे ओखला में घूमने के बाद एक बात साफ हो ही जाती है कि यहां पूरी दिल्ली में सबसे ज़्यादा पोस्टर लगते हैं। पोस्टरबाज़ी में यह क्षेत्र दिल्ली में सबसे आगे है, जिससे क्षेत्र की रौनक पर बदनुमा दाग लग रहा है। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोग धरना प्रदर्शनों में सबसे आगे हैं, देश के किसी भी कोने में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ भी होता है तो यहां से सबसे पहले प्रतिक्रिया सामने आती है। बटला हाउस एकाउंटर का सच आज भी यहां के लोग जानना चाहते हैं।

नाले खुले पड़े हैं, खाली प्लॉटों में कचरा जमा है, सड़कें टूटी हुई हैं। क्षेत्र में सिर्फ दो ही सीनियर स्कूल है, जिनमें पढ़ाई का हाल बहुत बुरा है। बच्चे घूमते नज़र आते हैं।

सामुदाइक भवन है, मगर उसमे सुविधाएं कुछ नहीं हैं। पार्कों का हाल भी बहुत बुरा है। लोग पानी खरीद कर पीने को मजबूर हैं।

ओखला हैड से लेकर तिकोना पार्क तक, पूरे क्षेत्र में अवैध कब्ज़ों की भरमार है। सुबह हो या शाम, जाम की समस्या बनी ही रहती है। यहां के लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। जुलेना तक बिना हैलमेट के आना-जाना यहां के लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, इन्हें किसी का कोई डर नहीं। ढाबों की भी यहां भरमार है, जिनमे से से कई के पास लाईसेंस हैं तो कई के पास नहीं।

नौ नम्बर से लेकर ओखला पुलिस चौकी के बीच कई जगह से सड़क टूटी हुई है। यहां भी अवैध कब्ज़े देखे जा सकते हैं। नई बस्ती क्षेत्र का हाल भी सही नहीं है, अॉटो चालकों की मनमानी से मुसाफिर परेशान हैं, बसों का कोई टाइम टेबल नहीं है। फट-फट सेवा, रिक्शा और ग्रामीण सेवा ने क्षेत्र में आतंक मचा रखा है। लोग बटला हाउस पर बस स्टैंड न होने से भी खासे परेशान हैं। बरसात के दिनों में हालत और भी बुरी हो जाती है। कई जगह नाले खुले पड़े हैं, जिनमें बच्चों व बड़ों के गिरने का खतरा बना रहता है।

क्षेत्र में फ्लैट बन रहे हैं, टॉप फ्लोर के नाम पर मीटर भी लग रहे हैं, लेकिन टॉप फ्लोर कौन सा है, यह जानकारी न तो बिल्डर ही दे रहे हैं और न बीएसईएस के कर्मचारी ले रहे हैं। माया के आगे प्रशासन चुप है। एमसीडी के अधिकारी भी कुम्भकर्ण की नींद में सो रहे हैं। क्षेत्र में अवैध निमार्ण कर सिलसिला जारी है।

स्थानीय लोग जल संकट, सफाई, अवैध कब्ज़े आदि जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं और कई लोग आधार कार्ड से भी वंचित हैं।

अब देखना है कि क्षेत्र के आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान इन समस्याओं से क्षेत्र के लोगों को राहत दिलवाते हैं या वह भी परवेज हाशमी और आसिफ मोहम्मद खान जैसी नीतियां अपनाते हैं।

फोटो आभार: geytty images

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