Site icon Youth Ki Awaaz

जानिए फेसबुक डेटा लीक पर क्यों हो रही है सियासी रस्साकशी

डेटा चोरी का मामला सामने आने के बाद जहां पूरी दुनिया में हड़कम्प मचा हुआ है वहीं इसकी आंच भारत तक भी पहुंच गई है लेकिन यहां इस आंच में राजनीतिक पार्टियां सियासी रोटियां सेंक रही है। कांग्रेस और भाजपा में एक दूसरे पर छींटाकशी के साथ खुद को पाक साफ बताने की होड़ सी लग गई है।

केम्ब्रिज एनालिटिका नाम की एक चुनाव सलाहकार कंपनी का नाम जब से बाहर आई है तब से हर रोज़ कोई न कोई नया बखेड़ा सामने आता जा रहा है। अब तक तो राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर शक के बिनाह पर ज़ुबानी प्रहार कर रही थी लेकिन केम्ब्रिज एनालिटिका के नए खुलासे ने इस सियासी लड़ाई में आग में घी का काम कर दिया है।

केम्ब्रिज एनालिटिका के पूर्व रिसर्च प्रमुख क्रिस्टोफर वाइली ने खुलासा किया है कि भारत में 2003 से लेकर 2012 तक भारत के कई चुनावों में केम्ब्रिज एनालिटिका ने काम किया है। कंपनी ने राजनीतिक पार्टियों के लिए जाति संबंधी आंकड़े भी मुहैया कराए हैं। JDU का नाम लेते हुए वाइली ने बताया कि 2010 में विधानसभा चुनाव के दौरान केम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी ने JDU को जातिगत आंकड़े पहुंचाए थे।

इतना ही नहीं वाइली ने ट्वीट कर बताया है कि केम्ब्रिज एनालिटिका के कई ऑफिस भारत में भी है। भारत में यह कंपनी स्ट्रैजिक कम्यूनिकेशन लैबोरेट्री SCL के नाम से सक्रिय थी। वाइली के दावों के अनुसार  JDU प्रवक्ता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी SCL इंडिया की शाखा के प्रमुख थे। हालांकि अमरीश त्यागी ने वाइली के इन दावों को बेबुनियाद बताया है

वाइली के दावे कितने सही हैं ये तो जांच का विषय है लेकिन अगर ये वाकई सच है तो यह खुलासे चौंकाने वाले हैं अगर इस तरह से लोगों की ज़िंदगी में तांकझांक कर के चुनाव परिणाम हासिल किए जाते हैं तो निष्पक्ष चुनावों की बातें करना बेईमानी है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है यहां बड़े पैमाने पर इतनी बड़ी जनसंख्या के होते हुए भी चुनाव कार्य सम्पन्न हो जाता है, ये विश्व पटल पर एक मिसाल है।

लेकिन इतनी मशक्कत के बाद अगर ऐसे चुनाव नतीजें आते हैं जो लोगों के दिमाग के साथ खेल कर हासिल किए गए हैं तो घंटों लाइन में लग के जो लोग वोट देने जाते है ये उन नागरिकों के साथ ज़्यादती है।

एक तरफ केम्ब्रिज एनालिटिका के पूर्व रिसर्चर वाइली ने भारत की राजनीतिक पार्टियों पर गंभीर आरोप लगाएं हैं तो दूसरी तरफ ये राजनीतिक दल खुद को पाक साफ बता रहे हैं। केन्द्र सरकार की तरफ ये साफ कर दिया गया है कि BJP का इस मामले से कोई लेना देना नहीं है और जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक सरकार ने केम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी और फेसबुक फाउंडर ज़करबर्ग से जवाब मांगा है लेकिन क्या वाकई भारत उन्हें किसी तरह का जवाब देने पर बाध्य कर पाएगा? क्योंकि सच तो यह है कि भारत में डेटा लीक संबंधी कोई लीगल इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है। सरकार का फेसबुक फाउंडर को चुनौती देना जनता को लुभाने तक तो ठीक है लेकिन सच्चाई के धराताल पर इसके अलग ही मायने है। डेटा लीक का मामला एक गंभीर और राष्ट्रीय मुद्दा है इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है लेकिन यहां इस मुद्दे पर भी सियासत हो रही है, जो नहीं होनी चाहिए।


फोटो आभार- रविशंकर प्रसाद फेसबुक पेज

Exit mobile version