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मैं प्लेसमेंट के लिए एलिजिबल नहीं था, फिर एक इंटर्नशिप ने मेरा करियर बदल दिया

यह सब एक बुरे सपने के रूप में शुरू हुआ। अच्छे अकादमिक अंक न होने के कारण मैं कॉलेज प्लेसमेंट के दौरान किसी भी MNC के लिए नहीं बैठ सका जिसके कारणवश मैं अपना आत्मविश्वास खो चुका था। मुझे पूरा यकीन था कि मुझे कोई इंटर्नशिप भी नहीं मिलेगी। मैं अक्सर इंटर्नशाला की वेबसाइट पर इंटर्नशिप ब्राउज़ करता था लेकिन कभी इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने की हिम्मत नहीं हुई। जब मैं अपने अंतिम सेमेस्टर के परिणामों का इंतजार कर रहा था तब मैंने आखिरकार इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने का साहस जुटाया।

मैंने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बी.टेक. किया था और मुझे मोबाइल ऐप डेवलपमेंट के क्षेत्र में रूचि थी। कॉलेज के दौरान की गयी गलतियों से मैंने सीख ली व निर्णय लिया कि अब मैं जनरलिस्ट के बजाय एक स्पेशलिस्ट बनूंगा, इसलिए मैंने Java, PHP, और वेब डेवलपमेंट में कोर्स किये। इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने से पहले भी मैंने एक पूरा महीना एंड्रॉइड ऐप डेवलपमेंट सीखा।

मैंने अपना बायो-डाटा अपडेट किया और इंटर्नशिप्स् के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया। आवेदन पत्र में जब मुझे यह बताना होता था कि क्यों मुझे चुना जाना चाहिए इंटर्नशिप के लिए, तब मैं उत्तर में अपनी एंड्रॉइड ऐप डेवलपमेंट में रूचि और चल रही ट्रेनिंग के बारे में विस्तार में बताता था। कई आवेदनों के बाद मुझे ‘Eclectic Solutions’ कंपनी में एक इंटर्नशिप के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया और फेस-टू-फेस इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। इंटरव्यू के दिन मैं निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गया था और मुझे पता लगा कि कंपनी के सी.ई.ओ खुद मेरा इंटरव्यू लेंगे। इंटरव्यू कुछ इस प्रकार हुआ:

सी.ई.ओ : तुम एक एंड्रॉइड ऐप डेवलपर क्यों बनना चाहते हो?
मैं : मैं पिछले 3 वर्षों से एंड्रॉइड मोबाइल का उपयोग कर रहा हूं और मुझे हमेशा जिज्ञासा रहती है कि एंड्रॉइड एप्लीकेशन काम कैसे करती हैं। मैं अक्सर सोचता हूं कैसे इन एप्लीकेशन्स को परिवर्तित करके और बेहतर बनाया जा सकता है। मैं पिछले एक महीने से एंड्रॉइड पर काम भी कर रहा हूं।

उसके बाद उन्होंने मुझसे एंड्रॉइड संबंधी कुछ और प्रश्न पूछे जैसे एंड्रॉइड एक्टिविटी साइकिल क्या होती है, इत्यादि। फिर उन्होंने कुछ कठिन प्रश्न भी पूछे लेकिन मैंने पूर्ण विश्वास के साथ सभी का सही उत्तर दिया। मुझे केवल एक प्रश्न में परेशानी हुई पर मैंने पूरी कोशिश की उसका उत्तर देने की। फिर उन्होंने मुझे Java में एक सॉर्टिंग प्रोग्राम लिखने को कहा और उसमें से भी कुछ प्रश्न किए जिनका मैंने सही उत्तर दिया।

सी.ई.ओ : तो, तुम्हारे कॉलेज में प्लेसमेंट ड्राइव नहीं हुई?
मैं : प्लेसमेंट ड्राइव हुई थी किन्तु कम अंक होने के कारण मुझे उसमें बैठने नहीं दिया गया। परन्तु, छठवें सेमेस्टर के बाद के बाद मेरे अंकों में काफी सुधार आया है।

बाद में उन्होंने मुझसे कुछ साधारण प्रश्न किये जैसे मैं कहां से हूं, कब से इंटर्नशिप शुरू कर सकता हूं, इत्यादि। अंत में उन्होंने मुझसे पूछा अगर मैं कोई प्रश्न करना चाहता हूं। वैसे तो कंपनी के बारे में अनेक प्रश्न थे मेरे, लेकिन सबसे पहले मैंने पूछा – “INR 7000 – 9000 स्टाइपेंड से आपका क्या अर्थ है?”

सी.ई.ओ : अनुभवी प्रत्याशियों के लिए स्टाइपेंड INR 9000 है। क्योंकि तुम्हारे पास कोई पूर्व अनुभव नहीं है एंड्रॉयड में, इसलिए तुम्हें INR 7000 मिलेगा यदि तुम चुने गए।

उसके बाद हमने हाथ मिलाया और उन्होंने कहा कि इंटरव्यू का परिणाम शाम तक भेज दिया जायेगा। मैं घर वापस आ गया लेकिन मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था। मैं बार-बार अपना कंप्यूटर चला कर देख रहा था पर कोई ई-मेल नहीं आया। मैं पहले जैसा निराश होने लगा था लेकिन शुक्र है रात के 11 बजे के बाद जब मैंने अपने मोबाइल से ई-मेल देखा तो मुझे पता लगा कि मैं इंटर्नशिप के लिए चुना गया हूं और मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा। ई-मेल में उन्होंने मुझे मेरा ऑफर लेटर भेजा था जो मैंने खुशी से स्वीकार किया।

और फिर आया सबसे महत्त्वपूर्ण दिन – मेरी इंटर्नशिप का पहला दिन। मैं Sublime Text और FileZilla (फाइलज़िला) पर काम करने के लिए बहुत उत्साहित था। मुझे एक कंप्यूटर दिया गया और काम संबंधी सभी सॉफ्टवेयर जैसे एंड्रॉइड स्टूडियो, जेनिमोशन, आदि सेट-अप करने के लिए कहा गया।

मेरा प्रथम कार्य था कंपनी की वेबसाइट से ज़रूरी जानकारी लेकर एक ऐप डेवलप करना। इसके चलते मैंने बहुत कुछ नया सीखा, मुख्यतः UI डिज़ाइन का काम। चूंकि उनके पास एंड्रॉइड में कोई मौजूदा प्रोजेक्ट नहीं था, और मैं वहां एकमात्र एंड्रॉइड डेवलपर था, मुझे शुरू से अंत तक सब कुछ खुद ही बनाना था। इस प्रकार मैं अपनी गलतियों से सीखता और डेटाबेस व नेटवर्किंग पर भी मेरी अच्छी पकड़ हो गयी।

मेरे इंटर्नशिप के आखिरी दिन मैंने सी.ई.ओ से पूछा कि उन्होंने मेरे कम अंक देख कर भी मुझे क्यों हायर किया तो उन्होंने कहा, “मैं एक मार्कशीट में विश्वास नहीं करता हूं। इंटरव्यू में तुम्हारा आत्मविश्वास, अच्छा प्रदर्शन और जल्दी सीखने की क्षमता और उत्सुकता देख कर तुम्हे हायर किया गया था।” उनकी यह बात मेरे मन को छू गयी, इसलिए मैं सबको सलाह देता हूं कि कम-से-कम एक बार स्टार्ट-अप में इंटर्नशिप ज़रूर करनी चाहिए। वहां आपकी परख आपकी मार्कशीट से नहीं होती, आपको महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्य करने को और बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

मैं अब ‘Codelogicx Technologies Pvt Ltd’ नाम की एक कंपनी में एक एंड्रॉइड डेवलपर के रूप में काम कर रहा हूं। इंटर्नशिप की वजह से मेरा तकनीकि कौशल और बेहतर हो गया एवं मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ावा मिला। इस अनुभव से मुझे मेरे करियर में आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली है। मैंने ग्रैजुएशन के बाद इंटर्नशिप की थी, लेकिन मैं सबको सलाह देता हूं कि अपनी पढ़ाई के साथ ही इंटर्नशिप करें क्योंकि वास्तविक व प्रैक्टिकल ज्ञान केवल कक्षा में नहीं मिल सकता।


लेखक के बारे में : मीठू रॉय ने ‘बी. पी. पोद्दार इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी’ से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बी.टेक की है। इस लेख में वह बता रहा है कैसे एक इंटर्नशिप ने उसके करियर को पुनर्जीवन दिया जब वह प्लेसमेंट में नहीं बैठ सका। यह लेख पहले इंटर्नशाला पर प्रकाशित हुआ है।

भारत के प्रमुख इंटर्नशिप और ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म, इंटर्नशाला ने यूथ आउटरीच पार्टनर के रूप में Youth Ki Awaaz के साथ Online Summer Internship Fair (OSIF) 2018 की शुरूआत की है। यहां पायें Zomato, OYO Rooms, General Motors, Burger King, Reliance Entertainment, Max Healthcare, Mahindra Agri, UrbanClap, WWF, और Chumbak जैसे ब्रांडों के साथ रोमांचक इंटर्नशिप।

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