इंडिया और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों में ऐसे फौजी हुए जिनकी तारीफ उनकी दुश्मन फ़ौज ने भी की। अगर बात इंडिया की करे तो इसमें सबसे बड़ा नाम है अरुण खेत्रपाल जो कि सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता तो थे ही साथ ही उनकी तारीफ पाकिस्तान डिफेन्स नाम के वेबसाइट पर भी मौजूद है।
अरुण खेत्रपाल को 1971 में ज़िम्मेदारी मिली थी पाक की टैंक रेजिमेंट को रोकने की। उन्होंने इस ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया और जंग खत्म होने से एक दिन पहले शहीद हुए। उस वक्त पाक सेना की एक टुकड़ी लेफिटनेंट नसीर की अगुवाई में आगे बढ़ रही थी। उसको रोकने का काम उस समय के सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता अरुण खेत्रपाल को सौंपा गया। लेफ्टिनेंट नसीर इस वाकये को बयां करते हुए लिखते हैं
उन्होंने यह बात बकायदा अरुण खेत्रपाल के पिता एम एल खेत्रपाल को पाकिस्तान बुलाकर बताई। अरुण खेत्रपाल की इसी बहादुरी को देखते हुए सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
दूसरे परमवीर भी 1971 के ही हैं पायलट निर्मलजीत सिंह सेखों। एक ऐसा पायलट जो पाकिस्तान के 6 जहाज़ों से अकेले ही जा भिड़ा। वह उस वक्त श्रीनगर एयरबेस पर तैनात थे, जब पाक के 6 जहाज़ों ने श्रीनगर एयरबेस को तबाह करने की नियत से हमला किया। जहां दूसरे पायलट अपने जहाज़ों को हमले से बचाने के लिए सेफ जोन में ले जा रहे थे वहीं सेखों ने दुश्मन से भिड़ने का फैसला कर डाला, चार जहाज़ों को मार गिराया। श्रीनगर एयरबेस बच गया लेकिन उसे बचाने वाला ना बच पाया।
इस बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाज़ा गया। सेखों एयरफोर्स के अकेले वायु सैनिक हैं जिन्हें एयरफोर्स के इतिहास में परमवीर चक्र मिला। युद्ध के बाद उनकी तारीफ करते हुए पाक फौज ने कहा था कि उनमे गज़ब का युद्ध कौशल और कमाल की जहाज़ उड़ाने की हुनरमंदी थी।
इसी तरह पाक की बात करें तो 1971 की जंग से ही एक फौजी और मिलता है लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद अकरम रज़ा। शहीद होने के बाद भी जिसकी उंगलियां स्टेनगन में फसी हुई थी। यह बात भारत के लेफ्टिनेंट कर्नल वी पी ऐरी ने बाकायदा लिख कर पाक सेना को बताई। उनके लिखे इसी उद्धरण के आधार पर लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद अकरम रज़ा को सितारा-ए-जुर्रत से नवाज़ा गया।
जिस तरह लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल का नाम लेफिटनेंट नसीर के उद्धरण के साथ पाक डिफेन्स नामक वेबसाइट पर मौजूद है, उसी तरह कर्नल मोहम्मद अकरम रज़ा का नाम लेफ्टिनेंट कर्नल वी पी ऐरी के उद्धरण के साथ उस साईट पर मौजूद है।
इसी तरह कारगिल में शहीद हुए पाक सेना के कैप्टेन शेरखान को भारतीय सेना ने एक बहादुर फौजी बताया था। एक उद्धरण के आधार पर कैप्टेन शेरखान को पाक सेना ने अपना सर्वोच्च सैनिक सम्मान निशान ए हैदर से नवाज़ा और शेरखान के गांव का नाम भी उनके नाम पर रखा।