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इकलौते उत्तरी सफेद नर गैंडे ‘सूडान’की मौत हम सबसे एक सवाल पूछती है

प्रारंभिक काल में मनुष्य की भौतिक पर्यावरण की कार्यात्मकता में दो प्रकार की भूमिका हुआ करती थी- ग्राही और दाता की। अर्थात मनुष्य भौतिक पर्यावरण से संसाधनों को प्राप्त करता था और पर्यावरणीय संसाधनों में अपना योगदान भी दिया करता था। लेकिन जैसे-जैसे हमारी बुद्धि का विकास हुआ, हम पर्यावरण के प्रति गैर ज़िम्मेदार होते चले गए। शायद प्रकृति ने सबसे ज़्यादा किसी को कुछ दिया है तो वो मनुष्य ही हैं।

मनुष्य आज उसी के बलबूते ऊचाइयों को तो प्राप्त हो गया किन्तु व्यवहारिक रूप से पशुओं से भी निम्न स्तर पर खड़ा हो गया।
प्राकृतिक पर्यावरण के साथ हमारी भूमिका जो प्रारंभ में कारक की थी, समय के साथ बदलती चली गई। हम पर्यावरण परिवर्तन कर्ता से पर्यावरण के विध्वंसकर्ता बन बैठे। इसका हालिया उदहारण है दुनिया के इकलौते उत्तरी सफेद गैंडे ‘सूडान’ का जाना।

सूडान के साथ उसके 6 खयाल रखने वाले में से एक जेम्स म्वेंडा।

ओआई पेजेट (OI Pejata) नैरोबी, में अपना अंतिम सांस लेने वाला दुनिया का एकमात्र सफेद उत्तरी नर गैंडा ‘सूडान’ अब इस दुनिया को अलविदा कह चुका है। ना केवल अलविदा कह चुका है अपितु अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। क्या ये धरती, ये संसाधन सिर्फ और सिर्फ मनुष्यों का है, क्या मनुष्यों के अलावे इस प्रकृति पर किसी का हक नहीं? अपनी बुद्धिमानी और विकास के घमंड में चूर मनुष्य, धरती पर अकेले रह पाएगा? आखिर कब हम अपने ही लिए कब्र खोदना बंद करेगे, कब तक विकास के नाम पर प्रकृति का अन्धाधुन दोहन होते रहेगा?

मानव-पर्यावरण के मध्य बदलते संबंधों का मूल कारण प्रोधोगिकी ही है इसी ने प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान के औधोगिक कल तक मानव-पर्यावरण के संबंधों में आमूल-चूल परिवर्तन करते आया है।

प्राकृतिक पर्यावरण में बाह्य परिवर्तनो को आत्मसात करने की क्षमता होती है किंतु आज हमारा हस्तक्षेप इतना बढ़ गया है कि पर्यावरण में कई समस्याओं का कारण बन बैठा है। जिस कारण जलवायु परिवर्तन का खतरा तो है ही साथ ही साथ कई जीवो के स्पीशीज़ के खत्म होने का खतरा है, ‘सूडान’ से और दो बचे मादाओं के अंड के साथ मिलान कराकर सफेद गैंडे की स्पीशीज बचाने की कोशिश की गई, किन्तु वो असफल हुई।

शायद हम पहले सजग हुवे होते तो उन्हें बचाया जा सकता है। हमारी लालच और अहम ने धरती पर से कई स्पीशीज को हमेशा के लिए खतम कर दिया, अगर हम निकट भविष्य में नहीं चेते और अपने पर्यावरण के प्रति सजग नहीं हुए तो हम कई और जीवों को तो खोएंगे ही, साथ ही साथ अपने अस्तित्व को भी खतरे में डाल देंगे।

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