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खलने वाले खालीपन में हमेशा मौजूद रहेंगे वडाली ब्रदर्स वाले प्यारेलाल वडाली

पंजाब के मशहूर सूफी गायकों की जोड़ी ‘वडाली ब्रदर्स’ के छोटे भाई प्यारेलाल वडाली का आज सुबह हुआ आकस्मिक देहांत अत्यंत दु:खद है। वडाली ब्रदर्स की गायकी को पसंद करने वाले लोगों के लिए यह खबर बहुत आहत करने वाली है, क्योंकि वे वडाली ब्रदर्स में से एक की भी अनुपस्थिति की कल्पना नहीं कर सकते।

मुझे वडाली ब्रदर्स के बड़े भाई पूरनचंद वडाली का ध्यान आ रहा है कि उन पर क्या बीत रही होगी, जब उनका छोटा भाई और वह जोड़ीदार इस दुनिया में नहीं रहा जिनके बिना उन्होंने शायद ही कभी कोई परफामेंस दी हो! 

छोटे भाई के बिना कहीं जाना ही नहीं कोई सम्मान ग्रहण करना भी उन्हें पसंद नहीं रहा! लेकिन जब औपचारिकताओं के कारण उन्हें अकेले ही पद्मश्री ग्रहण करना पड़ा तो उन्होंने बड़े ही बेमन से इसे ग्रहण किया और यही माना कि यह उनका नहीं उनकी जोड़ी का सम्मान‌ है।

वडाली ब्रदर्स की पृष्ठभूमि को अगर आप जानने की कोशिश करें तो आपको पता चलेगा कि ये लोग पंजाब के एक निर्धन ग्रामीण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले लोग हैं। जिनकी शिक्षा-दीक्षा किसी स्कूल में नहीं हो सकी, बल्कि संगीत और जीवन ही उनके स्कूल रहे। एक लम्बे समय तक अखाड़े में कुश्ती लड़कर बड़े भाई और रासलीला में कृष्ण बनकर छोटे भाई, घर-परिवार के लिए अर्थोपार्जन की व्यवस्था करते रहे।

वडाली ब्रदर्स, गायकी के‌ जिस मुकाम पर पहुंचें, उसके पीछे भी इन लोगों का भारी संघर्ष रहा है। कहते हैं कि बड़े भाई अपने छोटे भाई को साईकिल के पीछे बैठाकर और हारमोनियम लिए लम्बी-लम्बी दूरियां तय करके पंजाब के गांव-गांव और कस्बे-कस्बे तक गाने जाया करते थे।

पंजाबी पृष्ठभूमि से होने के कारण वडाली ब्रदर्स की गायकी से मैं बचपन से परिचित रही हूं और मुझे इनकी गायकी इतनी पसंद रही है कि जब-तब मौका मिलने पर मैं इन्हें सुनती रहती हूं। कल शाम भी मैं ‘तनु वेड्स मनु’ के लिए गाया उनका गाना ‘ऐ रंगरेज़ मेरे’ यूट्यूब पर सुन रही थी।

2016 में जब वे कपिल शर्मा के टीवी शो पर आए थे तो, गायकी के अलावा उनके सेंस ऑफ ह्यूमर और उनकी निश्छलता के कई प्रसंगों से परिचित होने का मौका भी मिला। प्यारेलाल वडाली की उम्र सिर्फ 66 साल थी और वे अपने भाई से लगभग एक दशक छोटे थे और इसलिए भी तमाम सार्वजनिक अवसरों पर उन्हें अपने बड़े भाई के प्रति अदब का निर्वाह करते हुए देखा जा सकता था। वे अपने बड़े भाई की अपेक्षा कम मुखर थे, लेकिन जब गायकी का अवसर आता था, तो दोनों ही भाई मुकम्मल गायकी के बराबर के भागीदार नज़र आते हैं।

प्यारेलाल वडाली को हार्दिक श्रद्धांजलि। किसी के जाने के बाद जिस रिक्तता की बात की जाती है, वह प्यारेलाल वडाली के जाने के बाद साफ-साफ दिखेगी भी।

हमें यह कामना करनी चाहिए कि उनके बड़े भाई पूरनचंद वडाली इस दु:ख से उबर पाएं और इस रिक्तता के कारण अपना गायन नहीं छोड़ें। वे जब तक गाते रहेंगे, तब तक एक खलने वाले खालीपन में भी लोगों को यह महसूस होता रहेगा कि प्यारेलाल वडाली भी कहीं न कहीं अपने बड़े भाई के साथ मौजूद हैं।

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