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विश्व राजनीति के लिए ठीक नहीं ट्रंप का येरुशलम को इज़राइल की राजधानी घोषित करना

128 देशों ने येरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में  मान्यता नहीं दी है। वहीं ट्रंप के इस फैसले से विश्व राजनीति में अमेरिका की छवि को ज़बरदस्त झटका लगा है।

6 दिसंबर 2017 को येरुशलम को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देते हुए ट्रंप ने कहा था, “एक ज़रूरी चीज़ जो मैं कर रहा हूं।” उनके इस फैसले से अमेरिका की तटस्थ रहने की नीति को झटका लगा है।

फिलिस्तीन के विदेश मंत्री के मुताबिक, “यह एक हिंसा फैलाने और शांति व्यवस्था को पटरी से उतारने का मामला है।”

मध्य एशिया के जानकारों के मुताबिक यह मसला सिर्फ मध्य एशिया को ही नहीं बल्कि सभी अरब देशों को दुविधा में ले आया है। ट्रंप के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ट्रंप की छवि को धूमिल किया है। अभी तक अमेरिकी कूटनीति के लिहाज से अमेरिका येरुशलम के मुद्दे पर तटस्थ और मध्यस्थ की भूमिका में था।

जानकारों के मुताबिक येरुशलम अमेरिकी राजनीति में बहुत ही संवेदनशील मुद्दा रहा है। ट्रंप ने भी चुनावों में येरुशलम को इज़राइल की राजधानी बनाने का वादा किया था। संयुक्त राष्ट्र में 128 देशों के विरोध के बाद भले ही यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चले गया हो, लेकिन इस फैसले से ट्रंप एक गैरज़िम्मेदार नेता के तौर पर भी स्थापित हो गए हैं। ट्रंप के इस फैसले से मध्य एशिया में आगजनी और झड़प की खबरें भी सामने आई थी।

संयुक्त राष्ट्र को डर है कि यह मुद्दा अगर बड़ा रूप लेता है तो मध्य एशिया में शांति बहाली के प्रयासों को धक्का लगेगा।

ट्रंप के इस फैसले से विश्व समुदाय और अरब देश, ट्रंप और अमेरिका के और बड़े विरोधी हो जाएंगे। इस वजह से मध्य एशिया में तनाव फैलेगा।

अमेरिका विश्व शक्ति के रूप में स्थापित है जो ट्रंप की इस घोषणा के बाद से न सिर्फ अलग-थलग पड़ गया है, बल्कि वैश्विक राजनीति पटल में उस पर से विश्वास भी कम हुआ है। इस वजह से आगे आने वाले समय में अमेरिका के द्वारा लिए गए फैसले के और विरोध होने की संभावना है।

ट्रंप ने धमकी देते हुए कहा था कि जो देश हमारा समर्थन नहीं करेंगे, वह भविष्य में हमारे द्वारा मिलने वाली सहायता पर रोक के लिए तैयार रहें। इसे लेकर अमेरिकी विदेश सचिव ने कहा था, “हम अपने स्तर पर देखेंगे कि हमारा विरोध करने वाले हम से कितने और कैसे सहयोग की उम्मीद रखते हैं।”

ट्रंप और उनकी विदेश सचिव के बयानों ने बाकी देशों की संप्रभुता और आत्म सम्मान को बहुत हद तक चुनौती दी है। टर्की के राष्ट्रपति का इस पर कहना था, “ट्रंप ने इस पूरे क्षेत्र को आग में फेंक दिया है, वह मुझे (टर्की को) धमका नहीं सकते।”

कुछ इसी तरह भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बयान जारी करते हुए कहा, “भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, वह अपने फैसले स्वयं लेगा। भारत द्वारा लिए गए निर्णय में हमें किसी तीसरे पक्ष का दबाव नहीं होगा।”

फिलहाल अभी ट्रंप के निर्णय को संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर के द्वारा रद्द कर दिया है। मध्य एशिया कब तक अशांत रहेगा, यह समय पर ही छोड़ देना चाहिए, इस उम्मीद के साथ एक दिन अमन फिर से बहाल हो सकेगा।

फोटो आभार: flickr

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