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भारत की अर्थव्यवस्था में असंगठित व्यवसाय भी देता है बड़ा योगदान- कै. रघु रमन

इंडियन आर्मी में अफसर रह चुके कैप्टन रघु रमन आज, लम्बे समय से बिज़नेस स्कूल्स में मुख्य वक्ता के तौर पर जाते हैं। जोश टॉक्स में वक्ता के तौर पर आए कैप्टन रघु रमन ने अपनी बातचीत के दौरान बताया कि कैसे संगठित व्यवसाय से बेहतर है असंगठित व्यवसाय। संपूर्ण वार्तालाप जानने के लिए देखें जोश टॉक्स का यह विडियो।

दुनिया की सबसे तेज़ बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था इस समय भारत की है। अधिकांश लोग यही सोचते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था केवल निजी कंपनी या फिर सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों से होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। देश में चल रहा असंगठित व्यवसाय जैसे कि खिलौना विक्रेता, सब्ज़ियों के विक्रेता, सड़क किनारे लगी वडापाव जैसी खाने की दुकानें आदि का भी हमारी अर्थव्यवस्था में बराबर का योगदान है।

असंगठित व्यवसाय कैसे देश के लिए लाभकारी हैं?

अनौपचारिक क्षेत्र, देश की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को काम देता है। हमारे देश में ये करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनियां बेरोज़गारी को कम नहीं करती बल्कि ये असंगठित व्यवसाय करते हैं। अनेकों छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे कि सड़क पर लगी किताबों की दुकानें, फल की दुकानें, अखबार बेचने वाले, मिठाइयों की दुकानें आदि जैसे व्यापार सुबह से लेकर शाम तक खूब कमाते हैं। एक दिन में ही कोई इंसान एक से ज़्यादा व्यवसाय भी कर सकता है। यह सारी बातें बड़े-बड़े बिज़नेस स्कूल्स में भी नहीं बताई जाती हैं।

क्या है अनौपचारिक क्षेत्र की खासियत?

सामान खरीदते समय पैसे कम कराना या फिर मोल-भाव करना, ये सब हम केवल इन्हीं दुकानों पर कर सकते हैं ना कि मिलियन डॉलर कंपनीज़ में। विक्रेताओं का अपने ग्राहकों के साथ अच्छा सम्बन्ध होता है, यदि उन्हें विक्रेताओं की सर्विस अच्छी लगती है तो वे दुबारा भी आते हैं। असंगठित व्यवसाय में प्रत्येक आदमी के लिए सामान अवसर होते हैं। इस व्यवसाय में लोग अलग से मौसमी व्यवसाय करके भी पैसे कमाते हैं। देश की गली-गली में खुले ये छोटे व्यापार ना जाने हमारी अर्थव्यवस्था में कितना ही लाभ पहुंचाते हैं। इन्हें कम नहीं आंक जाना चाहिए।

 

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