कैसी दिल दहलाने वाली घटना घटी है।जहाँ एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे सरकार गढ़ रही है वहीं दूसरी तरफ बेटियाँ सुरक्षित तक नही है।हैवानियत का ये नंगा नाच आखिर कब तक।ये प्रश्न आज हर माँ बाप के जेहन में चल रहा है जो कि किसी बेटी के माता पिता हैं। जम्मू के कठुआ जिले में आसिफा के साथ जो हुआ है ऐसी शर्मनाक घटना पर इंसानियत भी शर्मिंदा है एक बच्ची जिसे दुनियादारी, सही गलत के मायने तक नही पता जिसे अभी दुनिया देखी भी नही उसके साथ ऐसी निर्ममतापूर्वक कृत्य किया गया वो भी देवालय में शर्म आती है खुद को मनुष्य मानने में। हम किस युग मे जी रहे है पत्थर के युग मे या आदमखोर हैवानों के बीच। सरकार की आंखों में जैसे पट्टी बंधी हो और कानों में कोई आवाज नही जाती। कैसी आजादी की चाह थी हमें कैसै नियमों की जरूरत थी हमे हम कहाँ से चले और कहाँ आ के रुके है। सत्तारूढ़ सरकार जोकि जब सत्ता में नही थी तब कितने भाषण और कितने प्रदर्शन करती थी। और आज जब खुद सत्ता में आई तो इस सरकार के मंत्री,विद्यायक,नेता खुद भक्षक बन गए है। सत्ता की लालसा ने आम जनता को लीलना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री जो खुद को प्रधानसेवक बताता था आज मौन हो चुका है। मंत्री बेटियों को उल्टा दोषी ठहरा रहे है कभी उनके पहनावे तो कभी उनके रात में निकलने पर उंगली उठाई जाती है। जिस देश मे बेटी को पूजा जाता है कभी लक्ष्मी तो कभी दुर्गा के रूप में उसी देश मे आज बेटियाँ सुरक्षित नही है। विरोध करने पर बेटियों को बुरी तरह पीटा जाता है और हत्या कर दी जाती है।उन्नाव जिले में तो बलात्कार करने के बाद लड़की के पिता को मारा जाता है। और शिकायत करने पर सारे पुलिसकर्मी उस पर हंसते है और पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो जाती है।फिर भी दोषी भाजपा विधायक पर कोई करवाई नही होती। और बिगड़े विधायक उल्टा लड़की को दोषी ठहराते है और बयान देते है कि 3 बच्चो की मां से कैसे बलात्कार किया जा सकता है। हिदू मुस्लिम की लड़ाई करा कर उसपर राजनीति की रोटी सेंकने वालों को बेटियों के ऊपर हो रहे बलात्कारों में भी धर्म दिखाई देता है। ऐसी सरकार जहाँ कानून एक मजाक बन के रह गया है। जहां ताकत के बल पर कुछ भी किया जा सकता है। चारो तरफ भय और असुरक्षा का माहौल दिख रहा है। भारतमाता की इज्जत भी खतरे में है आज क्योंकि इसकी जिम्मेदारी एक अंधी और गूंगी सरकार पर है। बस अब और नहिईईई।
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