‘‘बलात्कार” नाम तो सुना ही होगा आज कल बच्चा हो या बुजुर्ग सब जानते है कुछ इसके नाम से कुछ इसके अंजाम से। ना जाने कितने समय से देश इस भयानक स्थिति से गुजर रहा है। वो बात अलग है कि कुछ ही घटना ऐसी होती है जिससे पूरा देश रूबरू होता है चाहे वो निर्भया वाली घटना हो जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। चाहे आज की मासूम 8 साल की नन्ही सी बच्ची ***** हो जिसे अपनी खिलखिलाती उम्र में जान गवानीं पड़ी। मैं यहाँ नाम नही ले रहा हूं क्योंकि किसी भी रेप पीड़ता का नाम उजागर करना गैर कानूनी है लेकिन ये बात इस सोये हुए समाज और TRP की भूखी मीडिया को कौन बताये? एक तरफ जहां मीडिया TRP के लिए तो जोर जोर से चिल्ला रही है वहीं दुसरी तरफ इंसाफ का हवाला दे कर देश का एक बहुत बड़ा वर्ग उसका नाम चिल्ला रही है उनको कौन बताये के whatsapp or fb पर DP लगा कर अगर लोगों को इंसाफ मिलता तो कानून शब्द ही इस देश में नहीं आता ।
मुझे एक बात और समझ मैं नहीं आती कि सोये हुए सामाज और सरकार को जगाने के लिए क्यों किसी को निर्भया बनना पड़ता??ये लोग तभी क्यों जागते है जब कुछ ऐसा हो जाता है? क्या हम पहले से नहीं जाग सकते? इस बात पर मुझे गाँव की एक कहावत याद आ गयी
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“”अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत””
इसलिए मेरा यह मानना है कि सरकार को दोषी ठहराने से पहले खुद को दोषी माने क्योंकि इसमें समाज की अधिक कमी है और शायद आप लोग भी इस बात से सहमत होंगे एक आंकड़े के अनुसार महिला सुरक्षा से जुड़े तमाम कानून और बहसों के बावजूद देश में अपराध घट नहीं रहे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में हर घंटे में चार बलात्कार होते हैं और लगभग 106 पूरे दिन में, आंकड़ो की माने तो 2016 में रेप के 38,947 मामले सामने आए जो कि 2015 में आये 34,200 से लगभग 14% अधिक थे । और ये बढोतरी लगतार साल दर साल बढ़ती जा रही है। मेरी समझ से अगर इतनी या इससे आधी गति से भी अगर देश की GDP बड़ी होती तो देश की स्थिति बहुत बेहतर हो। मैं ज्यादा आंकड़ो पर नहीं जाऊंगा क्योंकि आंकड़े जानकर हम इन पर रोक नहीं लगा सकते ।कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं होती के उसे रोका ना जा सके बस आवश्यक यह है कि हमें उसका सही समाधान पता होना चाहिए ।एक ऐसा ही समाधान यहाँ भी है जो इस लोक कथा में बताया गया है जिसका लेखक अज्ञात है –साथियों ये बात है आज की
“आंटी जी चंदा इकठ्ठा कर रहें हैं। आप भी कुछ अपनी इच्छा से दे दीजिए ।”
“अरे लड़कियों ये काॅलेज छोड़ कर किस बात का चंदा इकठ्ठा करती फिर रही हो ?“
“सैक्स फंड”
“हैं! ये क्या होता है?”मिसेज खन्ना के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव थे । “आंटी जी हम में से कुछ लड़कियाँ कल शहर के बाहर की तरफ बनी वेश्याओं की बस्ती में बात करने गयी थी कि वो हर मोहल्ले में अपनी एक ब्रांच खोल लें । पर उन्होंने कहा कि उनके पास इतना पैसा नही है , तो हमने कहा फंड हम इकठ्ठा कर देंगी ।”
“हे राम! सत्यानाश जाए लड़कियों तुम्हारा । सब के घर परिवार उजाड़ने हैं क्या , जो बाहर की गंदगी लाकर यहाँ बसा रही हो ?“
आंटी जी गंदगी नही ला रहे बल्कि हर गली मोहल्ले के बंद दरवाज़ों के पीछे बसी कुंठित गंदगी को खपाने की कोशिश कर रहे हैं वो भी उन देवियों की मदद से जिनकी वजह से आप जैसे घरों की छोटी बच्चियां सुरक्षित रह सकेंगी। हम वहाँ ऐसी बहुत औरतों से मिले जो स्वेच्छा से मोहल्लों में आकर बसने को तैयार हैं । बस सारी मुश्किल पैसे की है तो हमने कहा हम फंड से तुम्हारी महीने की सैलेरी बांध देंगे । और कोई अपनी इच्छा से ज्यादा देना चाहे तो और अच्छा ।”“हाँ ,आंटीजी अब आदमजात की भूख का क्या भरोसा , कब, कैसे ,कहाँ मुँह फाड़ ले। सब पास में और हर जगह उपलब्ध होगा तो शायद कुछ बच्चियों को इन घृणित बलात्कारियों से बचाया जा सके।” दुसरी लड़की ने अपना तर्क दिया।“
तो क्या हर जगह ये कंजरखाने खुलवा दोगी?”मिसेज खन्ना ने बेहद चिढ़ कर कहा।“
ठीक कहा आंटीजी आपने। कंजर ही तो खपाने हैं यहाँ शरीफ तो वैसे भी जाने से रहे । आज इन कंजरो से न भूख संभल रही है ,न सरकार से कानून व्यवस्था । तो हमें तो अपनी इन बहनों से मदद मांगने के अलावा और कोई उपाय नज़र नही आ रहा । आप के पास कोई हल हो तो आप बता दो?? मिसेज खन्ना कुछ घड़ी अवाक् देखती रही ,उनके पास कोई जवाब न था। अंदर से दो हज़ार का नोट लाकर दे दिया और कहा “जब ज़रूरत हो और ले जाना ।”जी”“ बुदबुदाती हुई मिसेज़ खन्ना अंदर चली गई और रिमोट उठा टीवी बंद कर दिया जिस पर सुबह से हर चैनल पर बच्ची के साथ हुए गैंग रेप का ब्यौरा और तथाकथित समाजसेवी लोगों के बयान से सजा सर्कस आ रहा था।अतः मेरा यही मानना है कि सरकार को दोष देने की जगह मिलकर इस समस्या का समाधान करें । कहते हैं लोगो को तभी फर्क पड़ता है जब उन पर बीतती है मगर ऐसा मत करना ये कह कर मत भागना कि मेरी बेटी या बहन थोड़ी ना है क्योंकि जिस प्रकार जंग में कभी गोली धर्म, जाति ,अमीर-गरीब पूछ कर नहीं लगती वैसे ही ये आदमखोर भेड़िये धर्म, जाति, रिस्तेदारी ,गरीब-अमीर देखकर नहीं टूटते। मेरी अपील है आप सब लोगो से जाग जाइए उखाड़ कर फेंक दीजिए इस बुराई को ।क्योंकि कोई नहीं चाहता कि मेरे ,आपके या किसी के घर में भी कोई निर्भया बने ,किसी घर की नन्हीं सी चिराग बुझ जाए जो उस घर को रोशन कर रही थी । समस्या का समाधान हो सकता है बस जरूरत है तीनों “स” को साथ आने की “स्वयं-समाज-सरकार” एक बार कोशिश तो करके देखिये तब जाकर बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ सफल हो पायेगा।।।।।जय हिंद
ये था एक सुझाव अगर आपके पास भी हो तो plz शेयर कीजिये या मेरा email address है–dk1617426@gmail.com )
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