मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारी सहानुभूति
तुम्हारा तरस
तुम्हारे वादे
तुम्हारे भाषण।
मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारी बेटी बनना
तुम्हारे देश का एक आंकड़ा बनना
तुम्हारे बनाये हुए रिश्तों में
अपनी इज़्ज़त ढूढ़ना।
मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारी राजनीति
तुम्हारे खोखले शब्द
तुम्हारी आँखों के पीछे छुपे पिशाच
तुम्हारी झूटी सोच
मुझे चाहिए
मेरे इंसान होने के हक़
मेरी आज़ादी
चलने की, दौड़ने की, सोचने की आज़ादी
जिस वक़्त जिस तरह जहाँ चले जाने की आज़ादी
जीने की आज़ादी
नहीं हूँ तुम्हारे देश की बेटी, माँ , बेहेन
हूँ उस सब से कुछ ज़्यादा
खुद अपने आप में पूरी हूँ मैं
पहचान लो मुझे.
इंसान हूँ पहले.