समस्त मुद्दों में अगर कोई मुद्दा सबसे ज़्यादा रहता है तो वो है “किसान”। देश की राजनीति, उद्योग, रोजगार, सुरक्षा आदि में किसान बसता है। आज सबसे ज़्यादा राजनीति किसान को लेकर होती है। वो बात अलग है कि इनको लाभ नही मिलता, रोजगार पाने के लिए किसी भी तरह की परीक्षा/डिस्कशन में सवाल किसानों से संबंधित ज़रूर होते है। कर्ज़ माफी अधिकतर उद्योगपतियों की होती है, क्योंकि “एक लाख करोड़” का कर्ज़ माफ कर देने से देश की अर्थव्यवस्था को कुछ नही होगा। लेकिन वहीं तमिलनाडु का किसान जंतरमंतर से बेइज़्ज़त होकर चला गया, अगर उसका कर्ज़ माफ हो जाता तो देश की अर्थव्यवस्था चर-मरा जाती। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था में भी कीमती योगदान किसान का ही है। उत्तर -प्रदेश में किसान कर्ज माफी घोटाला किसी से छुपा नही है, कर्ज़ माफी के नाम पर साठ पैसे, अस्सी पैसे, एक रुपया किसानों का माफ करके एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया। किसान यहाँ भी निराश ही हुआ। वही बात करें देश की सुरक्षा की, तो उसमें अधिकतर सैनिक किसान के बेटे ,बेटियां है इनमे किसी उद्योगपति की संतान आपको देखने को नही मिलेगी।
क्योंकि देश प्रेम की सर्वाधिक भावना किसान में बसती है और वो किसी ब्रांड के आटे का प्रयोग नही करते, उनको पता होता है कि जिस रोटी को वो खाते है उसमे भारतीय मिट्टी की खुशबू बसी होती है।
भारतीय राजनीति में किसान तब तक एक मुद्दा ही रहेगा, जबतक की उसका एक नेता नही बन जाता, यह मुश्किल है क्योंकि किसानों को भी धर्म-जात में बाटकर इनका शोषण किया जाता है। जब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने उस समय प्रथम और अंतिम बार सभी किसान एक-जुट हुए थे, ऐसा अब मुश्किल है परंतु नामुमकिन नही।
राजस्थान में किसानों ने एकजुट होकर आंदोलन किया, लेकिन उसको ‘पद्मावत’ के मुद्दे के ज़रिए दबा दिया गया। पूरा देश संजय लीला भन्साली के नुकसान की फिक्र करता दिख रहा था, जबकि इसमे किसानों का बहुत अधिक नुकसान हो गया। सरकार को पता था, कि अगर यह आंदोलन मीडिया में आया तो आने वाले चुनाव में उसका जाना तय है। इसलिए सरकार ने पद्मावती के जौहर के पीछे अपने जौहर दिखाए और किसान आंदोलन को पद्मावत की आग में जलाकर खत्म कर दिया। जिससे किसान एक साथ ही नही आ सके।
इस तरह किसान ने हमेशा से देश को कुछ न कुछ दिया लेकिन मीडिया ने किसान को कवरेज तक नही दिया और वही इस देश के हुक्मरानों ने किसान का शोषण ही किया, जो रणनीति के मुताबिक आगे भी होता ही रहेगा.