“चाहत”
भूका गरीब चाहता है।
मुझे एक वक़्त रोटी मिले ,
भटकता मुसाफिर चाहता है ,
कोई राह में सफर वाला मिले।
बेरोजगार चाहता है ,
उसे काम मिले।
कलाकार चाहता है ,
उसे प्रोत्साहन मिले।
दलित चाहता है ,
समाज में उसे सम्मान मिले।
अकेला व्यक्ति चाहता है ,
उसे साथी मिले।
चोर चाहता है ,
उसे चोरी का मौका मिले।
किसान चाहता है ,
उसके फसल को अच्छी कीमत मिले।
राजनेता चाहता है ,
उसे राजनीती की ख़ुर्शी मिले।
मेहनती चाहता है ,
उसे अपना हक्क मिले।
वृद्ध चाहते है ,
उन्हें बच्चो से स्नेह मिले।
कलम चाहती है ,
बेकसूरों को न्याय मिले।
– दिनेश बोकडे