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“मैं “

“मैं “

मैं खामोश ,
लेकिन बेजुबाँ नहीं।
मैं कोशिश हूँ ,
लेकिन हार नहीं।

मैं कलम हूँ।
लेकिन तलवार नहीं।
मैं बेधुंद हूँ ,
लेकिन किसीकी मर्यादा नहीं।

मैं अकेला हूँ ,
लेकिन किसीका भय नहीं।
मैं पागल हूँ ,
लेकिन मुर्ख नहीं ,

मैं नशा हूँ ,
लेकिन मादक नहीं।
मैं इंसान हूँ ,
लेकिन किसीका खिलौना नहीं।

मैं मोहब्बत हूँ ,
लेकिन किसीकी दौलत नहीं।
मैं शब्द हूँ ,
लेकिन किसीकी वाणी नहीं।

मैं पानी-सा रंग हूँ ,
लेकिन बेरंगी नहीं ,
मैं दिप हूँ ,
लेकिन चाँद-सा उजाला नहीं।

मैं मुसाफिर हूँ ,
लेकिन बेसहारा नहीं।
मैं उम्मीद हूँ ,
लेकिन किसीका दुःख नहीं

– DINESH BOKADE

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