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AIDS को लेकर तमाम मिथ्याओं को तोड़ रही हैं 14 साल की नंदिनी कुच्छल

14 साल की लड़की नंदिनी कुच्छल जिसने समाज की एक विकट समस्या का समाधान करने का निर्णय लिया। वह समस्या जिसे हम HIV और AIDS के नाम से जानते हैं। इनका नाम सुनते ही आपके दिमाग में यही आता है कि HIV पीड़ित को स्पर्श कर लिया, या फिर उनका झूठा खा लिया तो यह बीमारी आपको भी लग जाएगी। लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं होता, HIV कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है। इस बात को हमारे समाज के बड़े-बड़े नहीं समझते लेकिन इस 14 वर्ष की लड़की ने समझा और इस सोच को बदलकर HIV पीड़ितों को आम जीवन प्रदान करने के लिए फाइट रेड नाम का मिशन भी शुरू कर दिया। यह संस्था HIV पीड़ितों की देख-रेख करता है, उन्हें शिक्षा दिलाता है और कोशिश करता है कि वो एक आम जीवन बिता सकें बिलकुल आपकी और हमारी तरह।

इस युवा लड़की की प्रेरक कहानी सुनने के लिए देखें यह वीडियो।

 

“रेज़- आशा की एक किरन” नाम का NGO जो की जयपुर के HIV और एड्स पीड़ितों को हर तरह की सुविधाएं प्रदान करता है। इस NGO की एक संस्थापक नंदिनी की दादी रश्मि कुच्छल भी हैं। 8 वर्ष की आयु से ही नंदिनी ने HIV/AIDS के बच्चों को बहुत नज़दीक से देखा है और वे उनके लिए कुछ करना चाहती थीं।

अपनी दादी के नक्शेकदम पर चलते हुए, 14 वर्ष की नंदिनी ने अपना ही एक मिशन शुरू किया HIV और AIDS पीड़ितों के लिए जिसका नाम FIGHT RED है।

HIV/AIDS के प्रति समाज की रूढ़िवादी सोच और उन पीड़ितों के साथ किए गए भेदभाव के खिलाफ इस युवा ने यह अभियान शुरू किया। नंदिनी ने फाइट रेड की शुरुवात लोगों से पैसे इक्कठे करके करी, उन्होंने पीड़ितों के लिए 3 लाख से भी ज़्यादा रूपए जुटाए। हाल ही में, प्रतिष्ठित अशोका फाउंडेशन द्वारा नंदिनी को राजस्थान की पहली युवा वेंचरर के शीर्षक से सम्मानित किया गया।

फाइट रेड ने अब तक बहुत से स्कूलों में  वर्कशॉप्स करवाई हैं और एक वर्कशॉप ट्रक ड्राइवर्स के साथ भी करी है क्योंकी इनके मध्य यह बीमारी सबसे अधिक होने का डर होता है। नंदिनी एक राष्ट्रीय स्तर की स्क्वैश खिलाड़ी हैं और बाकी बच्चों की तरह वे भी सोशल मीडिया को समय देती हैं लेकिन उनका कहना है कि –“प्रत्येक युवा को HIV/AIDS से संबंधित जागरूकता समाज में फैलानी चाहिए”

 

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