फेसबुक का वर्तमान प्रकरण 1973 के चलचित्र “यादों की बारात के उस गाने की याद दिलाता है जिसके बोल कुछ यूं थे ,”आपके कमरे में कोई रहता हैं ये हम नही जमाना कहता हैं। हालिया मामला है कि केम्ब्रिज analytica नामक एक कंपनी ने करीब 5 करोड़ यूज़र्स का डेटा बिना ग्राहकों की मंजूरी के उनके डेटा को देखा एवं उसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया, इस कंपनी पर यह आरोप है कि इसने फेसबुक से थर्ड पार्टी app के ज़रिये 2013 से 2015 तक ग्राहकों के निजी डेटा को चुराकर इसका इस्तेमाल अपने पॉलिटिकल फर्म के लिए किया तथा लोगों के राजनीतिक व्यहवार को जानने के लिए किया गया।
यहां तक कि इस कंपनी ने अपने ग्राहकों को जिताने के लिये हनीट्रैप का इस्तेमाल भी किया। इस फर्म ने फेक न्यूज़ फैलाकर ग्राहकों के राजनीतिक मत को भी बदलने का प्रयास किया।
भारतीय संदर्भ में अगर इस घटना को समझना हो तो उस बयान को समझना होगा जब व्हिसलब्लोअर क्रिस्टोफे विली ने लंडन की एक अदालत में कहा कि कई राजनेताओं ने काँग्रेस को 2014 में हराने के लिए डैन मुरेसोन को पैसे दिए और हम जानते हैं कि चुनाव के परिणाम क्या थे, भारत में कई राजनीतिक दल इस फर्म के ग्राहक थे तो हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि चुनाव में कितनी निष्पक्षता रह गयी है।
इस विवाद में स्टीव बैनन का नाम प्रमुख है जो 2014 तक केम्ब्रिज analytica के सीईओ थे, बाद में वो डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव प्रचार के प्रमुख बन गए और इन्हीं के समय में डेटा संग्रह का कार्य किया गया जिसका इस्तेमाल माना जा रहा है कि 2016 के अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में किया गया था, ऐसा आरोप इसपर है। यह वाकया विश्व में चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
इस प्रकार के कंसल्टेंसी फर्म भारत में भी हैं, प्रशांत किशोर की ई पैक कंसल्टेंसी फर्म। प्रशांत किशोर 2014 में मोदी को और बिहार में राजद गठबंधन को जिताने के जनक माने जाते हैं। ये घटनाएं इन फर्म्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं कि वो जनता के मत को किस प्रकार प्रभावित करते हैं, कई प्रकार के गलत हथकंडे अपनाए जाते हैं जैसे धार्मिक द्वेष ,सांप्रदायिकता आदि।
भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा फेसबुक यूज़र्स हैं। फेसबुक का ही आंकड़ा कहता है कि तकरीबन 5.6 लाख भारतीय नागरिक के फेसबुक के निजी डेटा को प्रभावित किया होगा, फेसबुक के लगभग 217 मिलियन एक्टिव भारतीय यूज़र्स जो की ज़्यादातर युवा हैं, क्या फेसबुक इस प्रकार के प्रकरण रोकने के लिए कोई कदम उठाएंगे faceboook ने कहा है कि वो अपने यूज़र सर्विस इंटरफेस में बेहतर बनाकर उसे दुरुस्त करेगा लेकिन उसमें अभी समय लगेगा।