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बिहार में BJP की राजनीति युवाओं को बांटो और राज करो की है?

बीजेपी पर सत्ता में आने के लिए सांप्रदायिक दंगे करवाते रहने का आरोप लगता रहता है। आज भी वह इन्ही सांप्रदायिक राजनीति  की वजह से केंद्र में आई है। केन्द्र सरकार या बीजेपी की राजनीति देखेंगे तो पायेंगे कि हिंदू मुस्लिम के बीच आपस में लड़वाना ही इनकी राजनीति है। युवाओं की मूलभूत सुविधा और उनके अधिकारो से इन्हें कोई मतलब नहीं है। बीजेपी युवाओं को हिन्दू मुस्लिम वाद विवाद मे उलझाये रखना चाहती है। यह आज की ही बात नहीं है बल्कि गुजरात के दंगों की भी बात है। केंद्र में आने व अपनी पहचान बनाने के लिए नेता ऐसे मुद्दो को ठंडा नही होने देते। वह समय समय पर इन्हें भडकाते रहते हैं और खुले आम गुंडा राज चलाते हैं।

जैसे अभी हाल के बिहार दंगो को ही ले लिजिए। बिहार के 9 ज़िले आज दंगों से प्रभावित हो चुके हैं। बिहार के सांप्रदायिक दंगों की शुरुआत 17 मार्च को भागलपुर से हुई, जब बिना किसी स्थानीय प्रशासन व बिना किसी परमिट के BJP  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अरिजीत ने एक रैली निकाली जिसमें आपत्ति आपत्तिजनक नारे लगाए गएं। पूरी रैली में बजरंग दल, RSS और BJP के तमाम नेताओं बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस पूरे घटनाक्रम की योजना सुनियोजित ढंग से बनाई गई थी। इस रैली में लोग तलवार का इस्तेमाल खुलेआम कर रहे थे।

इस घटना के बाद  BJP नेता अश्विनी चौबे ने अपने बयान में बेटे का ही पक्ष लिया और उसे निर्दोष बताया। मुख्य दोषी अरिजीत चौबे अभी गायब है। जूलुस की शक्ल में सैंकड़ों की संख्या में लोगों ने गलियों के अंदर घुसकर एक खास समुदाय के लोगों को नुकसान पहुंचाया जिससे उनमें दहशत का माहौल लगातार बना हुआ है। इस पूरी घटना का दंगाईयो ने वीडियो भी बनाया और उस वीडियो को सोशल मीडिया पर डाल दिया। जिसे भारी संख्या में लोगो ने देखा। जिसके बाद 25 मार्च की शाम बिहार के औरंगाबाद में रामनवमी के जुलूस के दौरान भी काफी हिंसा हुई। और फिर देखते-देखते राज्य के नौ ज़िले दंगों की आग में झुलसने लगे।

अगर इन दंगों के पैटर्न की बात की जाये तो साफ होता है कि सभी जगह दंगे सुनियोजित तरीके से करवाये गए हैं। न्यूज क्लिक वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट बताती है कि सबसे पहले सीडी, पेनड्राइव में भड़काउ गानों को भरकर बांटा गया, फिर तलवार और हॉकी स्टिक को लोगों में बड़ी संख्या में बांटी गयी।

हालांकि इससे पहले रामनवमी में हिन्दुओं की रैली कम ही निकाली जाती थी, तलवार लेकर सड़क पर प्रदर्शन करने जैसी चीज़े तो किसी भी हिन्दुओं के धार्मिक परंपरा में नहीं दिखती है, लेकिन अब रामनवमी जैसे त्यौहार को राजनीति और सांप्रदायिक रंग देने के लिये ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। बिहार में जो दंगे हो रहे हैं उनमें सबसे ज़्यादा आरोपी बीजेपी के नेता हैं, जिन्हें या तो गिरफ्तार किया गया है या वे फरार हैं।

तो अब जो सीधा सवाल उठता है वो यही है कि क्या बीजेपी सत्ता में आने के लिए ऐसे दंगों को प्रोत्साहन दे रही है, युवाओं को भड़का रही है, भड़काऊ वीडियो के माध्यम से वह युवाओं को उनके मूल उद्देश्य से भटका कर उन्हें हिंदू मुस्लिम मुद्दे पर सोचने  को मजबूर कर रही है?

17 मार्च की घटना के बाद ऐसी कई शोभायात्रा निकाली गई या ऐसे कई जुलूस निकाले गए जिनका मुद्दा केवल सांप्रदायिक दंगों को भड़काना और तथाकथित हिंदू राष्ट्र को बनाना ही मूल उद्देश्य है। देश के युवा इन वीडियो, मैसेज को देख कर हिंदू राष्ट्र की एक नई सोच को विकसित कर रहे है। ऐसे संगठन, नेता और सरकार सब अपने वोट बैंक को बढाने का काम जोरो शोरों से कर रहे हैं । जिससे आने वाले समय में स्थितियाँ बहुत खराब हो सकती हैं।

लेकिन वहीं दूसरी तरफ युवाओं की असल समस्या बेरोज़गारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी आदि पर कोई बात नहीं कर रहा। अभी हाल ही में देशभर के विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र स्कॉलरशिप, मंहगी शिक्षा जैसे मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं, एसएससी परिक्षाओं में धांधली के खिलाफ हर रोज़ युवा सड़क पर उतरे हुए हैं, CBSE के पेपर लीक हो चुके हैं, कहने का मतलब है कि हर तरफ शिक्षा में, युवाओं से जुड़े मुद्दे पर सरकार ना सिर्फ उदासीन बनी हुई है, बल्कि युवाओं को आपस में बांट कर राज करने की राजनीति भी कर रही है।

ज़रूरत है युवा संभल जाएं, नहीं तो बहुत देर हो जायेगी।

 

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