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UP में स्कूली बच्चों की मौत के लिए ज़िम्मेदार बुरी व्यवस्था के खिलाफ हमारी चुप्पी तो नहीं

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले में हुई दुर्भाग्यपूर्ण ट्रेन दुर्घटना में स्कूली बच्चों की मौत पर गहरा दुख पंहुचा है। मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं परिजनों को संबल देने की प्रार्थना करता हूं। परन्तु आखिर कब तक हम सभी इस तरह अपने देश के भविष्य को खोते रहेंगे। हम अपने हुक्मरानों से सवाल करना कब सीखेंगे कि क्रॉसिंग में फाटक व रेलकर्मियों की व्यवस्था क्यों नहीं है। देश में आये दिन ऐसे हादसे पहले भी होते थे, आज भी हुआ और मैं आपको यकीन दिलाता हूं आगे भी ऐसे हादसे हो सकते हैं।

क्योंकि हम अपने व्यक्तित्व व राजनैतिक स्वार्थ की वजह से अपने हुक्मरानों से सवाल ही नहीं करते हैं, बस मृत आत्माओं को शांति देते हैं। क्योंकि ये बच्चों व हताहत होने वाले परिजन हमारे कुछ नहीं लगते। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि हम हुक्मरानों की गुलामी कर लें, परन्तु ऐसे हादसों का शिकार हम भी हो करते हैं। हम प्रजातंत्र की मूल अवधारणा को ही भूल चुके हैं, व्यक्ति विशेष की पूजा व अपने नेता को भगवान बनाना ही प्रजातंत्र/लोकतंत्र पर हम स्वयं सबसे बड़ी चोट करते हैं।

व्यक्तिगत हित/स्वार्थ ने इस देश का बेड़ा गर्त कर रखा है और हर विषय कोई भी हो राजनीति शुरू हो जाती है। हम वोट देते हैं, सरकार बनाते हैं, लेकिन उनसे सवाल ना करके उन्हें हमारे प्रति ज़िम्मेदारी से मुक्ति दे देते हैं। इस देश का इतिहास रहा है कि मृत आत्माओं को शांति दो और चलते बनो। अब समय आ गया है कि हमें अपनी सरकारों, हुक्मरानों और उनके नुमांइदों से सवाल करना सीखें। एक हादसे के बाद भी उस विषय पर कितना मूलभूत व ज़मीनी परिवर्तन आया इस पर निगरानी रखें और हकीकत न बदलने पर फिर सवाल करें। और फिर भी परिवर्तन ना हो तो सत्ता को ही परिवर्तित कर दें। लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई ना छोड़ें। सड़कों पर उतरें, सत्ता के कुकर्मों को चुनौती दें संघर्ष करें। यह विपक्ष व पत्रकारों की ही ज़िम्मेदारी नहीं जनता को भी अपनी नैतिक भूमिका निभाकर व्यवस्था को परिवर्तित करना होगा। हमारे हुक्मरानों को मुंहतोड़ जवाब देना होगा ताकि वे आम लोगों को मात्र वोट बैंक की नज़र से देखना छोड़ दें।

एक बार इस हृदय विदारक घटना के खुद को ज़िम्मेदार मानते हुए, उन मासूमों से माफी मांगता हूं कि उनकी मौत का ज़िम्मेदार मैं भी हूं। क्योंकि आज़ादी से आज तक ना ही मेरे पूर्वजों ने अपने हक के लिए आवाज़ उठाई ना ही हुक्मरानों को उनको उनकी ज़िम्मेदारी का एहसास कराया। मुझे माफ कर देना। ईश्वर से सभी बच्चों की आत्माओं की शांति की प्रार्थना करता हूं।

 

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