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“जो कुछ मैंने सहा मैं दूसरी लड़कियों को नहीं सहने दूंगी।”

जयपुर की रहने वाली भारती सिंह चौहान प्रवीणलता संस्थान की संस्थापक और अध्यक्ष हैं।

अपनी ज़िन्दगी में जो कुछ भी उन्होंने देखा वो नहीं चाहती थी कि बाकी की लड़कियां वो सब कुछ सहें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वो एक सामाजिक कार्यकर्ता बनी और प्रवीणलता नाम की संस्था खोली। ये संस्था लड़कियों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा का ध्यान रखती है।
भारती को उनके समुदाय में भभसा के नाम से भी जाना जाता है।

एक पेशेवर और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने समाज के प्रति उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। वह भारत से इंटरनैशनल गर्ल राइज़िंग कैम्पेन में प्रतिनिधि हैं, जो राजस्थान में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देती है। हाल ही में उन्हें भारत के राष्ट्रपति और महिला एवं बाल कल्याण विभाग मंत्रालय द्वारा महिला सशक्तीकरण श्रेणी के तहत शीर्ष 100 महिला अचीवर्स के रूप में सम्मानित किया गया है। इनकी प्रेरणादायक सफर जानने के लिए देखें यह जोश Talks।

 

भारती का संघर्षमय जीवन जिससे वे बनी एक सशक्त महिला

बचपन में बैंगलोर में ऐश-ओ-आराम की ज़िन्दगी जीने वाली भारती की ज़िन्दगी में तूफ़ान तब आया जब उनके पापा का बिज़नेस बैठ गया। जीवन में इसके अलावा उन्होंने बहुत सी मुश्किलें देखीं बिना लाइट के घर में रहना, पापा की तबियत ख़राब हो जाना, और कमाने वाली सिर्फ भारती थी। उन्होंने अपनी पढाई बच्चों को ट्यूशन देकर पूरी करी। रात दिन इधर- उधर जाकर नौकरी करना क्योंकि पैसे उन्हें ही कमाने थे, साथ में पढ़ाई भी करना और आस-पास के लोगों की बातें भी सुनना। पर ये सब होने के बाद भारती ने निर्णय लिया कि वे लड़कियों के स्वास्थ्य, उनकी सुरक्षा और शिक्षा का ध्यान रखेंगी। अपने पति के साथ मिलकर आज वे यही कर रही हैं और बहुत से अवॉर्ड्स भी जीत चुकी हैं।

क्या करती है प्रवीणलता संस्था ?

जाग्रति मिशन जिसमें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटियों की सुरक्षा करना ही प्रवीणलता संस्था का एक मात्र काम है। अब तक भारती अपनी इस संस्था के माध्यम से 19000 लड़कियों की ज़िन्दगी बदल चुकी हैं। यह संस्था लड़कियों को अपनी वर्कशॉप्स द्वारा सिखाती है और सशक्त बनाती है। नुक्कड़ नाटक, रैलीज, रोडशोज़ के द्वारा समाज को जागरूक भी कराती है। समाज और लड़कियों के हित में काम कर रहीं भारती अपना जीवन इन्हीं के नाम कर चुकी हैं।

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