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भारत बंद के दौरान दलित प्रदर्शनकारियों पर कथित तौर पर करणी सेना का आतंक

एडिटर्स नोट– सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 20 मार्च को SC-ST एक्ट में बदलाव के आदेश के रिव्यू में हो रही देरी की वजह से आज देश भर में दलित हक की लड़ाई करने वाले समूहों द्वारा भारत बंद का एलान किया गया था। दलित समुदाय का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश SC-ST एक्ट को कमज़ोर करने के लिए दिया गया है। यह रिपोर्ट पब्लिश होने तक मध्यप्रदेश से 4 प्रदर्शनकारियों की मौत की खबर आ चुकी है। यह स्टोरी राजस्थान के बाड़मेर में प्रदर्शनाकिरयों पर हमले कीआंखो देखी है।


मैं सुबह घर से निकलकर तकरीबन दोपहर 11:30 बजे बाड़मेर पहुंच रहा था कि सामने से करीब 200-250 लोग भागते आते दिखाई दिए। यह कहते हुए सुना जा रहा था कि “भागो, लाठियां मार रहे हैं”।

यह सुन मेरे साथ के सभी लोग वापस भागने लगे लेकिन मैं अकेला ही आगे बढ़ने लगा, पहचान छुपाकर। थोड़ा सा आगे चलकर देखा कि 40-50 सवर्ण हुड़दंगी हाथ में लाठियां और पत्थर लेकर उनको भगा रहे हैं, जातिसूचक गलियों के साथ। ये लोग ठाकुर समाज की “करणी सेना” के  लग रहे थे, वही समाज जिसने कुछ दिन पहले “पद्मावती” को “पद्मावत” बनाने के लिए देश जलाया था। उन लोगों के करणी सेना से होने की गवाही इससे मिल रही थी कि वो ‘करणी सेना की जय’ के नारे लगा रहे थे। सुबह से कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स से भी पता चलता है कि वो करणी सेना के ही थे (उपद्रवियों के पहचान की और पुख्ता जानकारी मिलने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी) ।

उन्होंने मुझ पर शक न करते हुए जाने दिया लेकिन वहां खड़ी sc/st लोगों की सभी गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए, कई लोगों की जमकर पिटाई की गई। मेरे आसपास काफी पत्थर पड़े, साथ चल रहे युवक को बेरहमी से मारा गया। बचते बचाते निकलकर पुलिस प्रशासन से बात की तो कोई संतोषजनक जवाब नही मिला। फिर मुख्य बाज़ार तक पहुंचा तो देखा कि वहां आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे थे और फिर हवाई फायरिंग।

स्थिति बेकाबू होती देखकर मैंने एक सुरक्षित जगह ढूंढकर लोगों से बात की इस स्थिति से निपटने की प्लानिंग को लेकर। बातचीत में पता चला कि सुबह 8 बजे sc/st समाज के कुछ लोग इकट्ठा हुए फिर वहां से अनुशाषित तरीके से रैली निकलते हुए चौहटन चौराहे पहुंचे थे कि वहां लाठियां और पत्थर लेकर तैयार खड़े “करणी सेना” के लोगों ने आतंक फैला दिया। वहीं से स्थिति बेकाबू होनी शुरू हो गयी।

आंदोलन कर रहे लोगों को पुलिस ने वापस शहर की तरफ भगा दिया लेकिन “करणी सेना” के हुड़दंगियों को दूसरी तरफ शहर के द्वार पे खड़ा कर दिया जहां से वो आने वाले लोगों को खदेड़कर भगा रहे थे।

सूचना देने के बाद भी पुलिस “करणी सेना” के साथ मिलकर काम करती रही। जिसका नतीजा यह निकला कि उन्होंने कुछ और लोगों की पिटाई की, सैंकड़ों गाड़ियों के शीशे तोडे गए, पास ही अम्बेडकर होस्टल के अंदर और बाहर खड़ी 4-5 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। ये सभी वहां sc/st के लोगों के थे।

प्रशासन से फिर से प्रतिनिधि मंडल मिला सुरक्षा को लेकर लेकिन प्रशासन अपने अड़ियल रवैये पर बना रहा। आंदोलनकारी शहर के अंदर है जहां आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं, लाठीचार्ज हो रहा है, हवाई फायरिंग हो रही है लेकिन वहां एक भी गाड़ी का न शीशा टूटा न कोई गाड़ी जली जबकि शहर के द्वार पर खड़े आतंकी इतनी देर शीशे तोड़ रहे थे, अभी आग हवाले करनी शुरू कर दी है।

शहर के अंदर तकरीबन 50 हजार लोग फंसे हुए हैं और प्रशासन की लापरवाही से स्थिति और भी बद्तर हो सकती है।
मानवाधिकार संगठनों, अन्य न्यायप्रिय लोगों, समाज के MP/MLA से अपील की जाती है कि उच्च स्तर पर दखल की मांग की जाय।

फोटो और वीडियो- लेखक


नोट- घटना को लेकर YKA ने स्थानीय SP से बात करने की कोशिश की लेकिन मौका-ए-वारदात पर होने की वजह से वो हमें ज़्यादा जानकारी नहीं दे सकें, अपडेट मिलने पर स्टोरी में जोड़ा जाएगा।

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