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मानवता की बेहतरीन मिसाल पेश कर रही हैं मैगी

किसी इंसान में दूसरों की मदद करने की भावना कितनी प्रबल हो सकती है, इसका एक नायाब उदाहरण हैं मैगी एन जॉनसन। कुछ समय पहले मैगी जब भारत भ्रमण के लिए आयीं, तो खुद उन्हें भी नहीं पता था कि उन्हें अपने सपने को पूरा करने की एक अनूठी वजह मिल जायेगी।

दरअसल मैगी पिछले तीन सालों से मानसिक रूप से मंद बच्चों के लिए कुछ करने के बारे में सोच रही थीं, लेकिन किसी-न-किसी वजह से उनका यह निर्णय टलता जा रहा था। इसी बीच उन्हें जब भारत आने मौका मिला, तो यहां उन्हें अपने निर्णय को क्रियान्वित करने की एक वजह मिल गयीं।

कुछ समय पहले मैगी जब अपने भारत भ्रमण के दौरान दिल्ली पहुंची, तो वहां वह बच्चों के स्वास्थ एवं शिक्षा के क्षेत्र में काम करनेवाली एक गैर-सरकारी संस्था ‘न्यू दिल्ली चिल्ड्रेन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर’ (NDCHRC) के संपर्क में आयीं. इस संस्था में उनकी मुलाकात सरवरी नामक एक ऐसी बच्ची से हुई, जो कि सेरिब्रल पाल्सी की बीमारी से पीड़ित थी। सेरिब्रल पाल्सी एक ऐसा रोग है, जिसमें दिमागी अक्षमता के कारण चलने-फिरने और क्रियाओं पर से व्यक्ति का नियंत्रण समाप्त हो जाता है। ऐसे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और संज्ञानात्मक विकास का स्तर इस हद तक निम्न होता है कि वे अपने रोजमर्रा के कार्यों को भी सही तरह के कर पाने में सक्षम नहीं होते. हालांकि विशेष थैरेपी के जरिये इन्हें जरूरी पेशीय कौशल सिखाये जा सकते हैं, ताकि ये पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर न रहें।

मैगी की मानें तो- ‘सरवरी से मेरी मुलाकात शायद ईश्वर की मर्ज़ी थी, क्योंकि उससे मिलने और कुछ समय तक उसके साथ वक्त बिताने के बाद मैंने डिसाइड किया कि मुझे ऐसे बच्चों के लिए कुछ-न-कुछ तो करना है। इसी से मुझे नर्सिंग में करियर बनाने की प्रेरणा मिली।’

मैगी ने यह महसूस किया कि इन बच्चों को आवश्यक पेशीय कौशल सिखाने के लिए जिन टूल्स् और टॉय्ज़ की ज़रूरत होती है, वे यूएस के मुकाबले भारत में आसानी से उपलब्ध नहीं है और जो थोड़े-बहुत हैं भी, वे भी काफी मंहगे हैं। संस्था को कोई सरकारी अनुदान नहीं मिलता है। ऐसे में इन चीज़ों को खरीदने के लिए अतिरिक्त फंड की ज़रूरत थी, पर समस्या थी कि पैसे आयें कहां से?

उन बच्चों के इलाज के लिए फंड इकट्ठा करने हेतु उन्होंने एक नायाब तरीका निकाला और अपने इस कैंपेन को नाम दिया है- ‘कुकीज फॉर किड्स’ (Cookies for Kids)। वह पिछले एक महीने से हर रोज़ चॉकलेट चिप्स व ब्राउनी लेकर सड़कों पर खड़ी हो जाती हैं और हर आने-जानेवालों को ‘हाय’ कहते हुए उनसे उन बच्चों की मदद करने के उद्देश्य से उन चॉकलेट चिप्स व ब्राउनी को खरीदने का रिक्वेस्ट करती हैं। जो लोग इससे आगे बढ़ कर भी मदद करना चाहते हैं, मैगी उन्हें अपनी फंडिग बेवसाइट का एड्रेस दे देती हैं, ताकि अधिक-से-अधिक संख्या में ऐसे बच्चों की मदद की जा सके।

इस तरह से मैगी ने अब तक कुल तीन हज़ार डॉलर यानी लगभग दो लाख रुपये इकट्ठा कर लिये हैं। मैगी का यह प्रयास निश्चित रूप से बेहद सराहनीय है। अपना देश से इतर दूसरे देश में आकर वहां के बच्चों के लिए इस तरह से नि:स्वार्थ मदद का प्रयास करना अपने आप में मानवता की एक बेहतरीन मिसाल पेश करता है। आज के विकसित होते नकारात्मक परिवेश में हर इंसान के मैगी के इस कार्य से प्रेरणा लेनी चाहिए।

फोटो आभार- gofundme.com

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