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कोबरापोस्ट स्टिंग: एकपक्षीय देश बनने की राह पर बढ़ रहा है भारत?

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया को ना सिर्फ कोबरा पोस्ट ने स्टिंग आपरेशन द्वारा बेनकाब किया है बल्कि ये भी बताया है कि किस तरह सरकार आपके सार्वजानिक से निजी ज़िंदगी को प्रभावित करती है। हमारी जीवन पूंजी के उपयोग से लेकर हमारे मतदान के अधिकार तक हर जगह सरकार की दखल रहती है।

नोटबंदी के दौरान e-payment और डिजिटल इंडिया की सबसे ज़्यादा दुहाई देने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ही थे। उन्होंने अपने भाषणों में e-payment एप्लीकेशन्स पर ज़ोर दिया, जिसके बाद Paytm प्रचलन में आया और ना सिर्फ भारतीय उपभोगताओं ने इस पर विश्वास किया। बल्कि दो सालों में इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 20 करोड़ से अधिक लोगों ने इस एप्लीकेशन को इस्तेमाल भी किया।

कोबरापोस्ट के स्टिंग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार न तो आपकी निजी जानकारी सुरक्षित है और ना ही संवैधानिक हक।  साथ ही स्टिंग से यह भी सामने आया कि Paytm और अन्य मीडिया संस्थाएं हिंदुत्व के एजेंडा को प्रचलित करने में भी मदद करते हैं। ये ना सिर्फ एक विशेष राजनीतिक पार्टी के मकसद को कामयाब करता है बल्कि लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाकर एक उस विशेष राजनीतिक पार्टी को सीधा सत्ता पर काबिज़ होने का रास्ता दिखाता है।

स्टिंग आपरेशन की दूसरी कड़ी में, जिसको ऑपरेशन- 136 का नाम दिया गया, कोबरापोस्ट अंडर कवर रिपोर्टर पुष्प शर्मा मीडिया इंडस्ट्री के उन पहलुओं को उजागर करते हैं, जिन्हें आज तक भारतीय जनता सिर्फ अफवाह समझ कर ही नकारती आई है। इस बार भारत के उन नामचीन मीडिया हाउसेस की सच्चाई को बेनकाब किया गया जिनपर आम जनता आंख मूंदकर विश्वास करती है। असल में ये लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ नहीं बल्कि एक व्यापार इंडस्ट्री बन गया है, 21 से अधिक मीडिया हाउसेज़ अपनी पत्रकारिता का सौदा कर, नागपुर द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के हिंदुत्व एजेंडा को सक्रिय करने की हामी भर देते हैं, जिसका मकसद साफ रूप से सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना था। अथवा बड़े-बड़े मीडिया हाउसेज़ के मालिकों ने स्पष्ट रूप से ये भी कबूल किया कि वो व्यक्तिगत एवं पेशेवर तौर पर संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी के हित में सोचते हैं।

इन दोनों ही तहकीकातों से मालूम होता है कि मीडिया से लेकर व्यापार इंडस्ट्री तक किस तरह से संघ परिवार ने अपनी पकड़ को मज़बूत बनाया हुआ है और हर रोज़ वो नफ़रत के एजेंडे को अलग-अलग माध्यमों से जनता के सामने परोसते हैं। ये ना सिर्फ लोकतंत्र का वध है बल्कि सामाजिक सवतंत्रता की भी सरेआम हत्या करता है।

कोबरापोस्ट द्वारा किये गये स्टिंग ऑपरेशन ब्रिटिश लेखक जॉर्ज ओर्वेल की किताब 1984 की याद दिलाती है, जिसमें एकपक्षीय तंत्र पूरे राज्य को अपने वश में रखता है और सभी संस्थानों पर सरकार काबिज़ रहती है। जो ना ही सिर्फ नागरिकों से उनके मूल अधिकारों को छीनते हैं बल्कि नयी तकनीकों की ज़रिये उनकी नीजी ज़िंदगी पर पूर्ण रूप से नज़र भी रखी जाती है। 1984 नॉवेल में एक अदृश्य “Big Brother” नामक ताकत नागरिकों की एक-एक गतिविधि पर नज़र रखता है और अगर कोई सरकार द्वारा दिए गये नियमों को तोड़ता है तो उसे सज़ा दी जाती है।

कुछ यही हाल भारत में देखने को मिल रहा है कि धीरे-धीरे संघ लोकतंत्र का मज़ाक बनाकर उसके सभी संस्थानों पर कब्ज़ा कर रही है, चाहे वो शिक्षा प्रणाली हो, व्यापार जगत हो या फिर लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाली मीडिया इंडस्ट्री ही हो, इन सभी तथ्यों से ये साफ ज़ाहिर होता है, के हिंदुस्तान की जनता को मज़हब, जाति, श्रेणी से ऊपर उठकर हिन्दुत्व के ठेकेदारों के मंसूबे समझने होंगे वरना वो दिन दूर नहीं जब भारत भी एकपक्षीय (Totalitarian) राज्य कहलायेगा।

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