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दिक्कत देश बांटने वाली थ्योरी से है तो जिन्ना के साथ सावरकर की भी तस्वीरें हटनी चाहिए

आज हमारे देश के हर नागरिक की सारी समस्याओं का समाधान कर दिया गया है इसलिए  हमारा देश आज से इस बात पर बहस करेगा कि किसकी तस्वीर और किसका नाम इस देश में रहेगा।

इस कैंपेन की शुरुआत AMU से हुई है और 1936 में जो जिन्नाह की तस्वीर AMU स्टूडेंट्स यूनियन हॉल में लगाई गई थी उसको हटाने का जिम्मा देशभक्तों ने उठाया है, जिसमे मैं भी शामिल हूं।

आज हो रही पूरे देश में चर्चा में एक बात कॉमन थी वो यह कि जिन्नाह की तस्वीर इसलिए हटनी चाहिए क्यूंकि उनकी Two nation theory की वजह से देश का बंटवारा हुआ और हज़ारों लोग जिसकी वजह से मारे गए।

लेकिन कुछ देशभक्तों को इतिहास की जानकारी कम होने की वजह से वो इस बात को भूल गए के जिन्नाह ने तो सिर्फ राजनीतिक फायदा उठाने के लिए Two nation theory का इस्तिमाल किया था इस थ्योरी के जनक तो सावरकर थे।

इसलिए मैं भी कहता हूं कि हां जिन्ना की तस्वीर AMU से हटनी चाहिए लेकिन-

साथ में हटनी चाहिए विनायक दामोदर सावरकर (जिन्हें RSS के लोग वीर सावरकर भी कहते हैं, लेकिन मैं नहीं मानता) की देश में लगी हर तस्वीर और उनके नाम से जुड़ी हर सड़क से क्यूंकि जिस Two nation theory को जिन्नाह ने अपनी राजनीति का ज़रिया बनाया वो 1937 में अहमदाबाद में हुए हिन्दू महासभा के 19वें अधिवेशन में सावरकर ने दी थी।

अपने भाषण में उन्होंने कहा था “भारत में दो विरोधी राष्ट्र एक साथ रह रहे हैं, भारत को आज एक यूनियन और सजातीय राष्ट्र नहीं माना जा सकता है। इसके विपरीत, भारत में हिंदू और मुसलमान मुख्य रूप में दो राष्ट्र हैं

1937 में हिन्दू महासभा के अधिवेशन में Two nation theory के प्रस्ताव को पास किया गया। जिसके बाद जिन्नाह ने two nations theory को सत्ता हासिल करने का ज़रिया बनाया और लाहौर सेशन में इसका एलान किया।

विनायक दामोदर सावरकर ने जिन्नाह के एलान के बाद भी 15 अगस्त 1943  को कहा “श्री जिन्ना के दो राष्ट्र सिद्धांत के साथ मुझे कोई झगड़ा नहीं है। हम, हिंदू, एक राष्ट्र हैं और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं”

मतलब कि सावरकर साहब को तो जिन्नाह से कोई झगड़ा नहीं है और वो उनके साथ खड़े हैं कि देश का बंटवारा हो।

इसलिए हमें देश में Two nations theory के ज़िम्मेदार हर एक इंसान से जुड़ी हर चीज़ को नेस्तोनाबूत कर देना चाहिए चाहे वो जिन्नाह हों या सावरकर।

उम्मीद करता हूं रुबिका लियाक़त (देश में ताल ठोकने वाली पत्रकार, जिनकी पत्रकारिता मुझे बहुत पसंद है) और सतीश गौतम जी (सांसद, अलीगढ़) बहुत जल्द सावरकर जी को लेकर भी चर्चा करंगे।

मैं वादा करता हूं जिस तरह जिन्नाह की तस्वीर हटाने में मैं आपके साथ हूं उसी तरह सावरकर की तस्वीर भी हटाने में रहूंगा।

रुबिका लियाक़त जी, आपकी ताल ठोक के कार्यक्रम में मदद करने के लिए बहुत जल्द और लोगों की लिस्ट के साथ आऊंगा जिनकी तस्वीर देश से हटनी चाहिए।

आपका आभारी,

– फहद अहमद

AMU – Alumini

महासचिव छात्रसंघ

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई

 

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