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आखिर उपेक्षा कब तक…_ 

हम भी जुबाँ रखते है काश कोई पूछे कि मुद्दा क्या है !! 
समाज के लक्ष्मण रेखा पर पर्दे से झाँकती महिला…..
 _आखिर उपेक्षा कब तक…_ 
महिला सशक्तिकरण, महिला विकास,महिला अधिकार कितने अच्छे लगते है ये शब्द सुनने में,
क्या आज देश की वास्तविकता इसे परिभाषित करती है ?
क्या आज देश का हर वर्ग महिलाओ को अपना आधार मानता है ?
देश के इतिहास के पन्नो से लेकर देश के वर्तमान की परत पर छाप और आधार बनते आयी है एक महिला !!
 _सीता से लेकर द्रोपदी_ 
 _रजिया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावती_ 
 _लक्ष्मीबाई से लेकर इंदिरा गाँधी_ 
 _किरण बेदी से लेकर सानिया मिर्जा_ 
ये नाम देश की पहचान बताते है
देश को विश्व मे परिचय देते ये नाम देश की शान है !!
इसके अलावा एक वर्ग ऐसा भी जहाँ आज भी महिला पर्दे में कैद हो कैदी की सांस ले रही है !
समाज के लक्ष्मण रेखा में बंधी एक स्त्री देश को झाँक कर देख रही है !!
आखिर ये समाज के बंधन कब तक ?
आखिर इन बंधनो की वजह क्या है ?
एक महिला अपनी इच्छाओं, सपनो, और वजूद को खोकर जीवन भर सुलगती है !!
आज हमें आवश्यकता है महिलाओ को बंधन से आज़ाद करने की, उनकी शिक्षा ,हुनर को सवारने की, उनको उनके अधिकार देने की !!
एक बेटी विद्यालय जाती है !
एक बेटी नौकरी करती है !
एक बेटी देश का नाम रौशन करती है !
एक बेटी परिवार पालती है !!
हर पीढ़ी की छाप है महिला !
हर वर्ग का आधार है महिला
पुरुष प्रधान देश मे जरूरत है महिला को बराबरी का अधिकार देने की !!
 _महिला जगत का अभिमान है !_
_महिला बिना सुना संसार है !_
_देना अधिकार इस बार है !_
_महिला ही देश का आधार है!_
निहारिका वर्मा
छत्तीसगढ़
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